प्रेंगनेंसी के बाद आपको उस लम्हे का बेसब्री से इंतजार होता है जब आपका नन्हा-मुन्ना आपकी गोद में खेले। 9 महीने दर्द और तमाम परेशानियों को झेलते हुए आपकी यही दुआ होती है कि प्रेगनेंसी के दौरान आपको किसी तरह की परेशानी ना हो। इसके लिए प्रेगनेंसी के शुरुआती दौर में ही आपको अपनी डिलीवरी के लिए अस्पताल के बारे में अच्छी तरह रिसर्च कर लेनी चाहिए। दिल्ली के नर्चर आईवीएफ की डॉक्टर अर्चना धवन बजाज, कंसल्टेंट ऑब्स्टीट्रीशियन, गायनेकोलॉजिस्ट एंड आईवीएफ एक्सपर्ट से हमने इस बारे में बात की और उन्होंने इस बारे में काफी उपयोगी सुझाव दिए-
1. वेल क्वालीफाइड हो डॉक्टर
डिलीवरी के लिए अस्पताल चुनते हुए सबसे बड़ी प्रायोरिटी एक क्वालीफाइड डॉक्टर को देनी चाहिए। आपका मेडिकल चेकअप कर रही गायनेकोलॉजिस्ट कितनी क्वालिफाइड, उस तक पहुंच कितनी आसान है और वह किन-किन अस्पतालों से अटैच्ड है। ये बातें आपके प्रेगनेंसी को सुरक्षित बनाने में बहुत अहम भूमिका अदा करती हैं। इससे आप डिलीवरी के दौरान किसी भी तरह की इमरजेंसी की स्थितियों को बेहतर तरीके से हैंडल कर सकती हैं।
2. जिन अस्पतालों में बैठती है आपकी गायनेकोलॉजिस्ट, उनका पता लगाएं
आपकी डॉक्टर जिन-जिन हॉस्पिटल से अटैच है, उनके बारे में पड़ताल कर लीजिए। आपको देखना चाहिए कि वे वेल इक्विप्ड हैं या नहीं। हॉस्पिटल में एक या दो ऑब्स्ट्रीटीशियन के बजाय एक अच्छी ऑब्सटीट्रिक्स टीम होनी चाहिए।
3. ब्लड बैंक की सुविधा हो
हॉस्पिटल में ब्लड बैंक होना बहुत जरूरी है ताकि इमरजेंसी में खून की जरूरत पड़ने पर आपको किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। ब्लड बैंक के साथ निओ नेटोलॉजिस्ट और पिडिट्रीशियन की अच्छी टीम होनी चाहिए ताकि आपके नवजात शिशु से जुड़ी किसी भी परेशानी से वक्त रहते डील किया जा सके।
4. वैल्यू फॉर मनी
अपनी डिलीवरी के लिए ऐसा अस्पताल चुनें जो आपके लिए वैल्यू फॉर मनी हो, यानी उसमें सभी आवश्यक सुविधाएं होने के साथ-साथ वहां का खर्च तर्कसंगत हो।
5. घर से ना हो ज्यादा दूरी
फर्स्ट डिलीवरी है तो घर से दूरी मायने नहीं रखती। इस स्थिति में अगर वॉटर बैग बर्स्ट हो जाए तो भी आमतौर पर उतनी प्रॉबल्म नहीं होती। लेकिन दूसरी और तीसरी प्रेगनेंसी में यह बात बहुत मायने रखती है। ऐसी स्थितियों में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अस्पताल पहुंचने में टाइम कम लगे। अगर आपकी प्रेगनेंसी में पहले से ही कॉम्पलीकेशन हैं तो आपके लिए यह बहुत महत्वपूर्ण होगा कि आप अपने घर के पास का अस्पताल चुनें और जिस रास्ते से ट्रेवलिंग में कम देर लगे, उसी रास्ते को चुनें।
6. ट्रेवलिंग टाइम का अंदाजा लगा लें
अगर आपकी डॉक्टर कहीं दूसरे अस्पतालों में कंसल्ट करती है तो एक बार खुद ट्रैफिक के पीक टाइम में वहां पहुंचकर देखें। इससे आपको अंदाजा हो जाएगा कि आपके घर से अस्पताल की दूरी आपके लिए बहुत ज्यादा है या नहीं।
7. दूसरों के एक्सपीरियंस से अस्पतालों की गुणवत्ता आंकें
आप अपने आसपास की महिलाओं और अस्पताल में भर्ती मरीजों के तजुर्बे से पता लगा सकती हैं कि उनके किसी अस्पताल में कैसा अनुभव रहा है। इससे आपको अस्तपताल के वास्तविक हालात का पता चल जाएगा।
8. मल्टी स्पेशेलिटी हॉस्पिटल बेहतर
अगर आप मल्टी स्पेशेलिटी हॉस्पिटल अपने लिए चुनती हैं तो यह ज्यादा बेहतर रहेगा। कुछ आपातकाल स्थितियां जैसे कि ब्लीड या इंटरवेंशनिस्ट की जरूरत पड़ने पर आईसीयू की व्यवस्था होनी चाहिए। अगर आपको बीपी की समस्या है तो अस्पताल में अच्छा फिजीशियन होना बेहद जरूरी है ताकि आपका बीपी कंट्रोल में रहे।
9. वेल इक्विप्ड नर्सरी
अस्पताल में अच्छी नर्सरी होनी चाहिए। नर्सरी में हर तरह का साजो-सामान उपलब्ध होना चाहिए। हो सकता है कि आपके नवजात शिशु को वेंटिलेटर की जरूरत पड़े, या ऑक्सिजन की, ऐसे में वेल इक्विप्ड नर्सरी के होने से आपका शिशु सुरक्षित रहता है।
10. वेल इक्विप्ड लेबर रूम और ओटी
मेडिकल कॉम्पिलकेशन की स्थितियों में कई बार ऐन डिलीवरी के समय भगदड़ मच जाती है। गर्भवती महिलाएं इससे स्ट्रेस में आ जाती हैं, इसीलिए अस्पताल वेल इक्विप्ड अवश्य होना चाहिए। इसके अलावा लेबर रूम और ओटी भी वेल इक्विप्ड होना चाहिए।
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