बच्चों में मोटापा—एक महामारी की तरह आज फैलता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया-भर में करीब 2 करोड़ 20 लाख बच्चों का वजन बहुत ज़्यादा है, जिनकी उम्र 5 साल से भी कम है। ज्यादातर बच्चे मोटापे के कारण डायबिटीज, हाई ब्लज प्रेशर और सांस संबंधी बीमारियों का शिकार हो जाते है। एक शोध से यह बात भी सामने आई है कि शुरुआती तीन वर्षो में बच्चे के विकास से उसके फेफड़ों के विकास पर असर करता है और 10 साल की आयु में अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है। हालिया शोध के अनुसार, जीवन के शुरुआती वर्षो में अत्यधिक वजन बढ़ने से शिशुओं को लोवर लंग फंक्शन और बचपन के अस्थमा के खतरे को बढ़ सकता है।
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लोवर लंग फंक्शन
नीदरलैंड के एरास्मस यूनिवर्सिटी में हुए नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि जिन शिशुओं का वजन सर्वाधिक रफ्तार से और सबसे ज्यादा बढ़ा है, 10 वर्ष की आयु में उन्हें लोवर लंग फंक्शन की समस्या हुई। यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता और प्रमुख लेखक मेरिबेल कासस ने कहा कि अध्ययन में यह भी खुलासा हुआ है कि बच्चे का बॉडी मास इंडेक्स जितनी देर में अपने शिखर पर पहुंचेगा, उसके फेफड़े उतना ही अच्छा काम करेंगे और लड़कों के मामले में अस्थमा का खतरा कम हो जाएगा।
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क्या कहता है शोध
कासस ने कहा, इन परिणामों से इसकी पुष्टि हो गई है कि शुरुआती वर्षो में विकास की फेफड़ों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है। शोधकर्ताओं ने शोध प्रक्रिया में 10 साल तक के 4,435 बच्चों को शामिल किया था। इस दौरान उनके जन्म से पहले तीन साल तक उनके वजन और लंबाई पर नजर रखी गई।
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