अब आप बड़े पर्दे पर देख सकेंगे मलाला की जिंदगी क्योंकि ‘गुल मकाई’ का मोशन पोस्टर आउट हो गया है। बॉलिवुड में इन दिनों बायॉपिक या फिर सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्में ज्यादा बन रही हैं और लोग इन्हें काफी पसंद भी कर रहे हैं।
जहां 'राजी', 'परमाणु' और 'संजू' जैसी फिल्में पर्दे पर कमाल कर चुकी हैं वहीं 'सूरमा', 'गोल्ड', और 'मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी' जैसी फिल्में लाइन में लगी हैं। अगर सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्मों को देखा जाएं तो राजी, परमाणु और संजू फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही है और ऐसे में 'सूरमा', 'गोल्ड', और 'मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी', ‘गुल मकाई’ भी सुपरहिट रहेंगी ऐसी उम्मीद रखी जा रही है।
The motion poster of 'Gul Makai' is here to titillate your film craving soul for sure.@akhandirector @divyadutta25 @atul_kulkarni @reem4you @Malala #GulMakai #GulMakaiPosterOut #gulmakaibiopic #malala #GulMakaiMotionPoster #amjadkhan pic.twitter.com/mMajQMzP9x
— GulMakai The Film (@gulmakaifilm) July 3, 2018
इसी बीच नोबेल पुरुस्कार विजेता मलाला युसुफजई की बायॉपिक 'गुल मकाई’ का मोशन पोस्टर रिलीज हो गया है। इस टीजर में मलाला युसुफजई को हाथ में जलती हुई किताब लिए दिखाया गया है। इसके बैकग्राउंड में कबीर बेदी की आवाज में कहा गया है, “यह तब की बात है जब जिहाद और धर्म के नाम पर तालिबान पाकिस्तान और अफगानिस्तान को तबाह कर रहा था, तभी पाकिस्तान के एक छोटे वे गांव से एक आवाज उठी।“
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सामाजिक कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई के जीवन पर आधारित फिल्म ‘गुल मकई’ का मोशन पोस्टर रिलीज कर दिया गया है। इस फिल्म में एक्ट्रेस रीम शेख मलाला का किरदार निभाती हुईं नजर आएंगी। इस फिल्म का निर्देशन अमजद खान ने किया है। ये फिल्म पाकिस्तान से शुरू मलाला की जिंदगी के संघर्ष और कठिनाइयों को दर्शकों के सामने पेश करेगी।
आपको बता दें कि तालिबान ने लड़कियों को स्कूल ना जाने का फरमान जारी किया था लेकिन बावजूद इसके उन्होंने लड़कियों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित किया और तालिबान के खिलाफ अपना अभियान चलाया। उन्होंने 11 साल की उम्र से ही ‘गुल मकई’ नामकी एक डायरी लिखी और तालिबान के खिलाफ अपना अभियान यूं ही जारी रखा।अगर आपको मलाला के बारे में विस्तार से जानना हैं तो इस किताब को आप यहां से केवल 95 रुपय में खरीद सकती हैं।
आपको बता दें कि मलाला युसुफजाई पाकिस्तान की ऐक्टिविस्ट हैं जो वहां बचपन से महिला शिक्षा के लिए जागरुकता का काम कर रही थीं। 2012 में तालिबानियों ने उन्हें गोली मार दी थी जिसके बाद ब्रिटेन में उनका इलाज किया गया। 2014 में मलाला को शांति का नोबेल पुरुस्कार मिला था।
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