महिलाओं की जगह सिर्फ किचन में होती है, ये लाइन अब बहुतों को ऑफेंड कर देगी। और हो भी क्यों न, पड़ोस वाले पीपल से लेकर मंगल तक महिलाओं ने अपना दबदबा बना लिया है। जहां बात मंगल की हो रही है तो हाल ही में विद्या बालन, सोनाक्षी सिन्हा, अक्षय कुमार अभिनित 'मिशन मंगल' का टीजर लॉन्च हुआ है। इसमें साड़ी पहने हुए घर में काम करती हुई महिलाएं ही मंगल ग्रह के लिए सैटेलाइट भेजने वाले मिशन में सफलता पूर्वक काम कर रही हैं। ये कोई फिल्मी कहानी नहीं बल्कि Indian Space Research Organisation (Isro) की असली कहानी है।
मिशन मंगल में अक्ष्य कुमार, विद्या बालन, तापसी पन्नू, निथ्या मेनन, कीर्ति कुल्कर्णी, शर्मन जोशी ऑन स्क्रीन तो अपना किरदार निभा रहे हैं और बेहद अच्छा टीजर भी दिखा चुके हैं।
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पर असली कहानी से अनजान लोग उन महिलाओं को नहीं जानते जिनकी जिंदगी को ये अभिनेत्रियां पर्दे पर जी रही हैं। ये हैं मिशन मंगल की असली हिरोइनें। दो साल पहले ISRO ने सफलता पूर्वक मंगल ग्रह के कक्ष में भारतीय सैटेलाइट लॉन्च की थी। इसके बाद एक फोटो वायरल हुई थी जिसमें साड़ी पहने और सिर पर गजरा लगाए महिलाएं खुशियां मना रही थीं। ये फोटो सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुई थी। ये ISRO का वर्किंग स्टाफ था।
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मिशन मंगल के लिए तीन महिलाओं ने कर्मठता का परिचय दिया।
1. रितु करीधल, डेप्युटी ऑपरेशन डायरेक्टर, Mars Orbiter Mission
बचपन से ही रितु आसमान की ओर आकर्षित थीं। चांद को बढ़ते और घटते देख उन्हें उसका कारण जानने का मन करता था। वो अंतरिक्ष से जुड़ी जितनी भी जानकारी जुटा सकती थीं जुटाती थीं। चाहें वो न्यूजपेपर आर्टिकल से हो या फिर किसी मैग्जीन से। 18 साल से रितु ISRO में काम कर रही हैं। जिस मिशन के बाद वो फेमस हुईं वो 2012 अप्रैल में शुरू हुआ था। 18 महीने थे वैज्ञानिकों के पास मंगल मिशन के लिए।
रितु कहती हैं कि ये टीम वर्क था। सभी एक साथ काम करते थे। रितु दो बच्चों की मां हैं और मिशन के समय उनका बेटा 11 साल का और बेटी 5 साल की थी। वो ऑफिस और घर के बीच समय निकालती थीं और काम से थकने के बाद भी परिवार को नजरअंदाज नहीं करती थीं।
रितु की कहानी भी उन हज़ारों-लाखों महिलाओं की कहानी की तरह है जो अपने घर-परिवार को ध्यान में रखते हुए भी अपने करियर में वो मुकाम हासिल कर लेती हैं जो बिना मेहनत किसी को नहीं मिलता। महिलाओं के संघर्ष की कई कहानियां अपने आस पास मिल जाएंगी।
2. नंदिनी हरीनाथ, डेप्युटी ऑपरेशन डायरेक्टर, Mars Orbiter Mission
स्टार ट्रेक टीवी पर देखकर नंदिनी को सबसे पहले सितारों और साइंस की जानकारी मिली थी। मैथ्स की टीचर मां और इंजीनियर पिता के कारण बचपन से ही उन्हें फिजिक्स अच्छी लगने लगी। साइंस फिक्शन का शौख होने के साथ-साथ उन्हें वैज्ञानिक बनने की ललक जागी। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो ISRO में जाएंगी, लेकिन ये हो गया। ये पहली नौकरी थी जिसे उन्होंने अप्लाई किया था और वो उन्हें मिल गई। अब इसे 20 साल हो गए हैं।
नंदिनी कहती हैं कि ये न सिर्फ उनके बल्कि पूरे भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण पल था। पहली बार ISRO की तरफ से फेसबुक पर इस मिशन की जानकारी दी जा रही थी और पूरी दुनिया की नजर उनपर थी।
अब लोग उन्हें एक वैज्ञानिक के तौर पर जानने लगे हैं और ये उन्हें बहुत अच्छा लगता है। उन्हें ये बहुत अच्छा लगा कि 2000 रुपए के नोट पर मंगलयान की तस्वीर दिखाई गई। उनके अनुसार ये आसान असाइन्मेंट नहीं था, लेकिन सभी ने बहुत मेहनत की। शुरुआत में वैज्ञानिक 10 घंटे रोज़ काम कर रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे इसकी तारीख नजदीक आई ये 12 - 14 घंटे हो गया। लॉन्च के वक्त तो ये लोग घर भी नहीं जाते थे, शायद 20-22 घंटे बाद थोड़ी देर के लिए घर निकलते थे फिर आ जाते थे।
नंदिनी की बेटी की परीक्षा भी इसी समय हुई थी। घर और काम के बीच उन्हें काफी मुश्किल हो रही थी सब कुछ मैनेज करने में। मिशन मंगल सफलता थी, लेकिन ये अब पुराना हो गया है अब हमें फ्यूचर में देखना है।
3. अनुराधा टीके, Isro सैटेलाइट सेंटर में Geosat प्रोग्राम डायरेक्टर
अनुराधा ने 1982 में ISRO से नाता छोड़ा था। वो 34 साल से इसके साथ हैं। जब उन्होंने अंतरिक्ष के बारे में सोचा था तो वो 9 साल की थीं। वो अंतरिक्ष में कम्युनिकेशन सैटेलाइट भेजने में एक्सपर्ट हैं। ये भारत से 36000 किलोमीटर दूर रहते हैं।
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ये महिला वैज्ञानिक पहले चंद्रमा के मिशन से प्रेरित हुई थीं। उन्होंने कन्नड़ में इसे लेकर एक कविता भी लिखी थी। जब उन्होंने इसरो ज्वाइन किया था तब बहुत कम महिलाएं इस तरह के काम करती थीं। वो बचपन से अपनी कल्पनाओं में अंतरिक्ष की सैर करती थीं।
वो ये बात नहीं मानतीं कि भारतीय महिलाएं विज्ञान के लिए नहीं बनीं। आज 20-25% महिला कर्मचारी हैं इसरो में। ये करीब 16000 लोग होते हैं। वो कहती हैं कि महिलाओं का इसरो में काम करना प्रेरणात्मक है। एक बार युवा लड़कियां देखेंगी कि कितनी स्पेस साइंटिस्ट हैं इसरो में तो उन्हें प्रेरणा मिलेगी। अनुराधा के पति, माता-पिता और ससुराल वाले उनके काम में कभी अड़चन नहीं बने।
बॉलीवुड की फिल्मों का टिकट खरीदने वाले शायद कम ही जानते हैं कि उन फिल्मों की असली कहानी क्या है और उसके पीछे कौन से लोग हैं। अब तो आप मिशन मंगल के बारे में जान ही चुके होंगे।
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