मेंटल हेल्थ का पूरा-पूरा असर शरीर पर पड़ता है। अगर आपकी मेंटल हेल्थ यानी मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं होगा, तो शरीर पर भी उसका असर दिखने लगेगा। लेकिन, अक्सर ऐसा होता है कि हम समझ नहीं पाते हैं कि आखिर हमारे साथ क्या हो रहा है, ऐसे में उसका इलाज करना भी मुश्किल हो जाता है। मेंटल हेल्थ की जब भी बात की जाती है, तो सबसे पहले डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसे शब्द हमारे सामने आते हैं। ज्यादातर लोग डिप्रेशन और एंग्जायटी को एक समझ लेते हैं, लेकिन दोनों में अंतर होता है। एंग्जायटी में शख्स बहुत ज्यादा चिंता करने लगता है और भविष्य को लेकर डर बैठा लेता है। वहीं, डिप्रेशन में लंबे समय तक उदासी बनी रहती है और उसका कोई भी काम करने का मन नहीं करता है।
डिप्रेशन और एंग्जायटी होना बहुत ही नॉर्मल है, लेकिन अगर यह लंबे समय तक आपके साथ बनी हुई है, तो यह रोजमर्रा की जिंदगी पर भी असर डाल सकती है। ऐसे में लक्षणों की पहचान करके यह समझना जरूरी है कि आपको डिप्रेशन है या एंग्जायटी। इससे इलाज में भी खूब मदद मिलती है। डिप्रेशन और एंग्जायटी में अंतर के साथ लक्षणों के लिए हमने चाइल्ड एंड क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट माला वोहरा खन्ना से बात की है। माला वोहरा खन्ना का दिल्ली में राज साइकलोजिकल सर्विस नाम से क्लीनिक है।
चाइल्ड एंड क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट माला वोहरा खन्ना के मुताबिक, जिसे एंग्जायटी की समस्या होती है वह बहुत ज्यादा चिंता करने लगता है और भविष्य को लेकर मन में चाइल्ड एंड क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट माला वोहरा खन्ना के मुताबिक, जिसे एंग्जायटी की समस्या होती है वह बहुत ज्यादा चिंता करने लगता है और भविष्य को लेकर मन में डर बैठा लेता है कि आगे क्या होगा। उसे डर लगता रहेगा कि कुछ गलत तो नहीं हो जाएगा। एंग्जायटी में शख्स ज्यादातर भविष्य के बारे में सोचता है।
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एक्सपर्ट के मुताबिक, जो डिप्रेशन से गुजर रहा होता है उसे जिंदगी निराशा से भरी लगने लगती है। वह खुद को बेकार समझने लगता है और अपने बारे में कुछ अच्छा नहीं मानता। डिप्रेशन के लक्षणों पर भी एक्सपर्ट ने बात की है, जो बहुत बेसिक से लेकर बहुत सीरियस भी हो सकते हैं।
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एक्सपर्ट के मुताबिक, डिप्रेशन और एंग्जायटी साथ में भी हो सकते हैं। ऐसा नहीं है कि दोनों हमेशा अलग-अलग होते हैं। कई बार यह दोनों साथ में भी हो सकते हैं। डिप्रेशन में ज्यादातर शख्स निराश रहता है और खुद को बेकार समझने लगता है। वहीं, एंग्जायटी में ज्यादातर भविष्य को लेकर परेशान रहता है कि आगे क्या होगा और कैसे होगा। कई बार एंग्जायटी और डिप्रेशन बहुत ज्यादा तनाव की वजह से हो सकता है। तनाव को योगा से भी कम किया जा सकता है।
डिप्रेशन और एंग्जायटी दोनों का ही इलाज हो सकता है। इसे किसी भी तरह का टैबू नहीं समझना चाहिए और इस पर खुलकर बात करनी चाहिए, तभी इसका इलाज भी संभव है। डिप्रेशन और एंग्जायटी दोनों के इलाज के लिए टॉक थेरेपी, दवाइयां, और दोनों का कॉम्बिनेशन भी डॉक्टर सजेस्ट करते हैं। डिप्रेशन-एंग्जायटी की दवाइयां हमेशा डॉक्टर की सलाह के बाद ही लेनी चाहिए, बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी तरह की दवा के सेवन से हमेशा बचना चाहिए।
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