Verified by Dr. Chhavi Agrawal, Associate Consultant, Endocrinology
हार्मोन एंडोक्राइन सिस्टम में ग्रंथियों द्वारा उत्पादित केमिकल्स होते हैं। हार्मोन ब्लड स्ट्रीम के माध्यम से टिशू और अंगों तक जाते हैं, संदेश देते हैं जो अंगों को बताते हैं कि क्या करना है और कब करना है। अधिकांश प्रमुख शारीरिक प्रक्रियाओं को विनियमित करने के लिए हार्मोन आवश्यक हैं, इसलिए एक हार्मोनल असंतुलन कई शारीरिक कार्यों को प्रभावित कर सकता है।
जी हां, यह सर्वविदित है कि मानसिक और शारीरिक रूप से हम कैसा महसूस करते हैं, इस पर हमारे हार्मोन का बड़ा प्रभाव पड़ता है। आपके शरीर के कार्य करने के तरीके में कई तरह के हार्मोन प्रमुख भूमिका निभाते हैं और आपके स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित कर सकते हैं। लेकिन आज हम आपको एस्ट्रोजन हार्मोन के बारे में बता रहे हैं। जिसे सेक्स हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही हम आपको बताएंगे कि एक महिला के शरीर को यह कैसे प्रभावित करता है। इसके बारे में हमें एंडोक्रिनोलॉजी, एसोसिएट सलाहकार, डॉ छवि अग्रवाल जी बता रही हैं।
एस्ट्रोजन हार्मोन का एक ग्रुप है जो महिलाओं में सामान्य सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। महिलाओं की ओवरीज सबसे अधिक एस्ट्रोजन हार्मोन बनाते हैं, हालांकि एड्रेनल ग्लैंड्स और फैट सेल्स भी कम मात्रा में हार्मोन बनाती हैं।
एस्ट्रोजन प्रमुख महिला सेक्स हार्मोन में से एक है, लेकिन पुरुषों में भी एस्ट्रोजन होता है। पीरियड्स को रेगुलेट करने के अलावा, एस्ट्रोजन रिप्रोडक्टिव ट्रेक्ट, यूरिनरी ट्रेक्ट, हार्ट और ब्लड वेसल्स, हड्डियों, ब्रेस्ट, त्वचा, बाल, म्यूकस मेम्ब्रेन, पेल्विक मसल्स और ब्रेन को प्रभावित करता है। जब एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ता है तब माध्यमिक यौन लक्षण, जैसे कि प्यूबिक और बगल के बाल भी बढ़ने लगते हैं। मस्कुलोस्केलेटल और कार्डियोवस्कुलर सिस्टम और ब्रेन सहित कई अंग प्रणालियां एस्ट्रोजन से प्रभावित होती हैं।
सेक्स हार्मोन के बढ़ने से होने वाले नुकसान
बहुत अधिक एस्ट्रोजन होने से कई तरह के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है और यह डिप्रेशन, वजन बढ़ना, सोने में कठिनाई, सिरदर्द, कम सेक्स ड्राइव, चिंता और पीरियड्स संबंधी की समस्याओं जैसे लक्षणों से जुड़ा होता है।
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सेक्स हार्मोन कम होने के नुकसान
बहुत कम एस्ट्रोजन होने से कमजोर हड्डियां (ऑस्टियोपोरोसिस), पीरियड्स संबंधी समस्याएं, रिप्रोडक्टिव संबंधी समस्याएं और ब्रेन संबंधी विकार हो सकते हैं। जबकि मेनोपॉज तक उम्र के साथ एस्ट्रोजन का लेवल स्वाभाविक रूप से कम हो जाता है, कुछ स्थितियों में उन महिलाओं में कम एस्ट्रोजन हो सकता है जो अभी तक पेरिमेनोपॉजल नहीं हैं।
एक्सपर्ट की राय
डॉ छवि अग्रवाल जी का कहना है, 'एस्ट्रोजन का लो लेवलहॉट फ्लैशेज, वेजाइना में ड्राईनेस, पीरियड्स का न होना, लो बीएमडी के साथ जुड़ा हुआ है। हाई एस्ट्रोजन भी अनियमित पीरिड्स का कारण बनता है और कुछ ट्यूमर से जुड़ा हो सकता है।'
'महिलाओं में कम एस्ट्रोजन रोगी की उम्र के आधार पर विभिन्न लक्षणों के साथ दिखाई देता है। युवा लड़कियों में ब्रेस्ट के विकास में कमी और बगल और प्यूबर्टी हेयर की अनुपस्थिति हो सकती है, लेकिन आम शिकायत तब होती है जब पीरियड्स की अनुपस्थिति होती है। जबकि जिन महिलाओं को मेनोपॉज हो गया है, उनमें मेनोपॉज से जुड़े लक्षणों के अलावा एस्ट्रोजन की कमी अनियमित या पीरियड्स न होना जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।'
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'मेनोपॉज के लक्षण हॉट फ्लैशेज, मूड स्विंग्स, सिरदर्द से लेकर सामान्य थकान तक भिन्न हो सकते हैं। मरीजों को कामेच्छा में कमी, योनि का सूखापन और सेक्सुअल रिलेशनशीप में दर्द की भी शिकायत हो सकती है। हाई एस्ट्रोजन का लेवल फिर से अनियमित पीरियड्स और ब्रेस्ट कोमलता के साथ उपस्थित होता है। हाई एस्ट्रोजन का लेवल कुछ मामलों में एक अंतर्निहित ट्यूमर का संकेत भी हो सकता है।'
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Image Credit: Freepik
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