पुरुषों की तरह महिलाएं भी करियर बनाना चाहती हैं और कामयाबी हासिल करना चाहती हैं, लेकिन घर-गृहस्थी संभालने और बच्चों की परवरिश में अक्सर उन्हें अपना टैलेंट दिखाने का मौका नहीं मिलता। घर-परिवार की जरूरतें पूरी करने में महिलाएं अपने बारे में सोच नहीं पातीं, लेकिन वक्त बीतने के बाद उन्हें इस बात का अहसास होता है कि वे भी अपना करियर बना सकती थीं। बहुत सी महिलाएं 40 की उम्र तक आते-आते इसी फीलिंग की वजह से डिप्रेशन की शिकार होने लगती हैं। ऐसी ही महिलाओं को जीने का नया नजरिया दिया है 94 साल की हरभजन कौर ने। हरभजन ने 94 साल की उम्र में जिस तरह से एंट्रेप्रिन्योरशिप की शुरुआत की, वह हर महिला के लिए मिसाल है। हरभजन की अपने काम के लिए लगन और जज्बे को आनंद महिंद्रा ने भी सलाम किया है और उन्हें 'एंट्रेप्रिन्योर ऑफ द इयर' करार दिया है।
हरभजन को उनकी बेटी ने किया प्रेरित
हरभजन कौर की बेटी ने उन्हें अपना काम शुरू करने के लिए प्रेरित किया। दरअसल हरभजन सिंह ने एक दिन अपनी बेटी से कहा, 'मैं अब तक एक रुपया भी नहीं कमाया।' उनकी बेटी ने इस बात पर बहुत ज्यादा विचार किया और तभी उन्होंने अपनी मां को बर्फी बनाने के लिए इंस्पायर किया।
हरभजन कौर की बेटी ने एक बड़े मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में कहा, 'मेरी मां इतनी ज्यादा टैलेंटेड रही हैं कि हमें कभी भी खाना खाने के लिए बाहर जाने की जरूरत महसूस नहीं हुई। हमने बाहर से चॉकलेट भी नहीं खाई। मां वाकई बहुत अच्छा खाना बनाती हैं। हमने बचपन से ही मां की बेसन की बर्फी खाई है। इसीलिए मैंने उन्हें इसी से बिजनेस शुरू करने के लिए कहा।'
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मां की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए हरभजन की बेटी ने घर के नज़दीक के सेक्टर 18 के ऑर्गेनिक बाज़ार में कॉन्टेक्ट किया और वहां से मिला गया 5 किलो बेसन बर्फी का पहला ऑर्डर। इसके बाद हरभजन कौर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। धीरे-धीरे उनके टेस्टी डेजर्ट्स की चर्चा उनके पड़ोसियों और परिचितों में भी होने लगी। हरभजन कौर का बिजनेस लगातार बढ़ता गया और उनकी रसोई में ऑर्डर पर कई दूसरे आइटम्स भी तैयार होने लगे। इनमें बादाम का शरबत, लौकी की आइसक्रीम, टमाटर की चटनी, दाल का हलवा और टेस्टी अचार जैसी चीजें शामिल थीं। हालांकि इन सामानों की डिलिवरी में थोड़ा वक्त लगता था, लेकिन हरभजन के हाथों के बने स्पेशल आइटम्स का टेस्ट बहुत अलग था, इसीलिए उनके फैन्स की तादाद भी बढ़ती गई।
हरभजन को उनके काम में उनकी बेटियां और नातिन भी मदद करती हैं, लेकिन वह खुद पूरे काम पर नजर रखती हैं। घर का कोई भी सदस्य बिना उनकी इजाजत के उनकी रसोई से सामान नहीं छू सकता। मेवे बीनने, छांटने, धोने-सुखाने से लेकर डेजर्ट्स बनाने के पारंपरिक तरीकों को वह खुद ही मॉनिटर करती हैं और इसीलिए उनकी स्वीट डिशेज का स्वाद ही अलग होता है। हरभजन ने अपनी स्पेशल बेसन की बर्फी के दम पर अपनी अलग पहचान बनाई। इसे उन्होंने अपने पिता से बनाना सीखा था और इस तरह से उन्होंने अपनी परंपरा को आगे बढ़ाने के साथ 100 साल पुराना स्वाद का जादू भी कायम रखा। हरभजन ने अपने शैफ नाती के साथ अपनी रेसिपीज शेयर की हैं और फिलहाल वह अपनी दादी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
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