सेकंड ट्राइमेस्टर में मैटरनल सीरम स्क्रीनिंग टेस्ट प्रेग्नेंसी में क्‍यों कराना चाहिए? जानें

सेकंड ट्राइमेस्टर में मैटरनल सीरम स्क्रीनिंग टेस्ट प्रेग्नेंट महिलाएं द्वारा क्‍यों कराया जाता है? आइए इस बारे में एक्‍सपर्ट से विस्‍तार में जानें।  

second trimester maternal serum screening main

जैसा कि नाम से पता चलता है कि सेकंड ट्राइमेस्टर में मैटरनल सीरम स्क्रीनिंग टेस्ट प्रेग्नेंट महिलाएं करवाती हैं। यह ब्लड टेस्ट यह निर्धारित करने में मदद करता है कि क्या अजन्मे बच्चे को न्यूरल ट्यूब दोष, डाउन सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 21) या एडवर्ड सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 18) जैसे किसी भी बर्थ डिफेक्ट होने की संभावना होगी। सेकंड ट्राइमेस्टर स्क्रीनिंग टेस्ट क्वाड्रपल मार्कर टेस्ट है।

क्वाड्रपल टेस्ट क्या है और कब यह कब करवाना चाहिए?

टेस्ट में मां के ब्लड में चार प्रोटीन की मात्रा का एनालिसिस किया जाता है। टेस्ट के परिणाम और मां की उम्र बच्चे के एडवर्ड सिंड्रोम, डाउन सिंड्रोम या न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स के साथ पैदा होने वाले जोखिम कारकों को निर्धारित करने में मदद करते हैं। इस टेस्ट को प्रेग्नेंसी के सेकंड ट्राइमेस्टरमें किया जाना चाहिए। इस टेस्ट के नमूनों की सर्वोत्तम समय सीमा प्रेग्नेंसी के 15वें और 17वें हफ्ते के बीच है।

क्वाड्रपल मार्कर टेस्ट क्या है?

यह ब्‍लड टेस्‍ट प्रेग्नेंसी के 15वें और 20वें हफ्ते के बीच किया जाता है। फर्स्ट ट्राइमेस्टर मैटरनल सीरम स्क्रीनिंग टेस्ट की तरह, क्वाड्रपल मार्कर टेस्ट इस बात की जांच करता है और जानकारी देता है कि क्या प्रेग्नेंसी में शिशु किसी दोष के साथ पैदा हो सकता है। यह टेस्ट किसी भी डायग्नोसिस कंडीशन के निदान में मदद नहीं करता है लेकिन यह एक सफल संकेत देने में सक्षम है जो आगे के टेस्ट्स को स्पष्ट करता है।

second trimester maternal serum screening inside

मैटरनल सीरम स्क्रीनिंग टेस्ट क्या जानने में मदद करता है?

स्क्रीनिंग टेस्‍ट निम्नलिखित मेडिकल कंडीशन्स के बढ़ते जोखिम के साथ प्रेग्‍नेंसी को प्रभावी ढंग से पहचानने में मदद करते हैं:

न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स

न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स के तहत सबसे आम स्थितियां हैं, स्पाइना बिफिडा और एनेंसेफली। एनेंसेफली में बच्‍चे का ब्रेन पर्याप्त रूप से विकसित नहीं होता है और जीवित रहने की संभावना कम होती है। स्पाइना बिफिडा में रीढ़ की हड्डियों का एक असामान्य उद्घाटन होता है जो शरीर के निचले हिस्से को नियंत्रित करने वाली नसों को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे पैरों का पैरालिसिस, कमजोरी और ब्‍लैडर और बाउल मूवमेंट को नियंत्रित करने में असमर्थता हो सकती है। अगर यह मौजूद है तो प्रेग्नेंसी के सेकंड ट्राइमेस्टर में किए जाने वाले मैटरनल सीरम स्क्रीनिंग टेस्ट से प्रभावी रूप से इस स्थिति का पता लगाया जा सकता है।

डाउन सिंड्रोम

यह एक महत्वपूर्ण इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी है। इससे फिजिकल डिसेबिलिटिस भी हो सकती हैं, जैसे कि हार्ट डिफेक्ट्स, सुनने और देखने में कठिनाई। जब एक बच्चे में क्रोमोसोम 21 की दो नहीं बल्कि तीन प्रतियां होती हैं तो बच्चे को डाउन सिंड्रोम कहा जाता है।

इसे जरूर पढ़ें:आखिर प्रेगनेंसी में क्यों होती है खुजली, इस दौरान स्किन में होने वाले बदलावों पर डालें एक नजर

एडवर्ड सिंड्रोम

इस कंडीशन में फिजिकल डिसेबिलिटिस जैसे कि हार्ट डिफेक्ट्स, डाइजेस्टिव सिस्टम में डिफेक्ट्स और ग्रोथ डेफिशियेंसी हो सकती है। जब एक बच्‍चे में क्रोमोसोम 18 की दो नहीं बल्कि तीन प्रतियां होती हैं तो बच्चे को एडवर्ड सिंड्रोम कहा जाता है। इस कंडीशन से पीड़ित शिशु का जीवन कुछ ही महीनों का होता है।

लेब्रटॉरीज़ से टेस्ट का रिजल्ट वापस आने में एक हफ्ते का समय लग सकता है। प्रेग्नेंट मदर की उम्र जितनी अधिक होगी, बच्चे के डाउन सिंड्रोम के साथ पैदा होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। अगर टेस्ट के रिजल्ट पॉजिटिव आते हैं, तो डॉक्टर एक विस्तृत जांच और समीक्षा के लिए एडवांस टेस्ट्स की सलाह देते हैं। एमनियोसेंटेसिस और कॉरियोनिक विलस सैंपलिंग (सीवीएस) एडवांस डायग्‍नोस्टिक टेस्‍ट्स हैं जो अजन्मे बच्चे में एडवर्ड सिंड्रोम और डाउन सिंड्रोम जैसे क्रोमोसोमल कंडीशन्‍स का पता लगाने में मदद करते हैं।

डॉक्‍टर बेला भट्ट (एम.डी. (ओबी गायनी), एफआईसीओजी, एफएमएफ (यूके) सोनोलॉजिस्ट) को एक्‍सपर्ट सलाह के लिए विशेष धन्‍यवाद।

Reference:

https://www.betterhealth.vic.gov.au/health/conditionsandtreatments/pregnancy-tests-maternal-serum-screening

Recommended Video

http://womensandinfantshealth.ca/tests/maternal-serum-screening/

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP