herzindagi
vaginal tearing m

आपकी भी जल्‍द होने वाली हैं नॉर्मल डिलीवरी तो वेजाइनल टियरिंग के बारे में जरूर जान लें ये बातें

अगर आपको भी वेजाइनल टियरिंग के बारे में जानकारी नहीं है और आप जल्‍द ही मां बनने वाली हैं तो इसके बारे में जरूर जान लें। 
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-05-17, 18:54 IST

डिलीवरी से जुड़ी बहुत सारी अच्‍छी या बुरी चीजों के बारे में हम बात करना पसंद नहीं करती है। इसमें से एक वेजाइनल डिलीवरी के दौरान 'लगभग निश्चित परिणाम' पाने के लिए वेजाइना टियरिंग भी है। वेजाइना टियरिंग नॉर्मल डिलीवरी का हिस्‍सा है जिसमें शिशु बर्थ कनल और वेजाइना के माध्‍यम से बाहर आता है। ऐसा पहली बार मां बनने वाली महिलाओं या उन महिलाओं में बहुत आम होता है जिनके शिशु का वजन ज्‍यादा होता है। अगर आपको भी इसके बारे में जानकारी नहीं है और आप जल्‍द ही मां बनने वाली हैं तो इसके बारे में जरूर जान लें। 

क्या है वेजाइनल टियरिंग?

जन्‍म के दौरान, वेजाइना को शिशु को बाहर आने में हेल्‍प करने के लिए पर्याप्‍त मात्रा में फैलना पड़ता है। अगर वेजाइना उतना स्‍ट्रेच में विफल हो जाती है तो उसे टियर किया जाता है। वेजाइना टियर वेजाइना डिलीवरी के दौरान पेरिनियम (वेजाइना और रेक्टम के बीच के हिस्‍से) के सहज टियरिंग को संदर्भित करता है। यह वेजाइना दीवार के किसी भी हिस्से में हो सकता है।

Read more: Vaginal Lips की सर्जरी के खतरों को जानना आपके लिए है जरूरी

वेजाइनल टियरिंग की संभावना क्या है?

अफसोस की बात है, वेजाइनल जन्म के दौरान वेजाइनल टियरिंग की संभावना पहली बार डिलीवरी के दौरान ज्‍यादा होती है। हालांकि, लगातार डिलीवरी के दौरान, इसकी संभावना कम हो जाएगी क्योंकि पिछली सफलतापूर्ण डिलवरी के कारण पेरीटोनियम में टिश्‍यु अधिक फ्लैक्सिबल हो जाते हैं। वेजाइनल टियरिंग में कुछ बाधाएं आती हैं।

  • पहली बार डिलीवरी के दौरान वेजाइन टियरिंग का अनुभव करने के 95 प्रतिशत चांस होते हैं क्‍योंकि टिश्‍यु नीचे कम स्‍ट्रेस होते हैं।
  • शिशु की स्थिति एक और अन्‍य कारक है जो वेजाइनल टियरिंग और इसकी तीव्रता को निर्धारित करता है। ब्रीच जैसे कुछ पॉजिशन वेजाइना के नीचे ज्‍यादा प्रेशर डालती है जिससे टियरिंग को तेजी मिलती है।
  • वैक्‍यूम होने के बाद-या फोरसेप डिलीवरी से भी वेजाइनल टियरिंग हो सकती है।
  • लंबे लेबर के परिणामस्वरूप वेजाइना में गंभीर सूजन हो सकती है जिससे वेजाइनल टियरिंग का मौका बढ़ जाता है।

vaginal tearing health inside

वेजाइनल टियरिंग के प्रकार

आमतौर पर वेजाइनल टियरिंग को डिग्री में बांटे होते हैं, वर्गीकरण इस बात पर आ‍धरित होता है कि टियर कितना गहरा है। वेजाइनल टियरिंग 4 तरह की होती हैं।

