थायरॉइड का महिलाओं की फर्टिलिटी पर क्या होता है असर? जानें

थायरॉइड ग्लैंड का सुस्त या ओवर एक्टिव होना, स्वास्थ्य को हानि पहुंचाता है। इससे महिलाओं की फर्टिलिटी पर भी असर पड़ता है। इसे मैनेज करने का सबसे अच्छा तरीका हेल्दी लाइफस्टाइल है।

 
impact of hypothyroidism on fertility

महिलाओं में हार्मोन्स से जुड़ी कई तरह की समस्याएं आजकल बढ़ गई हैं। जिनमें पीसीओडी और थायरॉइड शामिल हैं। थायरॉइड ग्लैंड या सुस्त या ओवर एक्टिव होना, स्वास्थ्य को हानि पहुंचाता है। महिलाओं में ये समस्या पुरुषों के मुकाबले अधिक देखने को मिलती है। वजन बढ़ने, गलत-खान पान, स्ट्रेस और अनहेल्दी लाइफस्टाइल की वजह से थायरॉइड हार्मोन के लेवल में उतार-चढ़ाव हो सकता है। हाइपरथायराइडिज्म और हाइपोथायराइड ,थायराइड दो प्रकार का होता है। शरीर में मौजूद थायराइड ग्रंथि जब आवश्यकता से अधिक या कम थायराइड हार्मोन का उत्पादन करने लगती है तो इसे इसे थायरॉइड कहा जाता है।

थायरॉइड की वजह से महिलाओं के पीरियड्स और फर्टिलिटी दोनों पर असर होता है। थायरॉइड किस तरह से महिलाओं की फर्टिलिटी पर असर डालता है, इस बारे में डाइटिशियन मनप्रीत बता रही हैं। मनप्रीत ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से न्यूट्रिशन्स में मास्टर्स की है। वह हार्मोन और गट हेल्थ कोच हैं।

क्या होता है हाइपोथायरॉइड?

how thyroid hormone affects women fertility

एक्सपर्ट की मानें तो हाइपोथायरॉइड कंडीशन, महिलाओं की फर्टिलिटी पर असर डाल सकती है। जहां, हाइपरथायरॉइड में थायरॉइड ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है। वहीं, हाइपोथायरॉइड में थायरॉइड ग्रंथि से थायरॉइड हार्मोन कम मात्रा में निकलता है और शरीर में थायरॉइड हार्मोन की मात्रा कम होने लगती है।

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हाइपोथायरॉइड का महिलाओं की फर्टिलिटी पर असर

thyroid disorder and fertility

  • जब शरीर में थायरॉइड हार्मोन का लेवल कम होने लगता है, तो इसका असर महिलाओं की फर्टिलिटी पर पड़ता है।
  • थायरॉइड का लेवल कम होने पर ओव्युलेशन पर इसका असर होता है, जिसका सीधा संबंध फर्टिलिटी से होता है।
  • इसकी वजह से पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं और महिलाओं की फर्टिलिटी प्रभावित होती है।
  • दरअसल, हाइपोथायरॉइड ओवरी से एग के रिलीज को रोक सकता है। रेगुलर पीरियड्स के दौरान, हर महीने ओवरी से एग रिलीज होता है, लेकिन जिन महिलाओं को हाइपोथायरॉइड की समस्या होती है, उनकी ओवरीज में हर महीने एग सही से रिलीज नहीं होते हैं।
  • यहां तक कि यह फर्टाइलज हुए एग के डेवलेपमेंट पर भी असर डाल सकता है।
  • जिन महिलाओं को थायरॉइड की समस्या होती है, उन्हें प्रेग्नेंसी में भी अपनी डाइट और लाइफस्टाइल का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है वरना बच्चे के विकास में मुश्किल हो सकती है।

थायरॉइड के लिए जरूरी 3 न्यूट्रिएंट्स

हाइपोथायरॉइड में थायरॉइड लेवल को बैलेंस रखने के लिए सेलेनियम, जिंक और आयोडीन जरूरी होता है। इसलिए जिन महिलाओं में थायरॉइड का लेवल कम होता है, उन्हें सेलेनियम, जिंक और आयोडीन रिच फूड्स का सेवन करना चाहिए।

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अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।

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Image Credit:Freepik

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FAQ

  • क्या थायरॉइड का महिलाओं की फर्टिलिटी पर असर होता है?

    हां, हाइपोथायरॉइड में महिलाओं की ओवरी से निकलने वाली एग प्रभावित होते हैं, जिससे पीरियड्स और फर्टिलिटी पर असर होता है।
  • थायरॉइड लेवल को कैसे मैनेज किया जाता है?

    थायरॉइड लेवल को मैनेज करने के लिए सही डाइट, हेल्दी लाइफस्टाइल और पूरी नींद बहुत जरूरी है। वहीं, डॉक्टर की सलाह भी लेनी चाहिए।