मौत खामोशी से इंसान का सबकुछ छीन ले जाती है। कुछ ऐसा ही हुआ केरला के रहने वाले सजीश के साथ, जिनकी पत्नी लिनि डेडली वायरस नीपा की चपेट में आकर मौत की शिकार हो गई। मौत से चंद लम्हों पहले उन्होंने अपने पति को आखिरी चिट्ठी लिखी। सजीश के लिए अपनी पत्नी लिनि का यह आखिरी मैसेज इतना कीमती है कि उन्होंने इसे अपने सेलफोन के कवर में लगा लिया है, ताकि यह उनके पास हमेशा बना रहे।
सजीश बहरीन में एक छोटी सी फर्म में अकाउंटेंट हैं। मंगलवार की सुबह वे कोजीकोडे के अपने चेंबेनोडा स्थित घर में उदास चेहरे के साथ खड़े हुए थे और उनके मन में बार-बार अपनी पत्नी का ही खयाल आ रहा था। एक दिन पहले ही उनकी पत्नी लिनि पीए गुजर गई थीं।
भावुक कर देने वाली चिट्ठी
एक मुड़े-तुड़े से पेपर पर मौत के आखिरी क्षणों में लिनि ने पति को मलयालम और इंग्लिश में लिखा,'सजीशेत्ता, मेरे पास ज्यादा वक्त नहीं बचा है। मुझे नहीं लगता कि मैं तुम्हें देख पाऊंगी। मुझे माफ कर देना। हमारे बच्चों का खयला रखना। तुम्हें कुंजू (बड़ा बेटा) को अपने साथ गल्फ ले जाना चाहिए। तुम्हें मेरे पिता की तरह अकेला नहीं रहना चाहिए, ढेर सारा प्यार, उम्मा।''
सजीश अपनी पत्नी को याद करते हुए बता रहे थे, 'लिनि साबित की मौत की खबर सुनकर बहुत दुखी थी। आमतौर पर नर्स जिस तरह एक मरीज की देखरेख करती हैं, लिनि ने उससे आगे बढ़कर सेवाएं दीं। लेकिन इस समय भी लिनि को इस बात का अंदाजा नहीं था कि वह इस वायरस का शिकार हो गई है।''
मरीज की देखभाल करते हुए इन्फेक्शन की शिकार हुई
लिनि कोजीकोडे से 38 किलोमीटर दूर पेरम्ब्रा के सरकारी तालुक अस्पताल में डेली वेज नर्स थीं। उत्तर केरला में नीपा वायरस फैलने के बाद पहला शिकार बने मुहम्मद साबित के संपर्क में आने से वह इन्फेक्टेड हो गई थीं। साबित का तालुक अस्पताल में इलाज चल रहा था, जहां लिनि काम करती थीं।
मंगलवार को नीपा के शिकार लोगों की संख्या 10 हो गई। घातक बीमारी नीपा चमगादड़ों के जरिए इंसानों में फैल रही है, जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई है।
अलग वार्ड में रखने की अपील की
साबित की मौत के कुछ दिन बाद लिनि में बुखार के लक्षण दिखने लगे और उन्हें कोजीकोडे के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया और इसके बाद उन्हें शहर के एक मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया। लिनि एक चचेरे भाई अनिल ने बताया, 'लिनि ने खुद कहा कि उन्हें अलग वार्ड में रखा जाए, क्योंकि उन्हें डर था कि यह वायरस उनसे दूसरे लोगों में ना फैले। संडे तक वह पूरी तरह ठीक थीं क्योंकि वह खुद से दवाएं ले रही थीं और जो भी उनसे मिलने आ रहा था, उसे वह पहचान भी रही थीं। लेकिन बाद में उनकी हालत संभल नहीं पाई।''
काम के लिए समर्पित थीं
काम के लिए लिनि के लगाव के बारे में उनके भाई ने बताया, ''लिनि को अपने काम से बहुत प्यार था। उन्हें लोगों की देखभाल करना अच्छा लगता था। वह इस काम के लिए इतनी डेडिकेटेड थीं कि अपने छोटे बेटे की डिलीवरी के महज चार महीने बाद उन्होंने अस्पताल फिर से जॉइन कर लिया था। '' अनिल जब यह बात कर रहे थे तभी लिनि की मां एपीलेप्सी की शिकार हैं, उन्हें दौरे पड़ते हैं। कुछ साल पहने उन्होंने अपने पति को खो दिया था और अब अपनी बेटी को।''
बेटा पूछता है मम्मी कब आएगी
उनकी सास इस बात पर यकीन नहीं कर पा रही हैं कि लिनि अब नहीं रहीं। लिनि के दो मासूम बच्चे हैं। बड़ा बेटा है रितुल, जो पांच साल का है और छोटा बेटा है सिद्धार्थ, जो इतना छोटा है कि अभी समझ ही नहीं सकता कि उसने क्या खो दिया है। सजीश बताते हैं, ' मैं अपने बड़े बेट से कहता हूं कि मम्मी वापस नहीं लौटेगी और अब उसके पास उसके पापा ही बचे हैं। वह कहता है कि ठीक है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि वह मेरे शब्दों को समझ पाता है। वहीं छोटा बेटा अपनी मम्मी के बारे में पूछता रहता है, खासतौर पर रात में वह मम्मी को पुकारता है और मुझे समझ नहीं आता कि मैं क्या करूं।''
लिनि की बात करते हुए रो पड़ी उनकी साथी नर्स
स्टाफ नर्स शांता इन्फेक्शन से बचाव के लिए प्रोटेक्शन सूट पहनकर रहती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मुश्किल हालात में बहादुरी से काम लेने की जरूरत होती है। लिनि के बारे में पूछे जाने पर वह इमोशनल हो गईं। उन्होंने बताया, 'हमने कितनी सारी नाइट शिफ्ट्स साथ में की हैं, लिनि लोगों का बहुत खयाल रखती थीं।' ये कहते कहते शांता की आंखें लाल हो गईं और उनका गला रुंधने लगा।
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