मिलिए स्पेन की मारिया रुईस से, जो भारत में संस्कृत की पढ़ाई कर के बनी गोल्ड मेडलिस्ट

चलिए इस लेख में जानते हैं कि कौन है स्पेन की मारिया रुईस, जो भारत में संस्कृत की पढ़ाई कर बनी हैं गोल्ड मेडलिस्ट। 

 

spain sanskrit gold medalist maria ruis story

अगर किसी भारतीय व्यक्ति या महिला से ये सवाल पूछा जाए कि आपको संस्कृत विषय पढ़ना कैसा लगता है?, तो संभवत उत्तर होगा कि इस विषय में मेरा या मेरी बहुत कम रूचि पहले भी थी और आज भी है। संस्कृत एक ऐसा विषय है जिसे बहुत कम लोग ही पढ़ना पसंद करते हैं।

जब किसी विदेशी शख्स से हिंदी भाषा सुनते हैं, तो गर्व की अनुभूति होती है। लेकिन जब उसी शख्स से संस्कृत भाषा सुनते हैं तो फिर कुछ समय के लिए चकित हो जाते हैं कि क्या जो हम सुन रहे हैं वो सही है या गलत। जी हां, आज इस लेख में हम आपको एक ऐसी विदेशी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, तो सिर्फ संस्कृत ही नहीं बोलती हैं, बल्कि वह हाल ही में संस्कृत विषय में टॉप भी किया हैं।

मारिया रूईस

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मूल रूप से स्पेन की रहने वाली मारिया रूईस ने हाल में ही सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय में टॉप करने के साथ-साथ आचार्य की डिग्री भी हासिल किया है। मारिया ने संस्कृत के पूर्वमीमांसा विषय में टॉप करने के साथ गोल्ड मेडल भी जीता है। उन्होंने यहीं से शास्त्री की भी डिग्री ली हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में है।

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राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

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हाल में ही विश्वविद्यालय में 38वें दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया था जहां राज्य की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मारिया को प्रमाण पत्र के साथ गोल्ड मेडल भी प्रदान किया था। विश्वविद्यालय के इस दीक्षांत समारोह में गोल्ड मेडल से सम्मानित होने वाली मारिया रूईस अकेली महिला थी। इस सम्मान के बाद एक मीडिया हाउस से बात करते हुए उन्होंने जानकारी दी थी कि 'आगे वो इसी विषय में पीएचडी भी करने वाली हैं'।(भारतीय मूल की मनदीप कौर सिद्धू न्यूजीलैंड में बनी पुलिस अधिकारी)

अन्य भाषाओं की भी है जानकारी

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मारिया को बचपन से ही अलग-अलग विषय और भाषाओं में रूचि रखना बेहद पसंद रहा है। मारिया अपनी मातृ भाषा स्पेनिश के साथ अन्य भाषाओं के बारे में भी बहुत अच्छे से बोल और लिख लेती हैं। वो संस्कृत के अलावा हिंदी, जर्मन, इटालियन और अंग्रेजी भाषाओं के बारे में भी अच्छे से जानती हैं। एक खबर में मुताबिक संस्कृत पढ़ने के लिए पहले वो ऋषिकेश गईं फिर ऋषिकेश से वाराणसी चली गई।

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सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के बारे में जानकारी

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना साल 1971 में हुई थी। इस विश्वविद्यालय में हर यहां पर साल हजारों विदेशी स्टूडेंट पढ़ने के लिए आते हैं और विश्वविद्यालय में संस्कृत के अलावा फ्रेन्च, जर्मन, नेपाली, तिब्बती रूसी, आदि विषयों की भी पढाई करने आते हैं। मारिया भी साल 2012 के आसपास संस्कृत विषय पढ़ने के लिए काशी आई थी।(मिताली राज ने क्रिकेट के क्षेत्र में कायम की मिसाल)

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Image Credit:(@images.bhaskarassets.com,www.varanasimirror.com)

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