अगर आप प्रेगनेंट हैं तो आपको अपने होने वाले बच्चे के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए आपको जागरूक रहने की जरूरत है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में नवजात शिशुओं की मौत के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। आंकड़े बताते हैं कि नवजात शिशुओं की मृत्युदर 0.75 मिलियन प्रति वर्ष है। इसमें से 35 प्रतिशत मौतें प्रीटर्म बर्थ और लो बर्थ वेट से जुड़े होते हैं। एक हालिया स्टडी बताती है कि एस्फिक्सिया, इन्फेक्शन, निमोनिया, डायरिया और मीसल्स जैसी प्रॉबल्मस के कारण नवजात शिशुओं की मौत के मामलों में कमी आई है, लेकिन समय से पहले पैदा होने और सामान्य से कम वजन होने की वजह से मौतों का आंकड़ा बढ़ा है। नवजात शिशुओं में मौत से बचाव के लिए कंगारू मदर केयर का तरीका अपनाया जा रहा है।
कंगारू मदर केयर कंगारू के बच्चे की देखभाल के तरीके से प्रेरित है। कंगारू के बच्चे जब पैदा होते हैं, तब सिर्फ मूंगफली के दाने के बराबर होते हैं और इंसानों के बच्चों से मिलते-जुलते नजर आते हैं। मां की गोद में स्तनपान करते हुए उन्हें वही तापमान मिलता है, जिसकी उन्हें इस समय में सबसे ज्यादा जरूरत होती है। यहां बच्चे उस समय तक रहते हैं जब तक वे थोड़े बड़े नहीं हो जाते। इसी से इंस्पिरेशन लेते हुए बच्चे के पैदा होने के बाद उसे आधे घंटे तक मां की गोद में रखा जाता है।
फोर्टिस ला फेम अस्पताल, दिल्ली की डॉक्टर सुनीता अरोड़ा का कहना है, 'इंसानों में जन्म के बाद बच्चे को साफ-सुथरा किया जाता है, इसके बाद मां अपने बच्चे को छाती से लगाकर रखती है। जज्जा और बच्चा दोनों इस स्थिति में उस समय तक रहते हैं जब तक बच्चे की फीडिंग शुरू नहीं हो जाती। मां और बच्चे की बॉन्डिंग बढ़ाने के साथ-साथ इस तकनीक के जरिए बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिलती है। कंगारू केयर या स्किन-टू-स्किन कॉन्टेक्ट की तकनीक समय से पहले जन्मे बच्चों या काफी बीमार बच्चों के लिए काफी कारगर है। इससे मां और बच्चे दोनों को फायदा होता है। इससे बच्चे की इम्यूनिटी बढ़ती है, उनका तापमान स्थिर रहता है, दिल की धड़कन सामान्य बनाए रखने में मदद मिलती है, दिमाग का विकास होता है और उनका वजन बढ़ने में भी मदद मिलती है। इससे मां को भी पोस्टनेटेल स्ट्रेस से बाहर आने में मदद मिलती है और उनमें यह विश्वास जगता है कि वे अपने बच्चे को आत्मविश्वास के साथ संभाल सकती हैं।' डॉ सुनीता कहती हैं कि इससे मां के शरीर में बच्चे के लिए ज्यादा दूध बनता है। आइए जानें कंगारू केयर के फायदों के बारे में-
बहुत सी मां बच्चों के जन्म लेने के तुरंत बाद उनसे कनेक्ट नहीं कर पातीं, लेकिन कंगारू केयर से उनके भीतर बॉन्डिंग विकसित होती है। इससे बच्चे को शांत होने और मां का आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिलती है।
स्किन-टू-स्किन कॉन्टेक्ट से दिमाग के वो हिस्से तेजी से विकसित होते हैं, जो सोशल और इमोशनल डेवलपमेंट से जुड़े होते हैं। रिसर्च से यह बात पता चलती है कि कंगारू मदर केयर से बच्चों को अच्छी नींद आती है, स्ट्रेस डील करने में मदद मिलती है, नर्वस सिस्टम बेहतर तरीके से काम करता है और थिकिंग स्किल्स भी अच्छी होती हैं।
प्रीमेचर बेबीज के फेफड़े सही तरीके से विकसित नहीं हुए होते, ऐसे में कंगारू मदर केयर से उन्हें सांस लेने में आसानी होती है और उनका ऑक्सीजन सैच्युरेशन लेवल बेहतर होता है।
नवजात शिशुओं को सही तापमान में रखने के लिए इन्क्यूबेटर में रखा जाता है, लेकिन अब हेल्थ स्पेशलिस्ट केएमसी के फायदों का आंकलन कर रहे हैं ताकि बच्चे का तापमान कुदरती तरीके से नियंत्रित किया जा सके। आधे घंटे तक मां की गोद में रहने से बच्चे को सही तापमान नेचुरल तरीके से मिल जाता है।
मां की छाती से चिपके होने पर मां के हार्मोन में कुदरती बदलाव आने से उनके शरीर में दूध तेजी से बनता है। इससे बिना किसी बाहरी मदद के बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना बेहद आसान हो जाता है।
स्किन-टू-स्किन कॉन्टेक्ट से मां का तनाव घटता है और उसे लॉन्ग टर्म में पोस्टपार्टम डिप्रेशन से बाहर आने में मदद मिलती है। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चे को छाती से लगाने पर उसमें ऑक्सिटोसिन रिलीज होता है, जो इस ड्रिप्रेशन को दूर करने में काफी इफेक्टिव है।
नवजात शिशुओं की मौत को रोकने का सबसे सस्ता और आसानी से अपनाया जाने वाला तरीका है केएमसी। हालांकि इसे बड़े पैमाने पर अपनाए जाने में कई तरह की चुनौतियां हैं। हमारे देश में केएमसी के लिए विशेषज्ञता भी है, ऐसे में इसे बढ़ावा मिलने से मां के साथ-साथ बच्चे के जीवन को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है।
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