पिछले 10-15 सालों में देश में फर्टिलिटी रेट्स में काफी कमी दर्ज की गई है। आंकड़े बताते हैं कि देश में 27 मिलियन कपल्स इन्फर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे हैं और इसमें पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी शामिल हैं। यह समस्या आज के समय में काफी बड़ी हो चुकी है लेकिन इस पर बातचीत कम ही होती है।
इन्फर्टिलिटी जैसा कि हम सभी जानते हैं नेचुरल तरीके से कंसीव करने की प्रक्रिया है। इनिटो की एक स्टडी में कहा गया है 40-50 फीसदी मामलों में फीमेल पार्टनर की मेडिकल कंडिशन की वजह से इन्फर्टिलिटी की समस्या होती है, वहीं मेल पार्टनर में समस्या होने के मामले 30-40 फीसदी होते हैं।
लाइफस्टाइल में बदलाव से बढ़ी मुश्किलें
हालांकि कई चीजों की वजह से इन्फर्टिलिटी का जोखिम बढ़ रहा है लेकिन इसमें लाइफस्टाइल का बदलाव सबसे बड़ा है। आजकल काफी कपल्स देरी से शादी करते हैं इसीलिए फैमिली प्लानिंग पर देरी से विचार करने का चलन जोर पकड़ रहा है। कई महिलाएं यकीन नहीं करतीं, लेकिन रीप्रोडक्टिव एज प्रेगनेंसी का एक महत्वपूर्ण फैक्टर है। 35 की उम्र के बाद ओवरी में बनने वाले एग्ज कम हो जाते हैं इसीलिए उम्र बढ़ने के साथ फर्टिलिटी की समस्या भी बढ़ने लगती है। इसी कारण जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, कपल्स में कंसीव करने को लेकर चिंता भी बढ़ने लगती है। तनाव से शरीर में कई तरह के बदलाव आ जाते हैं, जिससे कंसीव करने की प्रक्रिया में मुश्किलों और भी ज्यादा बढ़ जाती हैं।
भारत में शादी के बाद बच्चे के लिए घरवालों की तरफ से काफी दबाव होता है और इससे भी कपल्स का टेंशन काफी बढ़ जाता है। 64 फीसदी पुरुष, जिनकी पत्नियां 30 साल से ऊपर की होती हैं, बच्चे के लिए सबसे ज्यादा दबाव महसूस करते हैं।
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तंबाकू-शराब के सेवन से भी बढ़ रही है समस्या
एल्कोहॉल और तंबाकू के बढ़ते सेवन की वजह से पुरुष और महिलाओं दोनों में वेट गेन की समस्या देखने में आ रही है। इन चीजों के सेवन से पुरुष और महिलाओं में हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे महिलाओं में एग इंप्लाटेशन खराब होता है और पुरुषों में स्पर्म की क्वालिटी कम हो जाती है।
ऐसे में साफ है कि उम्र ज्यादा हो तो महिलाएं कंसीव करने के दौरान कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स से जूझ रही होती हैं। 42 फीसदी महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान लाइफस्टाइल या उम्र से जुड़ी मुश्किलों का सामना करती हैं और 45 फीसदी या तो परेशान होती हैं या फिर तनाव में रहती हैं।
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