तेज तर्रा राजनेता, गरीबो की मसीहा, ईमानदार शासक, चित्रकार, कवि, साधारण घरेलू महिला और मुख्यमंत्री। ममता बनर्जी की पहचान अलग-अलग लोगों के बीच अलग-अलग है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बारे में जब बात होती है तो लोगों के जहन में उन्हें लेकर अलग-अलग विचार बनते हैं। मगर एक बात जिसे न केवल ममता के दोस्त बल्कि दुश्मन और आलोचक तक मानते हैं वो यह है कि ममता जमीन से जुड़ी हुई एक मजबू महिला हैं, जिन्हें न तो पैसों का लालच है न ही सत्ता का। वह तो बस इमानदारी की राजनीति करती हैं और ठोस कदम उठाने में उन्हें डर नहीं लगता। ममता के व्यक्तित्व से जुड़ी यह बातें अधूरी हैं। उनके जीवन से जुड़े कई रोचक तथ्य हैं जो उनके व्यक्तित्व को परिभाषित करते हैं। आज उनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों को हम आप से शेयर करेंगे।
बचपन से ही था देश भक्ति का जज्बा
5 जनवरी 1955 में कोलाकाता में जन्म लेने वाली ममता बनर्जी को देश की पहली महिला रेल मंत्री होने का गौरव प्राप्त है। ममता के पिता स्वतंत्रता सेनानी थे उनके जन्म के कुछ साल बाद ही उनके मृत्यु हो गई थी। मगर पिता की वीरता की कहानी मां से सुनन सुनन कर बड़ी हुई ममता के अंदर भी देश भक्ति के अंकुर फूटने लगे। स्कूली दिनों से ही उनको देश की राजनीति से लगाव हो गया। कॉलेज में आते ही 70 के दशक में उनके तेज तेवरों को देखते हुए उन्हें कांग्रेस का महासचिव बना दिया गया । ममता के लिए यह मौका देश की राजनिति में कदम रखने की पहली सीढ़ी की तरह था। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और 1976 से 1980 तक वे महिला कांग्रेस की महासचिव रहीं. 1984 में ममता ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के वरिष्ठ नेता सोमनाथ चटर्जी को जादवपुर लोकसभा सीट से हराया. उन्हें तब देश की सबसे युवा सांसद बनने का गौरव प्राप्त हुआ था। मगर कांग्रेस के साथ ममता का सफर वर्ष 1997 में खत्म हो गया और 1 जनवरी 1998 को उन्होंने अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस बनाई. वह पार्टी की अध्यक्ष बनीं.
दूध बेच कर किया गुजार
पिता की मौत के बाद ममता की मां पर 5 बच्चों को पालन पोषण की जिम्मेदारी आ गई। घर में हमेशा आर्थिक तंगी ही रहती। मगर अपनी मां की मदद के लिए ममता हमेशा आगे रहतीं। बचपन में ही ममता ने दूध बेचने का काम शुरु कर दिया था कि मां की कुछ आर्थिक मदद की जा सके।
पढ़ाई में तेज थीं ममता
ममता बनर्जी को जितना शौक देश की राजनीति को समझने में था उतने ही शौक से वह पढ़ाई भी करती थीं। ममता का दिमाग तेज था और क्लास में वह हमेशा अव्व्ल ही रहती थीं। उन्हेंने कोलकाता के जोगमाया देवी कॉलेज से इतिहास में ऑनर्स की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद कोलकाता विश्वविद्यालय से उन्होंने इस्लामिक इतिहास में मास्टर डिग्री ली। इस विषय में पढ़ाई् करने की वजह से आज भी लोगों में भ्रांती है कि ममता ने मुस्लिम धर्म अपना लिया था मगर इस बात में बिलकुल भी सच्चाई नहीं है। मास्टर डिग्री के बाद भी जब ममता का पढ़ाई से मन नहीं भरा तो उन्होंने बीएड की डिग्री भी ली और साथ ही कोलकाता हके जोगेश चंद्र चौधरी लॉ कॉलेज से उन्होंने कानून की पढ़ाई भी की।
साधारण जीवनशैली है पसंद
आपने राजनेताओं की जीवनशैली और उनके रहन सहन के बारे में सुना ही होगा। बेशकर वह ज्यादा स्टाइलिश कपड़े नहीं पहनते मगर हर किसी का अपना अलग स्टाइल होता है। खासतौर पर महिला राजनेताओं की वॉर्डरोब ही अलग होती है। कोई कॉटन साड़ी पहनना पसंद करती है तो कोई साड़ी पर सदरी पहनना पसंद करती हैं। मगर ममता बनर्जी का स्टाइल बेहद आप है। वह कॉटन की सफेद साड़ी पहनती हैं। चाहे घर में हों या संसद भवन में, रैली में हो या किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में, ममता को हमेशा साधारण सफेद रंग की साड़ी पहनना पसंद है। हां कभी-कभी उनकी साड़ी में नीले या किसी हलके रंग का बॉर्डर जरूर देखने को मिल जाता है। इसके साथ ही ममता पैरों में रबड़ की हवाई चप्पल पहनती हैं। महंगे जेवर और कॉस्मैटिक्स का भी उन्हें कोई शौक नहीं है।
पुराने मकान में रहती हैं ममता
देश के सभी राजनेताओं को जहां सरकारी बंगले और सरकारी गाडि़यां मिली हुई हैं वहीं ममता को यह सब कुछ मिलने के बाद भी वह इनका इस्तेमाल नहीं करती हैं। आज भी ममता कोलकाता में बने अपने उसी घर में रहती हैं जहां उनका जन्म हुआ था। ममता का घर इतना पुराना है कि बारिश के मौसम में जगह-जगह से चूता भी है। घर के दरवाजे इतने तंग हैं कि पहली बार जो ममता के घर जाए उसे इन दरवाजों से अंदर घुसना तक मुशिकल हो लगेगा। जब ममता के घर पहली बार अटलबिहारी बाजपई गए थे तब वह यह देख दंग रह गए कि इतनी बड़ी राजनेता होने के बावजूद वह इस तरह का साधारण जीवन जी रही हैं।
चित्रकार, कुक और कविहैं ममता
ममता बनर्जी आज भी जब वक्त मिलता है खुद ही खाना पकाती हैं। उन्हें खाना बनाने का शौक तो है मगर खाना खिलाने का शौक भी है। इसके अलावा ममता बहुत अच्छी पेंटर भी हैं। पेंटिंग के अलावा उन्हें कविताएं लिखना भी बहुत पसंद है। ममता बनर्जी को खेलों खासकर क्रिकेट से गहरा लगाव है.
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