बरसात के मौसम में डेंगू बुखार का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है। यह एक वायरल बीमारी है जो एडीज एजेप्टी मच्छरों द्वारा फैलता है। डेंगू के लक्षणों की बात करें तो इसमें तेज बुखार, सिर में दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते कभी-कभी उल्टी और दस्त भी होता है। गंभीर मामलों में डेंगू बुखार रक्तस्रावी डेंगू में बदल जाता है। वहीं लोगों का सवाल होता है कि आखिर डेंगू का टेस्ट कब करवाना चाहिए। अगर आपके मन में भी यही सवाल है तो हम आपको इसकी जानकारी इस आर्टिकल के जरिए दे रहे हैं इसको लेकर हमने डॉक्टर से बात की Dr Vibhu kawatra Pulmonologist (sleep expert) pediatrician & Allergy Specialist इस बारे में जानकारी दे रहे हैं।
बुखार आने के कितने दिनों बाद कराना चाहिए डेंगू का टेस्ट?
डेंगू का टेस्ट 3 से 7 दिनों के अंदर कराना जरूरी होता है। ये टेस्ट तीन तरह के होते हैं पहला NS1 एंटीजन होता है। इसका मतलब है कि हम वायरस को डिटेक्ट कर रहे हैं। खून के अंदर वायरस कितना है,इस टेस्ट से ही पता चल पाता है। वायरस इतने दिनों में मल्टीप्लाई होता है। अगर आप 3 दिन से पहले टेस्ट कराते हैं तो कई बार डेंगू नेगेटिव आ जाता है और आप निश्चिंत हो जाते हैं,जो की बाद में परेशानी बढ़ा सकता है। NS1 एंटीजन टेस्ट डेंगू के शुरुआती चरणों में संक्रमण की पहचान करने में मदद करता है।
आईजीएम टेस्ट डेंगू वायरस के खिलाफ शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को मापता है। खासकर के एंटीबॉडी की उपस्थिति को, आईजीएम एंटीबॉडी बुखार के 5 से 7 दिनों के बाद खून में पाई जाती है इसलिए अगर बुखार की शुरुआत में पहले 5 दिनों में आईजीएम टेस्ट किया जाए तो यह नेगेटिव हो सकता है
इसके अलावा आईजीजी टेस्ट किया जाता है। इसकी सहायता से पुराने संक्रमणों की पहचान में मदद मिलती है,यह टेस्ट बताता है कि जो आपको डेंगू हुआ था वह अब एक्टिव नहीं है।
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