‘मां’ इस एक शब्द से कितनी सारी भावनाएं जुड़ी हुई हैं। इस एक शब्द को सुनकर ऐसा लगता है, जैसे तपती रेत में बारिश की बूंदें गिर गई हों। कितना ताजगी भरा शब्द है न ‘मां’।
मां ही तो होती है, जिससे हम बिना डरे अपनी सारी बातें शेयर कर सकते हैं। मां को तो गुस्सा भी नहीं आता है। मुस्कुरा कर धीमी सी आवाज में वो हमारी हर मनचाही डिमांड को पूरा करने की हामी भर देती है।
हमारे स्कूल का बैग लगाना हो या फिर लंच बॉक्स में दोस्तो की पसंद की डिश बनवाकर रखवानी हो, मां तो है न। मां सब कर देती है। बच्चों के लिए मां एक शब्द या रिश्ता नहीं होता है, मां तो उनकी दुनिया और उनका घर होता है।
आप यदि इस लेख को पढ़ रही होंगी तो मेरी हर एक बात से आप इत्तेफाक रख रही होंगी। मां ऐसी ही होती है, आप भी शायद ऐसी ही होंगी। मगर इतना कुछ करने के बावजूद मां को परिवार में सबसे कमजोर सदस्या समझा जाता है। मां को सुपर मॉम तो बना दिया जाता है, मगर इस सुपर मॉम की पवर को मानने से इंकार कर दिया जाता है।
सब कुछ सही करने के बाद भी अगर कुछ गलत हो जाए तो मां ही जिम्मेदार क्यों होती है? आपने कभी इन सारी बातों के बारे में सोचा। अगर नहीं सोचा है और आपके मन भी भी यही सारे सावाल उठ रहे हैं। तो मदर्स डे के अवसर पर हमारे कैंपेन #maabeyondstereotype से जुड़ीं फेमस एक्ट्रेस छवि मित्तल से आपको इन सभी के जवाब मिल जाएंगे।
इस लेख के माध्यम से हम आपके सामने एक्ट्रेस छवि मित्तल से हुई बातचीत के कुछ अंश प्रस्तुत करते हैं-
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मां बनने से पहले मां बनने को लेकर भावनांए
ईश्वर ने महिलाओं को ही यह शक्ति प्रदान की है कि वे किसी को जीवन दे सकती हैं। ऐसे में यह बचपन से ही एक लड़की के जहन में कहीं न कहीं यह बात घूमती रहती है कि बड़े होकर उसकी भी शादी होगी और वो भी मां बनेगी। मगर हमारी सोसाइटी में मां की जो पिक्चर क्रिएट की गई है वह यही दर्शाती है कि मां के 10 हाथ होते हैं और वो सब कुछ एक साथ कर लेती है। मगर यह तस्वीर बेशक दिखने में फैसिनेटिंग लगती हैं, मगर वास्तव में लड़कियां यह सोचकर डर जाती है कि मां बनने के बाद जिम्मेदारियों का पहाड़ उन पर टूट पड़ेगा। इस विषय पर छवि कहती है, ‘मां बनने से पहले मां क्या होती है इसके बारे में एक महिला को 1 प्रतिशत भी अनुभव नहीं हो सकता है। यह बहुत अलग अहसास है, जो मां बनने के बाद ही एक महिला महसूस कर सकती है। जहां यह एक बहुत प्यारी सी फीलिंग है, वहीं मां की जॉब बहुत ज्यादा स्ट्रेसफुल है। मां बनने के बाद आपका एक-एक मिनट केवल बच्चों के बारे में सोचते हुए गुजर जाता है। ’
