कौन हैं बाकुला बाकुला पेशे से पेंटर हैं और खास किस्म की पेंटिंग करती हैं। उनकी पेंटिंग्स में महंगे कैनवास नहीं होते। बाकुला पुराने कागजों को कैनवास की तरह इस्तेमाल कर पेंटिंग्स बनाती हैं। हैरानी की बात तो यह है कि यह पुराने कागज भी कोई ऐसे वैसे नहीं बल्कि कोई 100 साल पुराना है, तो कोई 200 साल पुराना कागज होता है।
कहां से करती है पुराने कागज इकट्ठा
बकुला बताती हैं, मुझे बचपन से ही पुरानी चीजें को इकट्ठा करने का शौक था। पुराने पोस्ट,कार्ड और लेटर्स भी मैं इकट्ठा करती थी। उन्हें देखकर मैं एक अलग ही दुनिया में खो जाती थी। कहीं भी घूमने जाती तो पूरानी चीजें बटोर लेती। कई बार तो कबाड़ से पुराने कागज खरीदती और अपनी सारी पॉकेटमनी उसमें खर्च कर देती। यह आदत आज भी कायम है। इस तरह से मैं पुराने कागज इकट्ठा करती थी।
कैनवास के लिए पुराने कागज ही क्यों
मेरे पर दर्जन भर पूराने कागज पड़े हैं। कई गलने तक लगे हैं। उन्हें हमेशा यादों में संजो कर रखने के लिए मैं उनकी को एक कागज पर चिपका कर उन पर पेंटिंग बना लेती हूं। इससे यह कागज हमेशा के लिए फ्रेम मे कैद हो जाते हैं।
पेंटिंग में क्याे है खास
बाकुला ने तमिल के प्राचीन संगम साहित्य की 15 अलग अलग कविताओं को चुन कर उन पर पेंटिंग्स बनाई हैं. सभी पेंटिंग्स प्रेम कथाओं पर आधारित हैं. बाकुला ने इन पुरानी कथाओं को नए रंग और ढंग में पिरोने की कोशिश की और कुछ अपने पुराने अनुभवों को याद करके पेंटिंग्स बनाई हैं। अपनी अधिकतर पेंटिंग्स में बाकुला ने बर्ड्स को कैरेक्टर की तरह इस्तेमाल किया है. इससे भी दिलचस्प बात यह है कि बाकुला ने इन पेंटिंग्स को वर्ष 1910 के लीगल पेपर्स, बिल्स, टिकट्स, लव लेटर्स पर उकेरा है. वहं कहती हैं, पुराने पीले रंग के कागज मुझे पूराने जमाने की याद दिलाते हैं, उनमें लिखी तारीखें मुझे उस समय की घटनाओं को याद कराती हैं। मैं उनके दृश्यों को अपने दिमाग में खींच लेती हूं। कुछ ऐसा ही मैंने संगम साहित्य को पढने के बाद किया और फिर उन पर पेंटिंग्स बना दीं।
क्या है संगम साहित्य
संगम साहित्य 4000 वर्ष पुराना तमिलियन साहित्य है. इस साहित्य में 2500 कविताओं का संग्रह है जिसमें से लगभग 500 कविताओं को फेमस पोयट ए.के रामानुजम ने अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया है।
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