एक वक्त जब बिहार क्राइम स्टेट के नाम से फेमस था मगर अब बिहार ने थोड़ी और तरक्की कर ली है और अब क्राइम स्टेट के साथ ही चीटिंग एक्सपर्ट स्टेट के नाम से भी उसे जाना जाने लगा है। जी हां, बीते दिनों बिहार से आईं कई ऐसी खबरे सुर्खियां बन गई, जिनमें बच्चों चीटिंग कराने और धोखाधड़ी से पास होने के मामले शामिल थे। मगर ऐसा जरूरी तो नहीं कि हर आदमी एक जैसा ही हो। हर व्यक्ति की अलग खूबी होती है। माना कि बिहार में एजुकेशन सिस्टम को खोखला साबित करने वालों की कमी नहीं हैं मगर इसी बिहार से निकली एक ऐसी लड़की भी है , जो एजुकेशन सिस्टम बिगड़ चुके ढांचे को सुधारने में लगी हुई हैं।
हम बात कर रहे हैं, बेंगलूरू की आकांक्षा की। आकांक्षा मूल रूप से बिहार के पटना से हैं और रोबोट्स बनाती हैं। क्या हुआ आप हैरान रह गए न? मगर यह सच है। आकांक्षा ऐसे रोबोट्स बनाती हैं, '' जो बच्चों को पढ़ने में मदद करते हैं। वह बताती हैं, मैंने बचपन में सुना था कि खेल-खेल में पढ़ाई गई चीजें बच्चों को जल्दी समझ में आती हैं और पढ़ाई बोझ भी नहीं लगती। मगर आज के एजुकेशन सिस्टम में खेल है। पढ़ाई के नाम पर बच्चों को बस मोटी मोटी किताबें दे दी जाती हैं, जो कुछ समय बाद बच्चों को बोर करने लगती हैं। एक समय आता है जब बच्चा इन किताबों से दूर भागने लगता है और पढ़ाई से उसका दिल उठ जाता है। जब एग्जाम आते हैं तो वह चीटिंग का सहारा लेता है। ऐसा आज से नहीं कई सालों से होता आ रहा है। कहीं ज्यादा तो कहीं कम मगर एग्जाम के समय चीटिंग हर स्कूल में होती है। मेरे भी स्कूल में होती थी। तब मुझे बुरा लगता था कि मैं तो रात भर महनत कर के एक एक चीज याद करके आती हूं और दूसरा बच्चा चीटिंग करके पास हो जाता है। मगर तब मुझे यह फील नहीं होता था कि इस बोरिंग ऐजुकेशन सिस्टम के चलते बच्चे ऐसा करते हैं। मगर जब बिहार में बच्चो के चीटिंग करने वाली खबर आई तो मुझे लगा कि अब तो कुछ करना चाहिए । ''
कैसे मिला आइडिया
आकांक्षा पेशे से इंजीनियर हैं। स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद बेंगलूरु के एक कॉलेज से उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग पढ़ाई पूरी की और एक अच्छी आईटी कंपनी में जॉब करने लगीं। वह बताती हैं, '' जॉब अच्छी थी मगर मेरा मन हमेशा कुछ क्रिएटिव करने को होता था। कुछ ऐसा जो अब तक किसी न किया हो और वह काम लोगों की मदद करें। मगर कुछ समझ नहीं आता था। उन्हीं दिनों पटना में बच्चों के चीटिंग करने की खबर भी सुर्खियों पर थी। मैं यह तो पता था कि बच्चे पढ़ाई से बोर हो कर ही ऐसी हरकत करते हैं मगर मैं यह नहीं समझ पा रही थी कि आखिर क्या करूं की पढ़ाई को बच्चों के लिए थोड़ा इंट्रेस्टिंग बना दूं। तब ही मुझे कंपनी की तरफ से चाइना भेजा गया। वहां मैंने देखा कि बच्चों को बड़े ही इंट्रेस्टिंग ढंग से पढ़ा जाता है। वे लोग रोबोट की मदद से बच्चों को पढ़ाते हैं। बस मुझे आइडिया वहीं से आइडिया मिला। मैं सोच रही थी जब चाइना के बच्चे रोबट्स से पढ़ सकते हैं तो इंडिया के क्यों नहीं।''
नौकरी छोड़ बनाए रोबोट्स
आइडिया तो अकांक्षा को मिल ही चुका था। अब उन्हें इस आइडिया को एग्जिक्यूट करना था। वह बताती हैं, '' मैंने इंडिया आते ही सबसे पहले अपनी जॉब छोड़ी और रोबोट्स बनाने की ट्रेनिंग ली। इसके बाद मैंने तय कर लिया कि इस तरह का रोबोट बनाउंगी, जो बच्चों को उनकी पढ़ाई में हैल्प करेगा। मैंने एक कंपनी के साथ मिलकर इसपर काम शुरू किया और काफी रिसर्च और कोशिशो के बाद मैं एक टॉय रोबोट बना सकी जो खासतौर पर बच्चों को उनकी पढ़ाई में हेल्प करने के लिए था।''
क्या करता है अकांक्षा का रोबोट
अकांक्षा द्वारा बनाए गए रोबोट की कीमत 10 से 15 लाख रुपए है। 2 फीट लंबे इस रोबोट का नाम नीनो है। नीनों स्कूल लेवल की पढ़ाई के लिए तैयार किया गया है। इसमें कोर्स की सारी चीजें फीड हैं जो आसान तरीके से बच्चों को पढ़ाई में हेल्प करती हैं। यह रोबोट बात भी कर लेता है। इसे ऐप या फिर वॉइस के द्वारा कंट्रोल किया जाता है। अभी इस रोबोट को लांच नहीं किया गया है मगर जल्द ही अकांक्षा इसे पटना में लांच करने वाली हैं।
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