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दो वक्त की रोटी मिलती थी मुश्किल से आज दुनिया ‘किसान चाची’ के नाम से जानती है

दो वक्त की रोटी राजकुमारी देवी को मुश्किल से मिलती थी और आज बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की रहने वाली राजकुमारी को दुनिया ‘किसान चाची’ के नाम से जानती है। 
Editorial
Updated:- 2019-02-26, 14:39 IST

दो वक्त की रोटी राजकुमारी देवी को मुश्किल से मिलती थी और आज बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की रहने वाली राजकुमारी को दुनिया ‘किसान चाची’ के नाम से जानती है। गांव में मीलों साइकिल चलाकर किसानों के बीच क्रांति की अलख जगाने वाली किसान चाची आज हजारों महिलाओं को प्रेरित कर रही हैं। गांव की आम महिला से किसान चाची के रूम में नाम बनाने का सफर काफी संघर्ष से भरा है।

आमतौर पर किसानी क्षेत्र में पुरुषों का वर्चस्व रहा है लेकिन बिहार के मुजफ्फरपुर जिला के सरैया प्रखंड के आनंदपुर गांव की रहने वाली 63 वर्षीय राजकुमारी देवी उर्फ 'किसान चाची' ने ना केवल इस क्षेत्र में पुरुषों को पीछे छोड़ दिया बल्कि अब उनकी मांग एक मोटिवेटर के रूप में होने लगी है। वह अब क्षेत्रों में जाकर ना केवल महिलाओं को खेती के बारे में बता रही हैं बल्कि महिलाओं को सशक्तिकरण का पाठ भी पढ़ा रही हैं।

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राजकुमारी बनीं किसान चाची 

सरैया गांव की रहने वाली राजकुमारी को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा के बाद अब इनकी पहचान देशभर में होने लगी है। कृषि की उन्नत तकनीक और मिट्टी की गुणवत्ता की कुशल परख रखने वाली किसान चाची आज सफल खेती का दूसरा नाम बन चुकी हैं।

किसान चाची कहती हैं, "मैं अक्सर देखती थी कि महिलाएं सिर्फ खेत में मजदूरी करते हुए ही नजर आती थीं। उन्हें किसी प्रकार का कृषि तकनीकी ज्ञान नहीं हुआ करता था। वे सिर्फ पुरुषों के बताए अनुसार ही कार्य करती थीं। जब महिलाएं खेत में मेहनत करती ही हैं तो क्यों ना बेहतरीन कृषि तकनीक सीख कर मेहनत करें। मैंने तय किया कि मैं पहले खुद कृषि तकनीकी ज्ञान लूंगी और साथ ही दूसरी महिलाओं को इसके लिए प्रेरित करूंगी।"

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साथ ही उन्होंने बताया कि वो आज गांव-गांव जाकर महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बनाने लगीं हैं। वह महिलाओं को खेती और मूर्ति बनाने के तरीके सिखा रही हैं। 

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‘किसान चाची’ बनने तक का सफर 

किसान चाची का जन्म एक शिक्षक के घर में हुआ था। उस समय जल्द ही शादी कर देते थे इसलिए मैट्रिक पास होते ही 1974 में उनकी शादी एक किसान परिवार में अवधेश कुमार चौधरी से कर दी गई। शादी के बाद वह अपने परिवार के साथ मुजफ्फरपुर जिले के आनंदपुर गांव में रहने लगी। राजकुमारी शिक्षिका बनना चाहती थी लेकिन परिजनों के विरोध के कारण वह ऐसा नहीं कर सकी। पति की बेराजगारी और परिवार की आर्थिक तंगी के कारण खेती को ही अपना लिया। बिहार सरकार ने राजकुमारी को वर्ष 2006-07 में 'किसान श्री' से सम्मानित किया। सरैया कृषि विज्ञान केंद्र की सलाहकार समिति की सदस्य बनाई गई। उनकी सफलता की कहानी पर केंद्र सरकार के कृषि विभाग द्वारा वृत्तचित्र का भी निर्माण कराया गया है। एक्टर अमिताभ बच्चन भी 'कौन बनेगा करोड़पति' में किसान चाची की लगन और मेहनत के कायल हो चुके हैं। किसान चाची कई महिलाओं को अपने घर पर ही महिलाओं को खेती और अचार बनाने का तरीका भी सिखा रही हैं।

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किसान चाची का कहना है, "आज के दौर में घरेलू उत्पाद की बिक्री को बढ़ावा देने और निर्यात प्रोत्साहन आदि की दिशा में सरकार अवसर प्रदान करें। हर घर में महिलाओं द्वारा निर्मित अचार, मुरब्बा के लिए बाजार उपलब्ध हो।"

 

राजकुमारी देवी आज इस उम्र में भी दिन भर में 30 से 40 किलोमीटर साइकिल चलाती हैं और गांवों में घूम-घूमकर किसानों के बीच मुफ्त में अपने अनुभव को बांटती है।

Source: IANS 

 

 

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