अपनी मां को याद करते हुए छवि कहती हैं, “बहुत काम करते हुए देखा है मैंने अपनी मां को। गर्मी हो या सर्दी मां को बहुत काम करना पड़ते था। हमारे वक्त में तो काम करने वाली भी नहीं होती थी और मां घर का काम बाहर का काम करने के साथ ही हम मेरा और मेरे दो भाइयों का ख्याल भी रखती थीं। उन्हें जरूर कभी-कभी फस्ट्रेशन होता होगा मगर मैंने कभी उनके चेहरे पर वो देखा नहीं। उन्होंने बहुत अच्छे से अपनी जिम्मेदारियों को निभाया है और मैं आज 2 बच्चों की मां हूं मगर उनके जैसी सुपर पावर मेरे अंदर नहीं है।”
सोसाइटी की नजर में मां
वक्त बदल चुका है और अब औरतें केवल मां, बीवी और बहु के अलावा मल्टीनैशनल कंपनी में बड़े-बड़े पदों पर काम भी करती हैं। उनका एक अलग रुतबा और पहचान होती है। मगर घर में उनका किरदार बहुत अलग होता है। मां के जो काम हैं और जिम्मेदारियां उनसे वे कभी पीछे नहीं हट सकती हैं। यहां तक एक अच्छी मां बनने को लेकर सोसाइटी का इतना ज्यादा प्रेशर होता है औरत पर कि अपनी जिंदगी को थोड़ा आसान बनाने के लिए अगर काम वाली बाई भी रख ले, तो लोग ताना मारना शुरू कर देते हैं। छवि कहती हैं, “लोगों को लगता है कि बच्चों का ख्याल केवल मां रख सकती है। इसके लिए नैनी या फिर केयर टेकर लगा ली जाए, तो ऐसी मां तो आलसी होती है। लोग बिना सोचे समझे बोलने लगते हैं कि तुम क्या करती हो, सारा काम तो बाई करती है। ऐसे लोगों की सोच को नहीं बदला जा सकता है। इसलिए अपनी जिंदगी को आसान बनने के लिए आप जो कर सकती हैं वो करें।”
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अच्छी मां और बुरी मां
जो जन्म देती है, जो पीड़ा सहती है, वो बुरी कैसे हो सकती है? मां तो बच्चे की पहली टीचर, पहली दोस्त और पहली मार्गदर्शक होती है। बच्चे तो खुद मां से अच्छे और बुरे में फर्क सीखते हैं। अपने बच्चे के लिए मां सरस्वती भी बन जाती हैं और चंडी भी। तो लोग कैसे अच्छी मां और बुरी मां का जजमेंट पास कर देते हैं। इस बारे में छवि कहती हैं, “सेलिब्रिटीज का जीवन खुली किताब की तरह होता है। हम अपने दर्शकों और फैंस की वजह से ही सेलिब्रिटी हैं। ऐसे में हमारी लाइफ को लेकर तो बहुत जल्दी लोग जजमेंट पास कर देते हैं। एक बार मैंने बच्चों के साथ स्विमिंग कॉस्ट्यूम में तस्वीरें सोशल अकाउंट में शेयर की। तो लोगों ने कहा कि ऐसे कैसे मैं बच्चों के सामने इस तरह के कपड़े पहन सकती हूं। मगर मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता। मुझे ही बच्चों को सिखाना है कि किस अवसर और स्थान पर क्या ड्रेसिंग होनी चाहिए। ”
मदर्स डे पर छवि मित्तल का मैसेज
“बहुत सोचने की जरूरत नहीं है। कोई भी मां अपने बच्चे के लिए बुरा नहीं सोच सकती हैं। इसलिए आप जो कर रही हैं वो बेस्ट है। लेकिन अपने लिए भी वक्त निकालें क्योंकि आपके बच्चे भी आपको देख रहे हैं। आप जो कर रही हैं उसका चित्र उनके दिमाग में बनता जा रहा है। अगर आप सैक्रीफाइज की मूर्ति बनेंगी तो बच्चों को यही लगेगा कि मां तो ऐसी ही होती है। इसलिए अपने लिए समय निकालें और अपने बारे में सोचें। बच्चों के आगे मां की भूमिका का सही उदाहरण प्रस्तुत करें।”
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