बरसात के मौसम में डेंगू बुखार अपने चरम पर होता है जो ट्रॉपिकल और सबट्रॉपिकल क्षेत्रों में पाए जाने वाले एक संक्रमित मच्छर के काटने से फैलने वाली एक वेक्टर जनित बीमारी है। अगर निवारक उपायों को समय पर लिया जाता है तो इसे प्राकृतिक उपचारों की मदद से आसानी से ठीक किया जा सकता है या कोई भी इसे पूरी तरह से कंट्रोल कर सकता है। संक्रमित लोगों में तीन से चौदह दिनों के बाद डेंगू संक्रमण के लक्षण दिखने शुरू होते हैं। दूसरी ओर, वायरस से संक्रमित कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। रोगियों द्वारा बताए गए कुछ सबसे सामान्य लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, उल्टी, मसल्स और जोड़ों में दर्द और त्वचा पर लाल चकत्ते शामिल हैं। इनके अलावा मरीजों में सूजन वाली ग्लैंड्स, तेजी से सांस लेना, सुस्ती और आंखों में दर्द भी होता है। जांच करने पर ब्लड प्लेटलेट काउंट में भी कमी दिखाई देती है। मधुकर रेनबो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के निदेशक और बाल रोग विभाग के प्रमुख, डॉक्टर सिसिर पॉल इस आर्टिकल के माध्यम से हमें लक्षणों से लेकर प्राकृतिक उपचार तक, डेंगू बुखार के सभी पहलुओं के बारे में बता रहे हैं।
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एक्सपर्ट की राय
पॉल का कहना है कि ''बच्चों में बुखार आमतौर पर एक दिन के लिए ठीक हो जाता है और फिर से लौट आता है, एक ऐसा पैटर्न जिसे सैडलबैक बुखार कहा जाता है। त्वचा पर रैशेज एक से दो दिनों के भीतर हो सकते हैं जो एक से पांच दिनों तक रहते हैं। बच्चों को डेंगू बुखार के हल्के हमले के दौरान कोई संकेत या लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। आमतौर पर संक्रमण उच्च बुखार का कारण बनता है, जो सिरदर्द, मसल्स, हड्डी या जोड़ों के दर्द के साथ 104 एफ तक बढ़ सकता है।''
''व्यक्ति को डेंगू बुखार या डीएचएफ (Dengue Haemorrhagic Fever) के लक्षण हो सकते हैं या उनके कोई लक्षण नहीं होते हैं। लगभग एक हफ्ते के बाद अगर कोई मच्छर इस व्यक्ति को काटता है तो यह हेल्दी व्यक्ति को काटकर वायरस को संक्रमित कर सकता है। डेंगू इंसानों से सीधे संचारित नहीं हो सकता है।''
डॉक्टर पॉल ने आगे कहा, ''डिहाइड्रेशन को रोकने के लिए अच्छी मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करके डेंगू बुखार के हल्के मामलों का इलाज किया जा सकता है जबकि सिरदर्द और अन्य डेंगू से संबंधित शरीर के दर्द को दर्द निवारक द्वारा कम किया जा सकता है। लेकिन दर्द से राहत पाने के लिए एस्पिरिन और इबुप्रोफेन से बचना चाहिए।''
''डेंगू के अधिकतम मामलों में बुखार एक या दो दिन में बिना किसी प्रभाव के कम हो जाता है। अगर बुखार के बाद एक या दो दिन में लक्षण बिगड़ जाते हैं तो यह डीएचएफ का संकेत हो सकता है। ऐसे में तुरंत चिकित्सा सुविधा लेनी चाहिए। अगर ट्रीटमेंट जल्दी शुरू किया जाता है तो रोगियों को इंट्रावीनस (IV) लिक्विड्स और इलेक्ट्रोलाइट्स (लवण) दिए जाते हैं। एडवांस मामलों में, डॉक्टर ब्लड ट्रेन्स फ़्यूज़न का विकल्प चुन सकते हैं।
बच्चों में डेंगू
बच्चों के बारे में विशेष रूप से बात करते हुए डॉक्टर पॉल कहते हैं, ''संक्रमण को रोकने के लिए कोई इंजेक्शन नहीं है लेकिन संक्रमित मच्छरों के काटने से बचाव सबसे अच्छा तरीका है। इसलिए डेंगू के एक मरीज को मच्छर के काटने से बचाना चाहिए क्योंकि यह अन्य लोगों को काटने से संक्रमित कर सकता है।''
आसान उपचार प्रभावी रूप से मच्छर के काटने से रोकने और शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करने में मदद कर सकते हैं जैसे - पानी का भरपूर मात्रा में सेवन करने से एक मरीज को हाइड्रेटेड रहने में मदद मिलती है क्योंकि अत्यधिक पसीने और थकावट से काफी नुकसान होता है। इसके अलावा यह सिरदर्द और मसल्स में ऐंठन से भी छुटकारा दिलाता है। यह टॉक्सिन को बॉडी से बाहर निकालने में भी मदद करता है।
पपीते की पत्तियों का रस
पपीते की पत्तियों के रस में विटामिन सी हाई लेवल के साथ पोषक तत्वों और कार्बनिक यौगिकों का मिश्रण होता है जो प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने में मदद करता है। पत्ते प्रतिरक्षा प्रणाली को भी उत्तेजित करते हैं, इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट तनाव को कम करने और शरीर से टॉक्सिन्स को निकालने में मदद करते हैं।
तुलसी के पत्ते
तुलसी के पत्ते एक व्यक्ति की पूरी इम्यूनिटी में सुधार करते हैं। इसमें प्राकृतिक कीटनाशक गुणों वाले आवश्यक तेल होते हैं जो मच्छरों को दूर रखने में मदद करते हैं।
नीम के पत्ते
नीम के पत्तों में औषधीय गुण होते हैं जिन्हें प्लेटलेट और वाइट ब्लड सेल काउंट में वृद्धि के लिए जाना जाता है।
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संतरा
चूंकि संतरे एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन्स से भरपूर होते हैं, यह इम्यून सिस्टम में एंटीबॉडी को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा इसमें विटामिन सी होते हैं जो कोलेजन बनाने में महत्वपूर्ण होते हैं। इसलिए संतरे का रस इसका सेवन करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।
इन उपायों को अपनाकर आप भी डेंगू को आसानी से कंट्रोल कर सकती हैं। हेल्थ से जुड़ी और जानकारी पाने के लिए हरजिंदगी से जुड़ी रहें।
Image Credit: Freepik.com
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