रिलीज के वक्त क्यों बैन हो गया था जीनत अमान और देव आनंद का गाना 'दम मारो दम'

जीनत अमान और देव आनंद की फिल्म 'हरे कृष्णा हरे राम' अपने समय के हिसाब से बहुत बोल्ड थी। उस फिल्म में जिस टॉपिक को उठाया गया था उसने सरकार को कई कड़े फैसले लेने पर मजबूर कर दिया था। 

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क्या आपको 'दम मारो दम' गाना याद है? भले ही आप किसी भी जनरेशन के हों इसकी उम्मीद बहुत ज्यादा है कि आपने इस गाने को आशा भोसले की आवाज में सुना जरूर हो। आशा भोसले को इस गाने के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर फीमेल का अवॉर्ड मिला था। इस गाने को रिलीज हुए 53 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी इस गाने को उसी तरह से पसंद किया जाता है जिस तरह से यह उस वक्त किया जाता था। फिल्म का यह गाना बहुत ही यूनिक तरह से फिल्माया गया था जहां जीनत अमान को चिलम के नशे में बहकते हुए दिखाया गया था।

एक बात जिसका अंदाजा किसी को नहीं था वह यह कि इस गाने को लेकर तत्कालीन सरकार ही अपना फैसला सुना देगी। यह गाना सिर्फ फिल्म थिएटर्स से ही नहीं, बल्कि रेडियो से भी बैन कर दिया गया था। 1971 में रिलीज हुई फिल्म 'हरे कृष्णा हरे राम' का यह गाना सही मायने में हिप्पी मूवमेंट की दिशा और दशा दिखाता है। यह उस दौर की बात है जब देश में धीरे-धीरे हिप्पी कल्चर अपने पैर पसार रहा था।

1970 का दशक कई महत्वपूर्ण बदलावों के लिए जाना जाता है और उस वक्त देव आनंद द्वारा निर्देशित इस फिल्म को हिप्पी कल्चर पर कटाक्ष करने के लिए बनाया गया था। इस फिल्म को काठमांडू में फिल्माया गया था और मुमताज, जीनत अमान और देव आनंद सहित कई सितारे बहुत नजदीक से हिप्पी कल्चर को समझ रहे थे।

आखिर क्यों बैन किया गया था फिल्म से यह आइकॉनिक गाना

जैसे कि हमने बताया इस फिल्म का मुख्य उद्देश्य था देश में हिप्पी कल्चर और ड्रग्स पर कटाक्ष करना इस फिल्म को सेंसर बोर्ड के सामने भी उसी तरह से पेश किया गया था। फिल्म में देव आनंद (प्रशांत) अपनी बहन को ढूंढने काठमांडू पहुंच जाते हैं। वहां जीनत अमान (जेनिस) अपनी बेफिक्र जिंदगी जी रही हैं और खुद हमेशा नशे में डुबा देती हैं।

गाने की शुरुआत 'दम मारो दम' से होती है और फिर आता है कृष्ण और राम का नाम। हालांकि, गाने के अंत में देव आनंद खुद ही कोरस के साथ गाते नजर आते हैं 'देखो ओ दीवानो राम का नाम बदनाम ना करो', लेकिन जिस तरह से गाना शुरू होता है वह दिखाता है हिप्पी कल्चर का ग्लैमर।

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उस समय सरकार को यह पसंद नहीं आया। जीनत अमान इस फिल्म से उस दशक की सबसे बोल्ड स्टार बनकर सामने आईं और यह गाना ऐसे दिखाया गया जैसे इस फिल्म में हिप्पी कल्चर पर कटाक्ष है ही नहीं। उस वक्त इस गाने को बैन करने का फैसला लिया गया।

आखिर क्या थी फिल्म के इस गाने के पीछे की कहानी?

