हमारे समाज में लैंगिक पहचान को आमतौर पर महिला और पुरुष में ही बांटा जाता है। लेकिन थर्ड जेंडर भी अपनी पहचान रखता है। हालांकि, आमतौर पर थर्ड जेंडर के लोगों को अलग, हटके, अबनॉर्मल कहकर बुलाया जाता है पर असल में यह गलत है। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर कम्यूनिटी के लोगों की पहचान, थर्ड जेंडर के तौर पर बताई। जून को प्राइड मंथ के तौर पर मनाया जाता है।
आज के वक्त में भी थर्ड जेंडर को वो पहचान नहीं मिल पाई है, जिसके वे हकदार हैं। थर्ड जेंडर के लोगों को कई हेल्थ इश्यूज भी हो सकते हैं, जिसके बारे में ज्यादा बात नहीं की जाती है। इस बारे में हमने डॉक्टर चेतना जैन, डायरेक्टर, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग, क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम से बात की। आइए जानते हैं।
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