कॉलरबोन (क्लेविकल) एक ऐसी हड्डी होती है, जो ब्रेस्टबोन को कंधे से जोड़ती है। आपका कॉलरबोन मजबूत और 'S' आकार का होता है। कार्टिलेज कॉलरबोन को Shoulder bone से कनेक्ट करती है, जिसे एक्रीमोनियन कहा जाता है। कॉलरबोन पेन कई वजहों से होता है मसलन फ्रेक्चर, अर्थराइटिस, बोन इन्फेक्शन या क्लेविकल से जुड़ी दूसरी स्थितियां। अगर आपके कॉलरबोन में अचानक दर्द महसूस होने लगा है तो वह किसी एक्सिडेंट, चोट, किसी तरह के ट्रॉमा की वजह से हो सकता है। अगर आपको क्लेविकल्स में हल्का-हल्का दर्द रहता है तो आपको उन वजहों की पड़ताल करनी चाहिए जिनके कारण आपको यह दर्द रहता है और इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
कॉलरबोन फ्रेक्चर
अगर बहुत तेजी से कोई भारी चीज कॉलरबोन से टकरा जाती है तो कॉलरबोन के चोटिल होने की आशंका रहती है। अगर आप कंधे के बल गिर पड़ती हैं या बांहों की स्ट्रेचिंग के साथ आप गिर पड़ती हैं तो इस कारण आपका कॉलरबोन फ्रेक्चर हो सकता है। कॉलरबोन फ्रेक्चर किसी तरह की स्पोर्ट्स इंजरी , गाड़ी के एक्सिडेंट या डिलीवरी के समय हुए एक्सिडेंट से भी हो सकता है। कॉलरबोन फ्रेक्चर के कारण आपको फ्रेक्चर वाली जगह पर तेज दर्द महसूस होता है। आपको कंधे में sensation भी महसूस हो सकती है। इसके अलावा आपको प्रभावित हिस्से में सूजन, चोट या अकड़न महसूस हो सकती है। डिलीवरी के समय जिन बच्चो को बर्थ केनाल से गुजरते हुए कॉलरबोन इंजरी होती है, वे जन्म के कुछ समय बाद तक अपने कंधे हिला नहीं पाते हैं। कॉलरबोन फ्रेक्चर का पता लगाने के लिए डॉक्टर प्रभावित हिस्से की जांच करते हैं। exact location का पता लगाने के लिए क्लेविकल का एक्स-रे किया जाता है जिससे यह पता चल जाता है कि चोटिल हुए हिस्से में ज्वाइंट भी हैं या नहीं।
ऑस्टियोअर्थराइटिस
एक्रोमिओक्लेविकुलर जॉइंट या स्टर्नोक्लेविकुलर ज्वाइंट में टूट-फूट से होने से एक या दोनों जोड़ों में ऑस्टियोअर्थराइटिस की समस्या हो सकती है। इस समस्या में जॉइंट में दर्द और stiffness रहती है। इसमें आराम के लिए डॉक्टर Nonsteroidal anti-inflammatory drugs (NSAIDS) लेने की सलाह देते हैं। कंधों की मांसपेशियों के कमजोर होने से क्लेविकल नीचे की तरफ खिसक सकता है, जिससे नर्व्स और ब्लड वेसल्स पर दबाव पड़ता है।
Thoracic outlet syndrome भी हो सकती है वजह
कंधे में चोट लगने, गलत पोस्चर में बैठने, स्ट्रेस होने, कई बार वजनी चीजें उठाने या स्वीमिंग कंपटीशन में हिस्सा लेने पर से thoracic outlet syndrome हो सकता है। मोटापे या कंजेनिटल डिफेक्ट की वजह से भी यह सिंड्रोम हो सकता है। इसे examine करते हुए डॉक्टर आपको बांहें कंधे या गर्दन घुमाने के लिए कह सकते हैं ताकि वे देख सकें कि ये हिस्से कितना move कर पाते हैं। इसके लिए इमेजिंग टेस्ट भी होते हैं जिनमें एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और एमआरआई स्कैन शामिल हैं। इसमें आराम के लिए डॉक्टर कुछ एक्सरसाइज करने की सलाह भी देते हैं, जिससे आपकी मांसपेशियों का लचीलापन बढ़ता है। कुछ मामलों में दर्द में आराम के लिए डॉक्टर सर्जरी की सलाह भी देते हैं।
ज्वाइंट इंजरी से बिगड़ जाता है लिगामेंट्स का अलाइनमेंट
acromioclavicular joint में चोट लगने से भी कॉलरबोन में तेज दर्द हो सकता है। कंधों पर कोई चीज गिर जाने या धक्का लग जाने से यह इंजरी हो सकती है। इस ज्वाइंट के अलग होने पर लिगामेंट्स चोटिल हो सकते हैं, जिससे कॉलरबोन का एलाइनमेंट बिगड़ सकता है। दर्द और सेंस्टिविटी के अलावा कॉलरबोन का हिस्सा फूला हुआ भी दिखाई दे सकता है। इसमें आराम के लिए कंधों पर बर्फ की सिकाई की जाती है, आराम करने की सलाह दी जाती है। कुछ मामलों में लिगामेंट्स की रिपेयरिंग के लिए सर्जरी कराने की जरूरत होती है। इसमें कॉलरबोन के हिस्से को ट्रिम किया जाता है ताकि वह ज्वाइंट में फिट हो सके।
गलत तरीके से सोने से भी होता है दर्द
एक तरफ करवट लेकर सो जाने से भी एक क्लेविकल पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है, जिससे कॉलरबोन दर्द हो सकता है। यह दर्द कुछ समय बाद ठीक हो जाता है। अगर आप दूसरी करवट लेकर सोएं तो यह दर्द पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
कैंसर भी हो सकती है वजह
अगर कैंसर कॉलरबोन तक फैल जाए तो भी इस हिस्से में दर्द होता है, इसमें लिंफ नोड्स का हिस्सा भी प्रभावित होता है। लिंफ नोड्स पूरे शरीर में होते हैं। अगर कैंसर फैलता है तो कौलरबोन, बांह के नीचे, ग्रोइन के हिस्से में और गर्दन में दर्द होता है। इससे हिस्से में होने वाले कैंसर का इलाज रेडिएशन थेरेपी के जरिए किया जाता है।
प्रॉब्लम के अनुसार किया जाता है इलाज
शैलेश चंद्र सिन्हा, सीनियर कंसल्टेंट, ऑर्थोपीडिक्स बताते हैं कि कॉलरबोन पेन चोट, सर्वाइकल पेन, हार्ट प्रॉब्लम, कैंसर या किसी तरह के इन्फेक्शन से हो सकता है। डॉक्टर इस दर्द को investigate करते हैं और इसके बाद उसी के अनुसार मरीज का इलाज किया जाता है। अगर सर्वाइकल की समस्या है तो मरीज को सावधानी बरतने के साथ एक्सरसाइज करने और मोटा तकिया न लगाने की सलाह दी जाती है, फिजियोथेरेपी कराने की सलाह दी जाती है। हार्ट प्रॉब्लम और कैंसर के इलाज की प्रक्रिया लंबी चलती है। वहीं इन्फेक्शन ठीक करने के लिए दवाएं दी जाती हैं।
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