यह गाना देव आनंद की पहली पसंद नहीं था, बल्कि इस गाने के लिए लिरिक्स राइटर आनंद बक्शी ने जिद की थी और म्यूजिक कंपोजर आर डी बर्मन ने इसमें फिल्म के हिसाब से संगीत पिरोया था। देव आनंद सबसे पहले किशोर कुमार का 'देखो ओ दीवानो' सॉन्ग ही रखना चाहते थे क्योंकि इस गाने में देव आनंद सबसे ड्रग्स छोड़ने की गुहार कर रहे हैं। उस वक्त देव आनंद चाहते थे कि इस गाने के पहले कुछ ऐसा म्यूजिक बनाया जाए जिससे उनका आकर यह गीत गाना वाजिब लगे और वह जीनत अमान के साथ बैठे सभी युवाओं को ड्रग्स छोड़ने को कह सकें।

अगर वह एकदम से ऐसा करते, तो यह अजीब लगता और गाना बेमेल लगता। 1974 के एक इंटरव्यू में आर डी बर्मन ने बताया था कि उस वक्त आनंद बक्शी ने यूं ही कुछ ऐसे बोल लिख दिए जो इतिहास बन गए।

उस वक्त लोग अधिकतर कश लेते समय 'दम मारो दम, मिट जाए गम' कहते थे। बस इसी को बक्शी ने सुना और गाना बना दिया। उसके अगले दिन जब आनंद बक्शी और आरडी बर्मन ने देव आनंद को यह गाना सुनाया, तो उन्हें यह अच्छा नहीं लगा। उन्हें लगा कि इससे 'राम का नाम और देखो और दीवानो' का असर खत्म हो जाएगा। इसलिए सबसे पहले इस गाने को सिर्फ रिकॉर्डेड अल्बम में ही रखने की बात कही गई। पहले इसे पिक्चराइज नहीं किया जाना था, लेकिन रिकॉर्डिंग के बाद सब कुछ बदल गया।

इस गाने का म्यूजिक और बोल इतने अच्छे थे कि इसे फिल्म का सबसे बेस्ट सॉन्ग माना गया। उस वक्त देव आनंद और अन्य लोगों ने मिलकर इस गाने को फिल्माने का फैसला लिया। हालांकि, उस वक्त देव आनंद की टीम के कई लोग इस गाने से खुश नहीं थे, लेकिन फिर भी 'देखो ओ दीवानों' का असर बढ़ाना था।

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पहले मुमताज पर फिल्माया जाना था यह गाना

'दम मारो दम' को आपने सुना ही होगा। यह गाना सही मायने में आशा भोसले के साथ ही हो सकता था, लेकिन सबसे पहले इसे लता मंगेशकर और ऊषा उत्थुप की आवाज में रिकॉर्ड किया जाना था। मुमताज जो इस फिल्म में पॉजिटिव भूमिका में थीं उनके साथ लता मंगेशकर की आवाज आनी थी। पर किसी वजह से ऐसा ना हो सका। ऊषा उत्थुप ने तो इस गाने की रिहर्सल भी कर ली थी, लेकिन कुछ हो नहीं पाया। उसके बाद आया आशा भोसले का सोलो सॉन्ग जिसने सभी रिकॉर्ड्स तोड़ दिए।

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हालांकि, देव आनंद गाना रिकॉर्ड होने के बाद भी इसे फिल्म से हटाना चाहते थे क्योंकि इस गाने की वजह से कॉन्ट्रोवर्सी हो सकती थी, लेकिन आशा भोसले ने देव आनंद से ऐसा ना करने को कहा और आखिरकार गाना रिलीज हो गया।

कॉन्ट्रोवर्सी के बाद बैन गाना भी रहा नंबर वन

उस वक्त ऑल इंडिया रेडियो ने तो इसे बैन कर दिया, लेकिन रेडियो साईलॉन ने इसे बजाना बंद नहीं किया। उस वक्त बिनाका गीतमाला में यह गाना इतना चला कि इसे लगातार 12 हफ्तों तक टॉप सॉन्ग का खिताब मिला। उस वक्त फिल्म अगर टीवी पर दिखाई गई तब भी यह गाना कट कर दिया, लेकिन गाने की लोकप्रियता कम नहीं हुई। इस गाने ने सभी का दिल जीत लिया और महीनों बाद इस गाने पर से बैन हटा। फिर जो हुआ वह हम सभी को पता है।

यह गाना आज भी उतना ही चर्चित है और इसकी बीट्स आज भी सबसे ज्यादा फेमस हैं।

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