बदलते मौसम की खुजली या शीतपित्त के बारे में ये जानकारी आपके काम आ सकती है

अगर आपको बार-बार स्किन पर खुजली होती है और स्किन रैशेज पड़ जाते हैं तो शीतपित्त के बारे में ये जानकारी आपके काम आएगी।

 
how to deal with Urticaria

स्किन की खुजली बहुत ही आम होती है और इससे कई लोग परेशान होते हैं। एक बात जो अक्सर देखी जाती है वो ये कि लोगों को बदलते मौसम के दौरान खुजली शुरू हो जाती है। अगर हम आयुर्वेद की भाषा में बात करें तो इसे शीतपित्त कहा जाता है जो शरीर में पित्त और ठंड की तासीर बढ़ने के कारण शुरू होती है। ये खुजली काफी विकराल रूप ले सकती है और ऐसा भी हो सकता है कि आपकी स्किन पपड़ी बनकर निकलने लगे या फिर स्किन पर हाइव्स या चकत्ते पड़ जाएं।

स्किन पर लाल रैशेज पड़ना और लगातार खुजली होना बहुत परेशान कर सकता है। आयुर्वेदिक डॉक्टर दीक्षा भावसार ने अपने इंस्टाग्राम पर इस कंडीशन के बारे में विस्तार से बताया। उनके पोस्ट को देखकर हमने सीधे उनसे बात की और ये जानने की कोशिश की कि आखिर ये कंडीशन क्या है और इसके लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।

डॉक्टर भावसार का कहना है कि आपको पहले ये ध्यान रखने की जरूरत है कि कहीं ये कंडीशन किसी और बीमारी या दवा का साइड इफेक्ट तो नहीं। अगर नहीं तो आपके शरीर में किस तरह से पित्त बढ़ रहा है और बदलते मौसम की शीत आपको परेशान कर रही है। कई मामलों में डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत पड़ती है इसलिए ध्यान रखें।

क्या होता है शीतपित्त?

आयुर्वेदिक इलाज हर समस्या की जड़ को देखकर किया जाता है। जहां तक शीतपित्त का सवाल है ये दो शब्दों को मिलाकर बनाया गया है जिसमें 'शीत' यानि सर्दी और 'पित्त' यानि गर्मी को मिलाया गया है। ये तब होता है जब इंसान को सर्दी से बहुत ज्यादा एक्सपोजर मिलता है और शीत आपके शरीर के पित्त को डॉमिनेट करता है। ये स्थिति Urticaria (अर्टिकेरिया-एक तरह की स्किन कंडीशन) से काफी मिलती जुलती है।

इस कंडीशन में मरीज के शरीर में अलग-अलग तरह के रैशेज आ जाते हैं और ऐसे में ये ध्यान रखना जरूरी है कि आपके शरीर के कई हिस्सों में बहुत ज्यादा खुजली हो सकती है। रैशेज इतने ज्यादा होते हैं कि मरीज़ बार-बार खुजली करता है।

best possible treatment of Urticaria

शीतपित्त के लक्षण-

  • शीतपित्त का सबसे महत्वपूर्ण लक्षण है स्किन में होने वाले मार्क्स जो किसी कीड़े के काटने जैसे दिखते हैं। ये लाल रैशेज की शक्ल के होते हैं।
  • इसमें बहुत ज्यादा खुजली होती है
  • ऐसा भी लगता है कि स्किन में कुछ चुभ रहा है
  • हो सकता है कुछ मामलों में उल्टी, दस्त, जी-मिचलाना और बुखार जैसे लक्षण दिखें
  • जरूरत से ज्यादा प्यास लगती है
  • पेट, सीने, आंखों में जलन हो सकती है
Urticaria symptoms

किन कारणों से हो सकता है शीतपित्त?

