योग दुनिया के लिए भारत की वह देन है, जो किसी संजीवनी से कम नहीं है। इसमें छोटी-बड़ी शारीरिक परेशानियों से लेकर असाध्य रोगों का इलाज भी संभव है, वहीं बात करें मानसिक समस्याओं की तो इनकी चिकित्सा के लिए भी योग बेहतर विकल्प साबित होता है। असल में मन की समस्याओं का निदान दवाओं से नहीं संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए तो प्राकृतिक तरीके से इन समस्याओं की जड़ को खत्म करने की जरूरत होती है।
ऐसे में मानसिक समस्याओं को दूर करने के लिए योग बेहद कारगर साबित हो सकता है। जैसे कि मूड स्विंग एक ऐसी समस्या है, जिससे ज्यादातर महिलाएं परेशान रहती हैं। पर इसे व्यक्तिगत स्वभाव या परिस्थितियों का प्रभाव मानकर नजरअंदाज कर दिया जाता है, असल में मन की समस्याओं का निदान दवाओं से करने पर इसके कई साइड इफेक्ट भी दिखते हैं। ऐसे में प्राकृतिक तरीके से इन समस्याओं की जड़ को खत्म करने की जरूरत होती है।
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इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसे ही योगासनों और ध्यान विधि के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपको मूड स्विंग की समस्या से निजात दिलाने में मददगार होते हैं। दरअसल, हमने इस बारे में ‘मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान’की योग प्रशिक्षक मधु खुराना से बात की और उनसे मिली जानकारी यहां हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
योग प्रशिक्षक मधु खुराना कहती हैं कि मूड स्विंग के लिए मुख्य रूप से हार्मोनल असंतुलन जिम्मेदार होता है। असल में नींद की कमी, असंतुलित आहार और तनाव जैसी वजहों से शरीर में हार्मोनल असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होती है। ऐसे में योग का अभ्यास कर काफी हद तक इस हार्मोनल असंतुलन को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे मूड को स्थिर रखने में मदद मिलती है।
शशकासन (Shashakasana)
मानसिक शांति और स्थिरता के लिए शशकासन काफी लाभकारी होता है। असल में इस आसन के अभ्यास से व्यक्ति के मन में समर्पण भाव उत्पन्न होता है, जिससे गुस्सा और तनाव नियंत्रित होता है। बता दें कि शशकासन को शशांक आसन भी कहते हैं, क्योंकि इस योगसन के अभ्यास के दौरान शरीर की आकृति खरगोश के समान हो जाती है। बात करें इसके लाभ की तो यह मानसिक सेहत के साथ ही पेट और कमर के फैट को कम करने में भी सहायक होता है।
सिंहासन (Simhasana)
सिंहासन का अभ्यास थायराइड ग्रंथियों के स्राव को नियंत्रित करने में मददगार साबित होता है। ऐसे में इसके नियमित अभ्यास से नकारात्मक भावनाओं को दूर करने और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिलती है। इसके साथ ही यह नाक, कान और गले के रोगों में भी लाभकारी होता है। वहीं बच्चों में हकलाहट या बोलने में दिक्कत पेश आने की समस्या से निजात के लिए भी इस योग का अभ्यास मददगार साबित होता है।
भुजंगासन (Bhujangasana)
भुजंगासन के अभ्यास से फेफड़े मजबूत होते हैं, जिससे ब्रीदिंग प्रॉब्लम में काफी राहत मिलती है। इसके साथ ही इस योग के नियमित अभ्यास से हृदय चक्र जागृत होता है, जिससे नकारात्मक विचारों और मानसिक अवसाद से मुक्ति मिलती है। इसलिए जिन लोगों को अक्सर नकारात्मक विचार सताते हैं, उन्हें भुजंगासन का अभ्यास जरूर करना चाहिए।
सर्वांगासन (Sarvangasana)
सर्वांगासन का अभ्यास करने से थायराइड संबंधी विकारों से निजात पाने में मदद मिलती है। इस तरह ये योगासन हार्मोनल असंतुलन को नियंत्रित करने में मददगार होता है।
भद्रासन (Bhadrasana)
भद्रासन के अभ्यास से एकाग्रता बढ़ती है और मन की चंचलता कम होती हैं। इसलिए जिन लोगों का मन स्थिर नहीं रहता है, उनके लिए योगासन काफी लाभकारी हो सकता है। इसके अलावा महिलाओं में भद्रासन, पीएमएस यानी कि प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम को नियंत्रित करने में सहायक होता है।
बता दें कि प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम में महिलाएं पीरियड्स शुरू होने से पहले कुछ मानसिक और शारीरिक बदलावों का सामना करती हैं। तनाव, उदासी और मूड स्विंग्स होना इसके आम लक्षण हैं। इसलिए जिन महिलाओं को मूड स्विंग्स की दिक्कत होती है उनके लिए भद्रासन काफी लाभकारी साबित हो सकता है।
मलासन (Malasana)
मलासन के अभ्यास से शरीर से विषाक्त पदार्थ आसानी से बाहर निकल जाते हैं, इससे शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। यह ऊर्जा व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मददगार होती है, जिससे मन में नकारात्मक भावनाएं नहीं आती हैं।
ध्यान ( Meditation)
मानसिक समस्या के निदान के लिए ध्यान से बेहतर क्या हो सकता है। ध्यान के दौरान गहरी सांस लेने के अभ्यास से मस्तिष्क में अल्फा तरंगे सक्रिय होती हैं, जिससे मानसिक शांति महसूस होती है। इसके साथ ही यह मन की अस्थिरता को कम करने में और तनाव को दूर करने में भी सहायक होता है।
नाड़ी शोधन प्राणायाम (Nadi shodhana pranayama)
नाड़ी शोधन प्राणायाम तंत्रिका तंत्र के बेहतर संचालन में लाभकारी होता है। इससे मन-मस्तिष्क में ऊर्जा का संचार रहता है और मानसिक शांति मिलती है।
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