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LGBTQ+ कम्युनिटी के लोगों को हो सकती हैं ये सेक्‍सुअल समस्‍याएं

लेस्बियन, गे, बायसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर लोगों को मिलाकर LGBTQ+ कम्‍युनिटी बनती है। आज हम आपको इनसे जुड़ी कुछ सेक्‍सुअल समस्‍याओं के बारे में बता रहे हैं। 
Editorial
Updated:- 2023-06-07, 10:49 IST

जून के महीने को हम प्राइड मंथ के रूप में मनाते हैं और कई देशों में यह महीना LGBTQ+ कम्‍युनिटी के संघर्षों और जीत का जश्न मनाने का महीना होता है। लेकिन, फिर भी LGBTQ+ कम्युनिटी के साथ सोशल भेदभाव होता है। भेदभाव न सिर्फ समाज, परिवार के सदस्य या दोस्त बल्कि कभी-कभी हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स भी करते हैं। 

हेल्‍थ से जुड़ी सुविधाओं में भेदभाव के कारण इस कम्‍युनिटी के लोगों को हेल्‍थ खासतौर पर सेक्‍सुअल हेल्‍थ से जुड़ी समस्‍याएं परेशान करने लगती हैं। इसलिए यह समझना जरूरी है कि उन्हें भी सही मेडिकल सुविधाओं की जरूरत है और इन्‍हें अनदेखा नहीं करना चाहिए। खार के पीडी हिंदुजा हॉस्पिटल और मेडिकल रिसर्च सेंटर की कंसल्‍टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, डॉक्‍टर सुजीत ऐश हमें LGBTQ+ कम्युनिटी में होने वाली सेक्‍सुअल समस्‍याओं के बारे में बता रहे हैं।   

LGBTQ कम्युनिटी के लोगों में सेक्‍सुअल समस्‍याएं

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LGBTQ+ युवाओं में क्लैमाइडिया और गोनोरिया जैसे STI यानी सेक्‍सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन बहुत ज्‍यादा देखने को मिलते हैं। यह भी देखा गया है कि गे (एमएसएम) और बायसेक्सुअल पुरुषों और ट्रांसजेंडर महिलाओं में भी एचआईवी/एड्स होने को खतरा ज्‍यादा होता है। लेस्बियन, ट्रांसजेंडर पुरुषों और बायसेक्‍सुअल में ब्रेस्‍ट कैंसर का खतरा ज्‍यादा होता है। 

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इसके अलावा, इनमें एचपीवी इंफेक्‍शन और सर्वाइकल या एनल कैंसर के साथ-साथ ओरल कैंसर के होने का खतरा भी होता है। मेडिकल और सोशल सपोर्ट और रेगुलर चेकअप की कमी के चलते बूढ़े लोगों में गंभीर बीमारियां जैसे कार्डियोवैस्कुलर का खतरा बढ़ जाता है।

अल्‍कोहल और तंबाकू जैसी चीजों के सेवन से मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर भी बुरा असर पड़ता है। तनाव से मूड डिसऑर्डर, एंग्जायटी, ईटिंग डिसऑर्डर और मोटापे जैसे समस्‍याएं देखने को मिलती हैं।

बचाव के तरीके

इन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान करना जरूरी है। 

  • LGBTQ+ कम्‍युनिटी के लोगों को सेफ सेक्‍सुअल प्रैक्टिस के लिए कंडोम/डेंटल डैम के इस्‍तेमाल, सही कॉन्ट्रासेप्टिव, जेनिटल एरिया और सेक्‍स टॉयज की हाइजीन और एसटीडी टेस्‍ट से संबंधित सही जानकारी होनी चाहिए।   
  • अगर वे पीरियड्स के दौरान सैनिटरी पैड या टैम्‍पोन के साथ कॉम्फ्टेबल नहीं हैं, तो पीरियड बॉक्‍सर्स अच्‍छा विकल्‍प हो सकता है। 
  • ब्रेस्‍ट या सर्वाइकल कैंसर के लिए रेगुलर चेकअप कराना चाहिए। इसके लिए मैमोग्राम या पैप स्‍मीयर टेस्‍ट कराया जा सकता है। 
  • इसके अलावा, डायबिटीज और हार्ट रोगों जैसे अन्‍य कई बीमारियों के खतरे को कम करने के लिए चेकअप कराना जरूरी है। 
  • मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्‍याओं को स्वीकार करने और मनोवैज्ञानिक/मनोचिकित्सक से मिलने में आपको शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए।
  • अगर वे सेक्‍स चेंज सर्जरी के बारे में सोच रहे हैं, तो सबसे पहले गायनेकोलॉजी, सर्जन और एंडोक्रिनोलॉजिस्ट से सलाह करें, ताकि आप सर्जरी के प्रोसेस और बाद में दिखने वाले प्रभावों को समझ सकें।

Sexual Health and the LGBTQ

डॉक्‍टर की राय

डॉक्‍टर सुजीत ऐश का कहना है, ''एक डॉक्‍टर को इस बात का ध्‍यान रखना चाहिए कि LGBTQ+ कम्युनिटी के लोगों को कभी उनकी पहचान से जज न करें। इसके अलावा, मैं कभी भी अपने किसी मरीज से ऐसे नहीं पूछता हूं कि क्या वे शादीशुदा हैं या उनके बच्चे हैं। मैं बात को हमेशा इस तरह से शुरू करता हूं कि क्‍या आप सेक्‍सुअली एक्टिव है, क्‍या आपका एक या बहुत सारे पार्टनर्स हैं, क्‍या आपके बच्‍चे हैं या बच्‍चा पैदा करने पर विचार कर रहे हैं। यह एक ऐसा स्ट्रक्चर्ड है, जिसमें मैं किसी को भी उनके विचारों को नुकसान पहुंचाए, बिना उनका बेस्‍ट ट्रीटमेंट कर सकता हूं।'' 

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डॉक्‍टर ने यह भी बताया, ''जब हम डॉक्टर के रूप में रिसर्च करते हैं, तब हम देखते हैं कि यह कम्‍युनिटी शारीरिक के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य समस्‍याओं से भी परेशान रहती है। इसलिए समस्‍याओं की जल्‍द पहचान और ट्रीटमेंट के प्रति जागरूकता फैलाने की जरूरत है।''  

 

अगर आपको भी हेल्‍थ से जुड़ी कोई समस्या परेशान कर रही है, तो हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं और हम अपनी स्टोरीज के जरिए इसका हल करने की कोशिश करेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image Credit: Shutterstock & Freepik

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