क्या आप भी बॉडी पर पड़े नीले निशान से परेशान रहती हैं?
क्या यह निशान बिना किसी चोट के हर समय आपकी बॉडी पर दिखाई देते हैं?
आपको समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर यह निशान आपकी बॉडी पर क्यों दिखाई देते हैं? तो परेशान ना हो क्योंकि आज हम आपको इनके कारणों के बारे में बता रहे हैं।
त्वचा पर चोट लगने से ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचता है, जिससे बॉडी पर नील के निशान पड़ जाते हैं या आप कह सकती हैं कि चोट से ब्लड रिसने और आसपास की सेल्स में फैल जाने के कारण बॉडी की नील के निशान के रूप में प्रतिक्रिया होती है। इसके अलावा नील के निशान बढ़ती उम्र, पोषण की कमी, हेमोफिलिया और कई गंभीर बीमारियों के प्रभाव के कारण भी हो सकते हैं। आइए जानें किन कारणों से बॉडी पर नील के निशान पड़ते हैं।
हीमोफीलिया के कारण
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हीमोफिलिया एक आनुवांशिक बीमारी है जो माता-पिता से होने वाले बच्चे में भी जा सकती है। इस बीमारी में बॉडी के बाहर बहता हुआ ब्लड जमता नहीं है। इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है क्योंकि ब्लड का बहना जल्द ही बंद नहीं होता और बहुत अधिक रक्तस्राव की आशंका रहती है। यह बीमारी ब्लड में थ्राम्बोप्लास्टिन नामक पदार्थ की कमी से होती है। थ्राम्बोप्लास्टिक में ब्लड को शीघ्र थक्का कर देने की क्षमता होती है। ब्लड में इसके ना होने से ब्लड का बहना बंद नहीं होता है। अत्यधिक या बिना वजह से ब्लीडिंग या नील पड़ना हीमोफीलिया का एक लक्षण है।
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कीमोथेरेपी के कारण
कैंसर में होने वाले कीमोथेरेपी के कारण भी आपकी बॉडी पर नील के निशान दिखाई देने लगते है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कीमोथेरेपी के कारण रोगी का ब्लड प्लेटलेट्स बहुत नीचे आ जाता है और प्लेटलेट्स के नीचे आने से बॉडी में बार-बार नील के निशान दिखाई देने लगते हैं।
डाइट में नुट्रिएंट्स की कमी
ब्लड क्लॉट और जख्मों को भरने के लिए कुछ विटामिन और मिनरल की जरूरत होती है। इसलिए डाइट में इन नुट्रिएंट्स की कमी जैसे विटामिन के, सी और मिनरल की कमी से शरीर पर नील के निशान दिखाई देने लगते हैं। विटामिन के ब्लड को जमने में हेल्प करता है। साथ ही विटामिन सी स्किन ब्लड आर्टरीज में अंदरूनी चोट लगने से बचाव करता है। इसके अलावा मिनरल जैसे जिंक और आयरन चोट को जल्द ठीक करने वाले आवश्यक हैं।
थ्रोम्बोफिलिया की समस्या
थ्रोम्बोफिलिया ब्लड के जमा होने से जुड़ी परेशानी है जो थ्रोम्बोसिस (ब्लड वेसल्स में ब्लड क्लॉट) के खतरे को बढ़ा देती है। इसे ऐसे में समझा जा सकता है कि थ्रोम्बोफिलिया एक ब्लीडिंग डिस्ऑर्डर है जिसमें प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाते हैं और प्लेटलेट्स कम होने के कारण शरीर की ब्लड क्लॉट की क्षमता बहुत कम हो जाती है, जिससे कारण बॉडी पर नील के निशान पड़ने लगते हैं।
बढ़ती उम्र भी है दोषी
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बुजुर्ग लोगों के हाथों के पीछे नील पड़ना बहुत ही नॉर्मल बात है। बुजुर्ग लोगों के नील के निशान इसलिए पड़ते हैं क्योंकि ब्लड आर्टरीज इतने साल सूरज की रोशनी का सामना करते हुए कमजोर हो जाती हैं। ये नील के निशान लाल रंग से शुरू होकर, हल्के बैंगनी और गहरे रंग के होते हुए फिर हल्के होकर गायब हो जाते हैं।
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दवाइयां और सप्लीमेंट के कारण
कुछ दवाइयों और सप्लीमेंट लेने से भी बॉडी पर नील के निशान पड़ने लगते हैं। ब्लड को पतला करने वाली कुछ दवाइयां के कारण खून जमने से रूक जाता है। इसके अलावा प्राकृतिक सप्लीमेंट जैसे जिन्को बिलोबा, फिश ऑयल और लहसुन का अधिक इस्तेमाल भी ब्लड का पतला कर देता है। जिससे कारण बॉडी पर नील के निशान पड़ने लगते है।
शरीर पर नीलेे निशान पड़ने पर घबराए नहीं बल्कि डॉक्टर से सलाह लें। इसके अलावा कुुुछघरेलू उपायों की मदद से आप इन निशानों को दूर कर सकती हैं।
बचाव के उपाय
- अगर आपकी बॉडी पर नीले रंग के निशान दिखाई दे रहे है तो इसे ठीक करने में बेकिंग सोडा मददगार साबित हो सकता है। इसके लिए 1 चम्मच बेकिंग सोडा में 3 चम्मच पानी मिलाकर निशान पर लगाये।
- आर्गेनिक शहद और ओटमील को पानी के साथ मिलाकर इसका पैक बनाकर लगाये।
- एलोवेरा जैल को निकालकर लगाने से भी हेल्प मिलती है।
- खीरे के रस को टोनर की तरह इस्तमाल करें।
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