इसके कई कारण हो सकते हैं और कई लोगों को सिर्फ नॉर्मल एलर्जी भी हो सकती है, लेकिन ध्यान रखने वाली बात ये है कि आपको बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है तो जरूर पहले डॉक्टर से संपर्क करें। इसके ये कारण हो सकते हैं-

  • एलर्जी
  • खराब पाचन
  • किसी तरह के ड्रग (दवाओं) का रिएक्शन
  • जरूरत से ज्यादा नमकीन, तीखा और प्रोसेस्ड फूड खाना
  • नींद ना आने की समस्याएं (आपकी स्लीप साइकल किसी वजह से खराब हो गई हो)
  • ज्यादा ठंडा खाना
  • ज्यादा ठंडे मौसम में रहना
  • ठंडी हवाओं (कूलर आदि के सामने) या सीलन वाली जगह में जाना
Urticaria and season change

किस तरह किया जा सकता है शीतपित्त का ट्रीटमेंट?

डॉक्टर दीक्षा का कहना है कि सबसे पहला और सबसे जरूरी ट्रीटमेंट तो यही होगा कि आप उन कारणों को अवॉइड करें जिनसे आपको समस्या हो रही है। कई लोगों को ये पता ही नहीं होता कि उन्हें किस तरह की समस्या है और ऐसे में ये जरूरी है कि आप अपनी समस्या पर ध्यान दें और खासतौर पर ठंडी चीज़ों और जगहों से दूर रहें। किसी ट्रिप पर जाने से पहले एंटी-एलर्जिक दवाएं डॉक्टर की सलाह पर ली जा सकती हैं, लेकिन बिना डॉक्टरी सलाह के कुछ ना करें।

किस तरह के खाने से रहना चाहिए दूर?

डॉक्टर दीक्षा भावसार ने इस बारे में भी जानकारी दी है कि लोगों को किस तरह के खाने से दूर रहना चाहिए और कैसे अपनी इस कंडीशन को कंट्रोल में रखना चाहिए। आयुर्वेद के हिसाब से शीतपित्त को ये प्रोडक्ट्स बढ़ा सकते हैं-

  • दूध और दूध से जुड़े प्रोडक्ट्स
  • फरमेंटेड, तीखे, नमकीन और खट्टे फूड्स
  • मछली और अन्य नॉन-वेज फूड आइटम्स
  • शक्कर और सभी तरह के प्रोसेस्ड फूड्स
  • अल्कोहल
  • जी-मिचलाना और अन्य नेचुरल फीलिंग्स (प्राकृतिक आग्रह) को दबाने की कोशिश करना
  • कोल्ड ड्रिंक और अन्य ठंडी चीज़ों का इस्तेमाल

इसे जरूर पढ़ें- बिना दवाओं के कैसे दुरुस्त करें अपना डाइजेशन?

किन जड़ी बूटियों से हो सकता है फायदा?

आयुर्वेद में वो चीज़ें भी बताई गई हैं जिनसे शीतपित्त में फायदा हो सकता है। डॉक्टर दीक्षा के अनुसार आपको इन चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए-

  • गुडुची, हल्दी, आंवला, नीम आदि चीज़ें शीतपित्त में मदद कर सकती हैं।
  • आप नीम मिले हुए गुनगुने पानी से नहा सकते हैं।
  • आप नारियल तेल, सरसों का तेल, नीम ऑयल अपने पूरे शरीर में लगा सकते हैं।
  • अगर आपको शीतपित्त की समस्या बहुत समय से है और ये अन्य आयुर्वेदिक दवाओं से ठीक नहीं हो रही है तो ये बेहतर होता कि आप पंचकर्म जैसे किसी ऑप्शन को चुनें।

आपके लिए ये बहुत जरूरी है कि आप आयुर्वेदिक डॉक्टर से बात करके ही किसी भी होम रेमेडी को चुनें। ये ध्यान रखें कि हर किसी को हर तरह की चीज़ सूट नहीं करती है और ऐसे में आपको ज्यादा समस्या हो सकती है। बिना डॉक्टरी सलाह के कोई भी काम ना करें। ऐसा करना आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है और हर चीज़ हर किसी को सूट नहीं करती है इसलिए जितना हो सके अपने शरीर और हेल्थ के हिसाब से ही काम करें।

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