पहली डिग्री
इस प्रकार का टियरिंग छोटा होता है। यह आम तौर पर बिना टांकों के भी ठीक हो जाता है। इनकी वजह से आमतौर पर बहुत कम या कोई परेशानी नहीं होती क्योंकि ये त्वचा या वेजाइना की बाहरी परत और टिश्‍यु में होते हैं।

दूसरी डिग्री
इस प्रकार के चीरे गहरे होते हैं और मसल्‍स तक पहुंच जाते हैं। ये चीरे परत दर परत सिले जाते हैं और बंद कर दिए जाते हैं। इनसे आपको कुछ हद तक परेशानी होगी और कुछ हफ्तों में आप ठीक हो जाएंगी। इस प्रक्रिया में टांके गल जाते हैं।

तीसरी डिग्री
इसमें वेजाइनल हिस्‍से की त्वचा और मसल्‍स में, गहरा और गंभीर चीरा होता है। कभी-कभी, यह मलाशय क्षेत्र के आसपास की मसल्‍स तक पहुंच जाता है। लगभग 4% महिलाओं में इस डिग्री का चीरा लगता है और इससे आपको कई महीनों तक काफी दर्द होता है।

चौथी डिग्री
इस डिग्री की टियरिंग सबसे गंभीर प्रकार का होती है और गुदा की मसल्‍स से भी आगे तक फैला होता है। इस मामले में हमेशा टांकों की जरूरत होती है। तीसरी और चौथी डिग्री के टियरिंग आपको गुदा अनियमितता के जोखिम में डाल सकती हैं।

Read more: नेचुरल डिलीवरी में देरी हो तो इंतजार करने से बेहतर है आर्टिफिशियल पेन के जरिए डिलीवरी

डॉक्टर लोकल एनेस्थीसिया देकर वेजाइना के आस-पास के हिस्‍से को सुन्न कर देती हैं और फिर बहुत सावधानी से उस चीरे की सिलाई करके उसमें टांका लगाती हैं। ये टांके बाद में कम पीड़ादायक और कम असहज हो जाते हैं। इसके अलावा ये खुद ही गल जाते हैं इन्हें बाद में कटवाने की जरूरत नहीं पड़ती।
तीसरे या चौथे डिग्री के टियरिंग के मामले में सिलाई, ऑपरेशन थियेटर में की जाती है। दर्द गंभीर होता है तब रीढ़ की हड्डी या एपिड्यूरल एनेस्थीसिया आवश्यक होता है। यू‍रीन इकट्ठा करने के लिए ब्‍लैडर में एक पतला ट्यूब (कैथेटर) डाला जाता है। इससे पेरिनियम के आस पास इंफेक्‍शन नहीं होता और वो हिस्‍सा भी सूखा रहता है। एंटीबायोटिक दवाइयां टांकों को जल्दी ठीक होने में मदद करती हैं। दर्द को दूर करने के लिए पेनकिलर दिये जाते है।

vaginal tearing health inside

सावधानी

  • इंफेक्‍शन से बचने के लिए टियरिंग वाले हिस्‍से को साफ रखें।   
  • साफ-सफाई का ध्‍यान रखें।
  • सैनिटरी पैड नियमित रूप से बदलें।
  • रोजाना पेल्विक एक्‍सरसाइज करें। इससे ब्‍लड सर्कुलेशन तेज होता है और ट्रीटमेंट की प्रक्रिया तेज होती है।
  • बिस्तर पर आराम करें और टांकों में हवा लगने दें।   
  • ज्‍यादा से ज्‍यादा पानी का सेवन करें।
  • फाइबर युक्त फूड्स जैसे ब्राउन राइस, सब्जियां और फलों को शमिल करें। इससे कब्ज नहीं होता और आप हेल्‍दी रहती है।
  • डिलीवरी के 24 घंटे बाद हिप बाथ किया जाता है।
  • डॉक्‍टर की बताई मेडिसिन लेती रहें।

 

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।