"भाई, अभिषेक ने ऐसी भूतिया कहानी बताई कि मेरे तो रोंगटे ही खड़े हो गए।" ऐसा आपके साथ भी कभी न कभी हुआ होगा। इसे एक और शब्द से पुकारा जाता है- शरीर में अचानक झुरझुरी होना... मान लीजिए आपको अचानक ठंड लगे या फिर आप कोई इमोशनल बात सुन लें। कहीं स्क्रैचिंग की आवाज सुनते ही हाथ और पैरों में रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इससे आपके हाथ-पैरों के पोर्स अचानक से विजिबल हो जाते हैं और आपको शरीर में एक अलग-सा इमोशन फील होता है, जिसे आप शायद एक्सप्लेन भी नहीं कर पाते।
क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है? क्यों कहीं दूर से आ रही स्क्रैचिग की आवाज में आपके शरीर में झुरझुरी होने लगती है। आखिर यह गूजबंप्स होते क्या हैं और कैसे हमारे शरीर पर अचानक दिखने लगते हैं?
अगर यह सवाल कभी आपके मन में आया है, तो अब इसका जवाब भी सुन लीजिए। ऐसा क्यों होता है, चलिए हम आपको इस आर्टिकल में बताएं।
क्या होते हैं गूजबंप्स?
शरीर के बालों का अचानक से खड़ा होने का एक टर्म है जिसे पिलोइरेक्शन कहते हैं। इसे आप आम भाषा में रोंगटे खड़ा होना कहते हैं। यह पिलोइरेक्टर मसल्स के कॉन्ट्रैक्ट होने पर होता है। यही छोटी-छोटी मसल्स आपके फॉलिकल्स से जुड़ी होती हैं। यह सिंप्थैटिक नर्वस सिस्टम का एक तरह का वॉलंटरी रिस्पॉन्स होता है।
यह बिल्कुल वैसा होता है, जैसे किसी जानवर के शरीर में पिलोइरेक्शन ट्रिगर होता है, जब उसे ठंड लगती है या अन्य कोई कारण होता है।
क्या म्यूजिक और इमोशन्स से है गूजबंप्स का संबंध?
हम्म्म्म्म, क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि कोई बेहद इमोशनल और सेंटिमेंटल गाना सुनकर आपके रौंगटे खड़े हो गए हों। किसी फिल्म को देखकर आपने ऐसा फील किया हो?
साल 2011 में बायोलॉजी साइकोलॉजी जर्नल ने एक स्टडी पब्लिश की थी, जिसमें विशेषज्ञों ने फिल्म और म्यूजिक के जरिए एक ग्रुप के गूजबंप्स इफेक्ट को मापा था। फिल्म टाइटेनिक का सुपरहिट गाना 'माई हार्ट विल गो ऑन' ने इस रैशियो में सबसे ज्यादा योगदान किया था।
वहीं, इसी तरह की एक अन्य स्टडी में बताया गया था कि हमारे पास इमोशनल और थिंकिग दो अलग ब्रेन होते हैं, जो अलग-अलग स्थितियों में अलग तरह से रिस्पॉन्ड करते हैं। हमारा इमोशनल ब्रेन इमोशनल स्थितियों में ऑटोमेटिक साइकोलॉजिकल रिएक्शन ट्रिगर करता है, जिससे रौंगटे खड़े होते हैं। इसी तरह जब आप सेंटिमेंटल गाने सुनते हैं, तो आपको ऐसा महसूस होता है।
हैप्पी हार्मोन और डर की स्थिति में खड़े होते हैं रोंगटे
जब आप एक्स्ट्रीम इमोशन्स का अनुभव करते हैं, तो आपका शरीर अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है। वहीं, दो सामान्य रिस्पॉन्स में स्किन के नीचे मांसपेशियों में बढ़ी हुई इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी और सांस लेने की गहराई या भारीपन में वृद्धि होती है। ये दो प्रतिक्रियाएं गूजबंप्स ट्रिगर करती हैं।
इसके कारण आपको कई बार पसीना भी आने लगता है और हार्ट रेट (हेल्दी हार्ट कैसे रखें) बढ़ जाती हैं। यह इंटेंस इमोशन्स देखने, सुनने, समझने, स्वाद लेने और टच करने के रिस्पॉन्स से जुड़े होते हैं।
यदि आप डरते हैं या दुखी हो जाते हैं, तो उसके कारण भी गूजबंप्स होते हैं।
वहीं, जब हमें किसी अच्छी चीज का अनुभव होता है या हम खुश होते हैं, तो हमें डोपामाइन हिट मिलता है। यह फील गुड वाला हार्मोन है, जिसके कारण हमें अच्छे गूजबंप्स महसूस होते हैं।
क्या किसी मेडिकल कंडीशन के कारण भी खड़े होते हैं रोंगटे
वैसे तो गूजबंप्स किसी खास कंडीशन की ओर इशारा नहीं करते। यह एक इमोशनल ट्रिगर के द्वारा होते हैं। हालांकि, यदि आपको अक्सर गूजबंप्स फील होते हैं, तो फिर यह किसी मेडिकल कंडीशन के कारण हो सकते हैं- केराटोसिस पिलारिस, एक ऐसी स्थिति है, जिसके कारण त्वचा पर रोंगटे लंबे समय तक रहते हैं। कई बार किसी तरह की चोट जो नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर सकती है, के कारण भी ऐसा हो सकता है। इसके अलावा, ज्यादा ठंड लगना या इन्फ्लूएंजा के कारण होने वाले बुखार में गूजबंप्स का अनुभव मरीज महसूस कर सकता है।
अब बताइए, आपको इस जानकारी के बारे में पढ़कर कैसा लगा? क्या आपको इसके बारे में पहले से पता था? हमें उम्मीद है यह लेख आपको पसंद आया होगा। इसे लाइक और शेयर करना न भूलें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
Image Credit: Freepik and Google Searches
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों