घर में बच्चे का जन्म सिर्फ माता-पिता ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार के लिए खुशी का मौका होता है। डिलीवरी के बाद मां और नवजात शिशु दोनों का ही ख्याल रखा जाना बहुत जरूरी है। इसके लिए जन्म के बाद बच्चे को डॉक्टर की निगरानी में रखा जाता है, साथ ही उसके कुछ हेल्थ टेस्ट्स भी किए जाते हैं। बच्चों की सेहत अच्छी बनी रहे और किसी भी तरह के डिसऑर्डर का समय से पता लगाया जा सके, इसके लिए न्यू बोर्न स्क्रीनिंग बहुत जरूरी होती है। न्यू बोर्न स्क्रीनिंग क्या होती है और क्यों यह नवजात शिशु और पेरेंट्स के लिए भी जरूरी है, इस बारे में एक्सपर्ट से जानते हैं। यह जानकारी डॉक्टर राजीव छाबड़ा, चीफ पीडियाट्रिक, आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम औरमिस चंद्रा गंजू, ग्रुप चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, ट्रिविट्रॉन हेल्थकेयर,दे रहे हैं।
न्यू बोर्न स्क्रीनिंग क्या होती है? (What is Newborn Screening)
न्यूबोर्न स्क्रीनिंग एक पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम है, जिससे नवजात बच्चों में जेनेटिक, मेटाबॉलिक, डेवलेपमेंटल और अन्य तरह के जेनेटिक डिसऑर्डर का पता लगाया जाता है। इसमें जन्म लेने के बाद 48 घंटे के अंदर बच्चे के कुछ जरूरी टेस्ट्स किए जाते हैं। इससे बच्चों में उन हेल्थ कंडीशन्स का पता लगाया जाता है, तो जन्म के समय भले ही स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन अगर उनका सही समय पर इलाज न किया जाए तो वक्त के साथ वह बढ़ सकती हैं। इन जांचों के लिए आमतौर पर बच्चे की एड़ी से ब्लड की कुछ बूंदे ली जाती हैं, जिनकी लैब में जांच होती है। न्यू बोर्न स्क्रीनिंग नवजात शिशुओं की हेल्थ के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि इससे कुछ ऐसी हेल्थ कंडीशन्स का पता लगाया जा सकता है, जिनके लक्षण भले ही तुरंत नजर न आ रहे हों, लेकिन अगर इनके लक्षण समय से पता न चलें और सही इलाज न मिले, तो इनसे बच्चे की जान पर भी खतरा हो सकता है। अगर सही समय पर इन हेल्थ कंडीशन्स का पता चल जाए तो डाइट में बदलाव, इलाज और भी कई तरीकों से बच्चे की सेहत को सुधारा जा सकता है।
पेरेंट्स को क्यों करवानी चाहिए बच्चे की न्यू बोर्न स्क्रीनिंग? (Why should parents ensure their baby undergoes newborn screening shortly after birth)
- पेरेंट्स को बच्चे के जन्म के बाद न्यूबोर्न स्क्रीनिंग करवाने का पूरा ध्यान रखना चाहिए ताकि भविष्य में होने वाली जटिलताओं से बचा जा सके।
- फेनिलकेटोनुरिया (पीकेयू), जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म और सिकल-सेल रोग जैसी बीमारियों का अगर समय से पता चल जाए तो ये विकास में देरी, बौद्धिक परेशानी और अन्य गंभीर जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकती है।
- न्यू बोर्न स्क्रीनिंग बच्चे की हेल्थ के बारे में पेरेंट्स को सही जानकारी देती है और अगर किसी हेल्थ कंडीशन का पता चले तो तुरंत उसका इलाज किया जा सके। बीमारी का सही समय पर पता चलना और इलाज मिलने, बच्चे की आने वाली जिंदगी पर गहरा असर डालता है।
- इसके अलावा, सिस्टिक फाइब्रोसिस या जन्मजात दिल की बीमारी जैसी स्थितियों का अगर सही समय पर पता चल जाए तो इलाज के लिए तैयारी करने का समय मिल सकता है और सही तरीके से इसका इलाज किया जा सके।
- इसके अलावा इससे पेरेंट्स को दिमागी तौर पर भी शांति मिलती है कि बच्चे की हेल्थ को सही तरीके से मॉनीटर किया जा रहा है।
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