Sexually Transmitted Disease: एसटीडी के प्रकार, लक्षण और उपचार के बारे में जानें

Sexually Transmitted Disease: सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज काफी आम है। यह बीमारी तब बढ़ती है, जब आप असुरक्षित यौन संबंध बनाते हैं। पिछले कुछ सालों में इसके केस लगातार बढ़ रहे हैं। 

Pooja Sinha
Sexually transmitted diseases by expert

सेक्‍सुअली एक्टिव कोई भी व्‍यक्ति एसटीडी से संक्रमित हो सकता है। बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी और फंगस जैसे रोगजनक (रोगजनक उन्हें कहा जाता है, जिनके कारण कई तरह के बीमारियों का जन्म होता है।) इसके आम कारण हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि रोजाना 1 मिलियन से ज्‍यादा लोग एसटीडी की चपेट में आते हैं।

एसटीडी कई प्रकार के होते हैं। ये यौन रोग अन्‍य कई गंभीर रोगों का कारण बनते हैं, इसलिए इन्हें हल्‍के में नहीं लेना चाहिए। इनमें से कुछ रोग लाइलाज होते हैं, कुछ को ठीक किया जा सकता है और कुछ रोगों का इलाज जिंदगी-भर चलता है। आज हम आपको एसटीडी के कुछ सबसे आम प्रकार, लक्षण और बचाव के तरीकों के बारे में बता रहे हैं। इसकी जानकारी इंदिरा आईवीएफ के सीइओ और को-फाउंडर डॉक्टर क्षितिज मुर्डिया शेयर कर रहे हैं।

क्लैमाइडिया (Chlamydia)

Chlamydia

क्लैमाइडिया सबसे आम एसटीडी में से एक है। इसका संक्रमण बैक्टीरिया क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस के माध्‍यम से फैलता है। इसे नजरअंदाज करने से पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी) हो सकता है। यह महिलाओं में इनफर्टिलिटी का कारण बनता है।

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गोनोरिया (Gonorrhoea)

गोनोरिया बैक्टीरिया निसेरिया गोनोरिया के कारण होता है। इससे महिलाओं को पीआईडी भी हो सकता है। इसका समय पर इलाज कराना बेहद जरूरी होता है, अन्‍यथा यह पुरुषों और महिलाओं दोनों में इनफर्टिलिटी का कारण बनता है।

सिफलिस (Syphilis)

यह रोग ट्रेपोनिमा पैलिडम नामक बैक्टीरिया से होता है। अगर समय रहते इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो इससे शरीर में गंभीर रोग होने लगते हैं। यह रोग प्रेग्‍नेंट महिला से उसके बच्चे को होता है और जन्म के कुछ ही समय बाद मृत्यु का कारण बनता है।

हर्पीज (Herpes)

यह रोग हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस के कारण होता है। इससे जेनिटल एरिया या मुंह के किनारे छाले या घाव हो जाते हैं। हालांकि, इसके लक्षण जल्‍दी से दिखते नहीं हैं, लेकिन यह वायरस आसानी से दूसरों में फैलता है।

मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) (Human Papillomavirus)

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एचपीवी वायरस का एक ग्रुप है, जो महिलाओं में जेनिटल वार्ट्स या सर्वाइकल कैंसर का कारण बनता है। यह वायरस बहुत ही आम है और त्वचा से त्वचा के संपर्क में आने से फैलता है।

ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस (एचआईवी) (Human Immunodeficiency Virus)

HIV यानी ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस एक ऐसा वायरस है, जो शरीर के इम्‍यून सिस्‍टम को नुकसान पहुंचाता है। अगर इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो इससे एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंसी सिंड्रोम (एड्स) हो सकता है। यह रोग असुरक्षित यौन संबंध और अलग-अलग व्यक्तियों के बीच सीरिंज या टैटू इंजेक्‍शन्‍स को शेयर करने से फैलता है। इसके अलावा, प्रेग्‍नेंसी, डिलीवरी या ब्रेस्‍टफीडिंग के दौरान मां से बच्‍चे को हो सकता है।

एसटीडी किन कारणों से होते हैं? (Causes of STD Disease in Hindi)

एसटीडी रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी और कवक के कारण होते हैं। ये वेजाइनल, एनल और ओरल सेक्‍स साथ-साथ यौन संपर्क से फैलते हैं। कुछ एसटीडी, जैसे एचआईवी और हेपेटाइटिस बी और सी ब्‍लड और इंजेक्‍शन को शेयर करने से फैलते हैं।

एसटीडी से कौन प्रभावित होता है?

एसटीडी रोग किसी को भी हो सकते हैं। लेकिन एक से ज्यादा लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाने वालों में इसका खतरा ज्‍यादा होता है। साथ ही, जो लोग इस्तेमाल की गई सुई का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें भी एसटीडी होने का खतरा ज्यादा रहता है। 15 से 24 वर्ष के बीच के लोगों को भी एसटीडी होने का खतरा ज्‍यादा होता है।

एसटीडी के लक्षण क्या हैं? (STD Symptoms in Hindi)

stds symptoms and treatment

एसटीडी के लक्षण संक्रमण के आधार पर दिखाई देते हैं। कुछ तरह के एसटीडी में कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, जबकि अन्‍य में कई तरह के लक्षण बीमारी के शुरुआत से ही दिखाई देने लगते हैं। एसटीडी के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं-

  • यूरिन के दौरान दर्द
  • बार-बार यूरिन आना
  • सेक्स के दौरान दर्द
  • जेनिटल में घाव या फफोले
  • जेनिटल एरिया में खुजली या जलन
  • पेट दर्द या बुखार

एसटीडी के लिए कौन से उपचार हैं?

एसटीडी के लिए उपचार संक्रमण के प्रकार पर निर्भर करता है। बैक्टीरियल एसटीडी, जैसे क्लैमाइडिया, गोनोरिया और सिफलिस का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जा सकता है।

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वायरल एसटीडी, जैसे हर्पीस और एचआईवी को ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन एंटीवायरल दवाएं लक्षणों को कंट्रोल और रोग को फैलने से रोक सकती हैं।

क्या एसटीडी को रोका जा सकता है?

सुरक्षित यौन संबंध बनाकर एसटीडी को रोका जा सकता है। इसमें कंडोम का सही और हमेशा इस्‍तेमाल करना, सेक्‍सुअल पार्टनर्स की सीमित संख्या और एसटीडी के लिए नियमित रूप से टेस्‍ट करवाना शामिल है। एचपीवी को वैक्‍सीनेशन के माध्‍यम से भी रोका जा सकता है।

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