योग से नया जीवन पाने वाली ये महिला दूसरी महिलाओं को सीखा रही हैं रोग से निरोग रहने का तरीका

शरीर में कमर दर्द, अर्थराइटिस, ट्यूमर और कब्ज जैसी बीमारियां ने घर कर लिया था और मोटापे के कारण कुछ दूरी तक पैदल चलना भी दूभर हो गया था। लेकिन हार नहीं मानी और योग की मदद से निरोग हुई। 

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योग एक प्राचीन भारतीय पद्धति है जिसमें शरीर, मन और आत्‍मा तीनों पर एक साथ काम किया जाता है। जी हां योग के माध्‍यम से बॉडी, मन और ब्रेन को पूर्ण रूप से हेल्‍दी किया जा सकता है। तीनों के हेल्‍दी हरने से आप खुद को हेल्‍दी महसूस करती हैं। देश-विदेश में भले ही 'योगगुरु' के रूप में बाबा रामदेव को प्रसिद्धि मिली हो लेकिन बिहार के नवादा में 'योगगुरु' के रूप में एक ऐसी महिला चर्चित हैं जिन्हें बीमारियों के कारण उनके पांच बेटों ने उन्हें छोड़ दिया था। आज यह महिला न केवल योग के कारण पूरी तरह हेल्‍दी हैं, बल्कि पिछले सात सालों से अन्य महिलाओं को भी योग की शिक्षा देकर हेल्‍दी रहने के शिक्षा दे रही हैं।

बीमारियों से थी परेशान

जी हां बिहार के नवादा जिला मुख्यालय के गोला रोड की रहने वाली 69 वर्षीय आनंदी देवी आईएएनएस ने बताया कि करीब 10-12 वर्ष पूर्व उनका वजन करीब 85 किलो था। उनके शरीर में कमर दर्द, अर्थराइटिस, ट्यूमर और कब्ज जैसी बीमारियां ने घर कर लिया था। उस समय मोटापे के कारण उन्हें कुछ दूरी तक पैदल चलना भी दूभर हो गया था। इस बीमारी से तंग आनंदी जहां खुद परेशान थीं, वहीं इस हालत में उनके बेटों ने भी उनका साथ छोड़ दिया। इसी दौरान उन्हें किसी ने 'योग से निरोग' होने की बात बताई।
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उन्होंने बताया, इसी बीच मुझे पटना के गांधी मैदान में योगगुरु बाबा रामदेव के योग शिविर आयोजित होने की जानकारी मिली और वहां जाकर पति दीपनारायण प्रसाद के साथ एक हफ्ते प्राणायाम और योगासन सीखा।
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योग ने बदली उनकी जिंदगी

आनंदी कहती हैं कि 'योग ने उन्हें नई जिंदगी दे दी। पटना के गांधी मैदान में योग सीखकर वे प्रतिदिन प्राणायाम और योगसान सहित कई आसन करने लगीं और धीरे-धीरे उनकी बीमारी भी दूर होती चली गई। वे कहती हैं कि आज न केवल उनका वजन घटा है, बल्कि वह पूरी तरह से निरोग भी हैं।' खुद योग से निरोग हुईं आनंदी इस मूलमंत्र को केवल अपने तक सीमिति नहीं रखना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने आसपास की महिलाओं को भी योग सिखाने का बीड़ा उठाया। वे कहती हैं कि 'जिंदगी के अंतिम क्षण तक वे महिलाओं को योग सिखाती रहेंगी।'

उन्होंने कहा, वर्ष 2010 से मैं नवादा शहर और इसके आसपास के मोहल्लों की महिलाओं को मुफ्त में योग सिखा रही हूं। बीमारी से जूझते-जूझते मैं खुद को मरा हुआ मानने लगी थी। लेकिन योग ने मुझे नया जीवन दिया। यह नया जीवन दूसरों के जीवन देने के लिए हैं, इस कारण मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों को योग से मदद पहुंचाऊंगी।

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1500 से ज्यादा महिलाओं को सिखा चुकी है योग

आनंदी बताती हैं कि वे अब तक 1500 से ज्यादा महिलाओं को योग सिखा चुकी हैं। वे आज भी प्रतिदिन सुबह दो-तीन घंटे योग सिखाती हैं। उनके शिष्यों में न केवल नवादा के विभिन्न मोहल्लों की कामकाजी महिलाएं हैं, बल्कि इसमें गृहणियां भी शामिल हैं। वे बताती हैं, प्रारंभ में मैं अकेले योग करती थी। इसके बाद एक-दो और महिलाएं आने लगीं, फिर एक टोली बन गई। अब नवादा के गांधी मैदान में मैं शिविर लगाती हूं, जिसमें न केवल महिलाएं बल्कि पुरुष भी आने लगे हैं।

योग के प्रति इस समर्पण को देखते हुए पतंजलि योग समिति ने आनंदी देवी को महिला पतंजलि योग समिति का सह जिला प्रभारी बनाया है। 'योगगुरु' के नाम से चर्चित आनंदी के प्रयास का फल भी आसपास की महिलाओं को मिल रहा है। गोलारोड की रहने वाली 55 वर्षीय मीना देवी कमर और घुटने के दर्द से परेशान थीं। मीना कहती हैं कि 'योगगुरु' आनंदी ने उन्हें योग सिखाया और उन्हें प्रतिदिन योग करने की सलाह दी। आज उनका यह दर्द काफी हद तक कम हो गया है।
उनके पति दीपनारायण भी कहते हैं कि आनंदी के खुद के प्रयास ने परिवार के तिरस्कार को सम्मान में बदलवा दिया है।

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