भारतीय राजनीति में महिलाओं ने हमेशा बढ़कर भाग लिया। यही वजह थी आजादी के बाद तमाम महिला हस्तियां उभरकर सामने आईं। जिनमें इंदिरा गांधी, सरोजिनी नायडू और सुचेता कृपलानी जैसी महिला राजनीतिज्ञों ने देश का गौरव बढ़ाया। हालांकि उस दौर में भी महिलाएं राजनीति में बड़ी जिम्मेदारियां नहीं संभालती थी। ऐसे में उस दौर में किसी महिला का मुख्यमंत्री के रूप में सामने आना बड़ी बात थी।
आज के इस आर्टिकल में हम आपको आजाद भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री के बारे में बताएंगे।
कौन हैं सुचेता कृपलानी?
सुचेता कृपलानी आजाद भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री रहीं। वहीं आजादी की जंग में भी सुचेता स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उभरकर सामने आईं थीं। इतना ही नहीं देश के संविधान ड्राफ्टिंग में भी सुचेता कृपलानी का अहम योगदान रहा। यही वजह है कि उन्हें मुख्यमंत्री बनने के लिए प्रथम दावेदारों में से एक माना गया।
सुचेता कृपलानी का बचपन
सुचेता कृपलानी का जन्म 25 जून 1908 को हरियाणा के अंबाला में हुआ। सुचेता बंगाली परिवार से थीं। उनके पिता नाम एस.एन मजूमदार ब्रिटिश सरकार के अधीन डॉक्टर थे।
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सुचेता कृपलानी की शिक्षा
सुचेता कृपलानी की शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के इन्द्रप्रस्थ और सेंट स्टीफन कॉलेज से हुई। पढ़ाई पूरी करने के बाद सुचेता ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में कार्य करना शुरू कर दिया।
आजादी की लड़ाई में सुचेता कृपलानी की भूमिका
साल 1936 में सुचेता की शादी आचार्य जीवतराम भगवानदास कृपलानी से हुई। शादी के बाद सुचेता आजादी की लड़ाई में सक्रिय हो गईं। भारत छोड़ो आंदोलन में वो मोर्चे पर खड़ी रहीं। जब देश का विभाजन हुआ तब सुचेता ने गांधी जी साथ मिलकर काम कई महत्वपूर्ण कार्य किए।
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सुचेता कृपलानी का राजनीतिक करियर
आजादी की जंग में सुचेता कृपलानी ने अहम भूमिका निभाई। उस दौरान ही वो राजनीति में सक्रिय हुईं। साल 1952 में सुचेता कृपलानी लोकसभी की सदस्य के रूप में निर्वाचित हुईं। साल 1957 में दिल्ली सरकार की विधानसभा में का सदस्य बनाया गया, जहां उन्हें लघु उद्योग मंत्रालय दिया गया। साल 1962 में सुचेता कानपुर से विधानसभा सदस्य चुनी गईं, इसी के साथ साल 1963 में देश को उसकी पहली महिला मुख्यमंत्री मंत्री मिली।
कार्यकाल के दौरान साल 1967 में एक बार फिर सुचेता ने गोंडा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता। साल 1971 में सुचेता ने राजनीति से संन्यास ले लिया। साल 1974 का समय था, जब सुचेता कृपलानी ने दुनिया को अलविदा कहा।
संविधान सभा में किया महिलाओं का प्रतिनिधित्व
जब देश का संविधान बनाया गया। तब उसके लिए अलग सभा का गठन किया गया। उस दौरान सुचेता ने महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने भारत के संविधान में महिलाओं के अधिकारों को और मजबूत बनाया।
तो ये थी सुचेता कृपलानी की इंस्पायरिंग कहानी जो हजारों महिलाओं को राजनीति में जाने के लिए प्रेरित करती है। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
image credit- wikipedia
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