Exclusive: न फिजिकल फिटनेस में कम न ही युद्ध कला में पीछे, मिलिए कुंग फू नन्स से

क्या आपने कभी कुंग फू नन्स का नाम सुना है? इनके रोचक इतिहास को जानना बेहद खास एक्सपीरियंस हो सकता है। 

 
who are kung fu nuns

कई बार हमारे सामने कुछ ऐसे लोग आ जाते हैं जिन्हें देखकर मन खुश हो जाता है। ये लोग अपने जोश और जज्बे से दुनिया बदलने की ताकत रखते हैं। हाल ही में दिल्ली हाई कमीशन फॉर वुमन ने कुंग फू नन्स को एक अवॉर्ड दिया था। ये अवॉर्ड उन महिलाओं को दिया जाता है जो महिला सशक्तिकरण की फील्ड में असाधारण उपलब्धि हासिल की है।

इसी दौरान मैंने कुंग फू नन्स के बारे में सुना। इनके बारे में जानकर गर्व भी महसूस हुआ और असाधारण हौसले की तारीफ करने का मन किया। कुंग फू नन्स लिंग भेद करने वाले इस समाज को करारा जवाब देती हैं।

कौन हैं कुंग फू नन्स?

पुराने बौद्ध ट्रेडिशन को मानने वाली द्रुपका वंश की वंशज हैं कुंग फू नन्स। ये वंश हिमालय में ही शुरू हुआ था और इसकी ऐतिहासिक कथा कहती है कि कुंग फू नन्स के संस्थापक ग्याल वांग द्रुपका ने आसमान में 9 ड्रैगन्स की एक फाइट देखी। इस ट्रेडिशन की स्थापना का मुख्य कारण था कि लिंग भेद को हटाया जा सके और फिजिकल फिटनेस के साथ जीवन यापन का प्राकृतिक तरीका बताया जा सके और सभी जीव-जंतुओं का आदर किया जा सके।

कुंग फू नन्स सेल्फ डिफेंस के मामले में बहुत ही स्ट्रॉन्ग हैं और वो अपनी अंदरूनी और शारीरिक ताकत को बढ़ाने में एड़ी-चोटी का जोर लगा देते हैं।

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इस दौरान मैंने कुंग फू नन जिमी रूपा लांबा से बात की। उन्होंने अपने बारे में कुछ बातें बताईं।

1. सवाल: क्या आप थोड़ा अपने बारे में बता सकती हैं?

जवाब- 'मैं 13 साल की थी जब नन बनी थी। मैं हिमाचल प्रदेश से हूं और अब मुझे नन बने हुए 15 साल हो गए हैं।' कुंग फू नन्स की बात करें तो हिमालय की कल्चरल डायवर्सिटी से जुड़ा ये ग्रुप किसी भी तरह के भेदभाव में यकीन नहीं करता है।

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2. सवाल: आप लोगों का ग्रुप कैसे बना है और किस तरह से प्रैक्टिस की जाती है?

जवाब- 'हमारे ग्रुप में बहुत अलग-अलग जगह से लोग आते हैं, नेपाल, भूटान, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड आदि सभी जगहों के लोग मौजूद होते हैं। इसके अलावा, हम रोज़ाना कुंग फू सिर्फ 2 घंटे करते हैं। हमारे टीचर वियतनाम से आते हैं और वो साल में सिर्फ 1 महीने के लिए आते हैं और उस वक्त प्रैक्टिस हमारी दिन में 4 बार हो जाती है। वो समय मुश्किल और खास होता है और उस समय में हमें बहुत कुछ नया सीखना होता है।'

3. सवाल: आपका ग्रुप महिला संगठन की मिसाल कहा जाता है, अगर किसी को समझाना हो कि कुंग फू नन्स क्या है तो आप कैसे बताएंगी?

जवाब- 'कुंग फू नन्स हिंसा के लिए नहीं है। हम किसी से झगड़ा नहीं करते हैं और किसी के प्रति हीन भावना नहीं होती है। हम अपनी रक्षा के बारे में सोचते हैं। भारत में ही लड़कियों को अलग तरह से देखा जाता है और ये माना जाता है कि लड़कियां ये नहीं कर सकती है या वो नहीं कर सकती हैं। पर हमारा ये कहना है कि लड़कियां कुछ भी कर सकती हैं। हां, शुरुआत में दिक्कत होती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि फिजिकल फिटनेस को लेकर हम किसी भी तरह की कमी बर्तें या फिर कुछ कर न पाएं। मेरा ये मानना है कि लड़कियां कुछ भी कर सकती हैं और अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हैं।'

kung fu nuns training

4. सवाल: लोगों की आम धारणा होती है कि महिलाओं को फिजिकल काम ज्यादा नहीं करना चाहिए और आपने इस धारणा को गलत साबित किया है, आपको किस तरह की मुश्किलें झेलनी पड़ीं?

जवाब- 'हमें मुश्किलें बहुत झेलनी पड़ीं। सोचिए कि आप साइकिल या किसी यात्रा पर जा रहे हैं और लोग बोल रहे हैं कि लड़कियों को ऐसा नहीं करना चाहिए। साइकिल चलाते समय हमारा ड्रेस कोड शॉर्ट्स होते हैं और इस दौरान फिर और लोगों की बातें सुननी होती हैं। उनकी सोच में ये होता है कि ये गलत है कि लड़कियां ऐसा नहीं कर सकती हैं। हमने बताया कि लड़कियों की अपनी भी सोच हो सकती है। उन्हें जो पहनना है वो पहनने दो, उन्हें जो करना है वो करने दो। पूरे विश्व में इस सोच का स्थापित होना जरूरी है कि लड़कियों को खुलकर जीने की आज़ादी दो। लड़कियां हमेशा आगे ही रहती हैं और हमेशा आगे बढ़ती ही रहेंगी।'

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5. सवाल: अगर कोई आपसे जुड़ना चाहे तो क्या करे?

जवाब- 'हमारे साथ जुड़ना आसान नहीं है। इसमें बहुत कुछ करना होता है और अगर आपको हमारे बारे में जानना है तो हमारी वेबसाइट और वीडियोज के जरिए हमसे जुड़ सकते हैं। आपने अगर मन बना ही लिया है तो कड़ी मेहनत जरूरी है।'

कुंग फू नन्स ने ये साबित कर दिया है कि महिलाएं किसी से भी कम नहीं हैं। ये बात लोगों को समझना चाहिए कि हमेशा लड़कियों को पीछे धकेलने की जगह उन्हें उड़ने के लिए आसमान दें। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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