जब मन में लगन हो और हौसले हों बुलंद तो हर ख्वाब को सच किया जा सकता है। इसकी मिसाल हैं 19 साल की रिया यादव, जिनके पिता ने 19वें साल में उन्हें एक बाइक गिफ्ट में दी। लेकिन शायद ही उन्होंने सोचा हो कि इसी बाइक पर वह सवार होकर महज 9 महीने बाद उनकी बेटी एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर उनका नाम रोशन कर देंगी। दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज की रिया यादव सेकेंड इयर की छात्रा हैं और वह लद्दाख में दुनिया के सबसे ऊंचे मोटरेबल पास खारदुंग ला को बाइक से पार कर ऐसा कारनामा कर दिखाने वाली दुनिया की सबसे युवा फीमेल बाइकर बन गई हैं।
काम आई प्रैक्टिस
रिया यादव अपनी रॉयल एनफील्ड क्लासिक 350 पर सवार होकर 18, 379 फीट की ऊंचाई वाले खारदुंग ला पास पर सरपट दौड़ती गईं। लेकिन यह अचानक नहीं हुआ। वह बताती हैं, 'मैं नहीं जानती थी कि राइड कैसे किया जाता है, लेकिन मैं बाइक्स को लेकर पैशनेट थी और मेरे पापा यह बात जानते थे। इसीलिए उन्होंने लगभग साल महीने पहले मुझे बाइक गिफ्ट में दे दी। मैंने बाइक चलानी सीखी और प्रैक्टिस करने के लिए मैं अपने भाई को बिठाकर नीमराना और नोएडा एक्सप्रेस वे तक जाया करती थी।' इन छोटी-छोटी उपलब्धियों ने रिया के लिए बड़ी कामयाबी हासिल करने की जमीन तैयार कर दी।
आईपी कॉलेज से पॉलिटिक साइंस ऑनर्स की पढ़ाई कर रहीं रिया ने अपने सफर की शुरुआत 17 जून से की और 1 जुलाई को वह वापस लौट आईं। अपनी इस नई उपलब्धि के बारे में एक्साइटेड रिया ने बताया, 'मुझे इस ट्रिप के बारे में फेसबुक के जरिए पता चला। मुझे यह भी पता चला कि खारदुंग ला पहुंचने वाली सबसे युवा फीमेल राइडर अनम हाशिम थी, जो उस समय 20 साल की थीं, जब उन्होंने अपनी स्कूटी से खारदुंगा ला पार किया।' जब इस ट्रिप के बारे में रिया प्लान करने लगीं तो शुरुआत में उनके परिवार ने उन्हें सीरियसली नहीं लिया, लेकिन बाद में वे इसके लिए राजी हो गए। रिया बताती हैं, 'इस सफर के वे 13 दिन मेरे लिए सबसे यादगार थे। मनाली पार करने के बाद मेरे फोन में कोई नेटवर्क नहीं था और पेरेंट्स के साथ मैं कॉन्टेक्ट में नहीं थी। लेकिन मुझे अपनी मंजिल हर हाल में पानी थी। मुझे काफी मुश्किल हुई, लेकिन मेरे लिए उसे पूरा करना जरूरी था। इस सफर ने मुझे पूरी तरह बदल दिया। यह एक लाइफटाइम एक्सपीरियंस था।'
रिया एक ऐसे सफर से लौट आई हैं, जिस पर जाने की हिम्मत बहुत कम लोग कर पाएंगे। रिया ने बताया कि यह सफर कई चुनौतियों से भरा था। खारदुंग-ला की सड़कों पर सवारी सबसे ज्यादा खतरनाक और मुश्किल थी, साथ ही पहाड़ी इलाके में मौसम की मार का भी सामना करना पड़ता है। ऊंचाई पर जाने के साथ-साथ मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थीं, लेकिन रिया ने अपनी मंजिल को पाकर ही दम लिया। रिया के बहुत से क्लासमेट्स उनके इस सफर के बारे में नहीं जानते थे। लेकिन जब उन्हें इसके बारे में पता चला तो उन्होंने रिया का उत्साह बढ़ाया। अब रिया का अगला पड़ाव होगा रेड दी हिमालय में हिस्सा लेना। दुनिया की सबसे ऊंचाई वाली जगह पर होने वाली यह रेड अगले साल होगी। रिया की इस नई उपलब्धि से साफ है कि महिलाएं कितनी तेजी से अपनी राह में आने वाली मुश्किलों को दूर कर कदम आगे बढ़ा रही हैं और दुनिया में महिलाओं को लेकर रूढ़िवादी सोच को चुनौती दे रही हैं।
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