अरे-अरे रुकिए... यहां उन फिल्मों की बात हो रही है जिन्हें अधिकतर लोग गलत मानते हैं। 'वो' वाली फिल्में जो समाज के हिसाब से खराब होती हैं और भारत में वो बैन हैं। जी हां, वो वाली फिल्मों के बारे में अगर आपको कुछ भी नहीं सुनना तो ये स्टोरी आपके लिए नहीं है। मैं अपना लेखन शुरू करने से पहले ही आपको डिस्क्लेमर दे दूं कि ये स्टोरी पूरी तरह से सिर्फ जागरूकता बढ़ाने के लिए है और कुछ नहीं।
हां, तो अब डिस्क्लेमर दे दिया तो मुद्दे पर आते हैं। भारत में पोर्नोग्राफी बैन है और आप इसका कंजम्पशन करते हैं तो ये लीगल नहीं है, लेकिन फिर भी चिराग तले अंधेरा वाली स्थिति तो हमेशा बनी ही रहती है और यहां भी यही हाल है। भारत पोर्नोग्राफी के सबसे बड़े मार्केट्स में से एक है और ना जाने किस-किस तरह की चीजें यहां कंज्यूम की जाती है। पर अगर बात करें इसके असर की तो अधिकतर लोग इसके बारे में जानते ही नहीं हैं।
पोर्नोग्राफी का असर शरीर और दिमाग दोनों पर होता है। इसे लेकर कई रिसर्च की गई हैं और ये भी बताया गया है कि आखिर इसका असर आपके दिमाग पर क्या होता है?
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Neurosciencenews में पब्लिश एक रिसर्च बताती है कि अब साइंस पोर्न के न्यूरोलॉजिकल महत्व को समझने लगी है। ये रिसर्च बताती है कि पोर्नोग्राफी का असर असल मायने में दिमाग पर पड़ता है।
दिमाग का एक एरिया होता है जिसे रिवॉर्ड सेंटर कहा जाता है। ये हमारी आदतों को बनाने में मदद करता है। यही हिस्सा शरीर में डोपामाइन नामक केमिकल रिलीज करना है और हमारे एक्शन और उनकी समझ के बीच कनेक्शन बनाता है। डोपामाइन को प्लेजर केमिकल भी कहा जाता है और ये हमारी आदतों और रिवॉर्ड के बीच का कनेक्शन बनाता है उदाहरण के तौर पर एक्सरसाइज, खाना, सेक्स आदि एक निश्चित एक्शन की तरह देखे जाते हैं और दिमाग का ये हिस्सा केमिकल रिलीज करता है। (शरीर के हार्मोन्स को कैसे बैलेंस करें)
पोर्नोग्राफी की बात करें तो इसे देखने पर दिमाग काफी अलग तरह से रिएक्ट करता है और ये ऐसा लगता है जैसे शरीर में कोई शक्कर वाला स्नैक अंदर गया हो। ये बिल्कुल किसी क्रेविंग की तरह ही असर करता है। दिमाग में एक ऑफ स्विच होता है जो क्रेविंग पूरी होने पर डोपामाइन को रिलीज करना बंद कर देता है।
इसके अलावा, पोर्नोग्राफी ब्रेन पर उस तरह से असर डालता है जैसे एडिक्टिव ड्रग हो और इसके कारण डोपामाइन रिलीज होना बढ़ जाता है। ऐसा लगातार होने पर हमारा दिमाग डोपामाइन की टोलरेंस बिल्ड कर लेता है और ऐसे में एक समय के बाद या तो बहुत ज्यादा या फिर बहुत एक्स्ट्रीम कंटेंट चाहिए होता है जिससे उसी तरह का प्लेजर मिल सके।
इसके कारण ब्रेन की फैसले लेने की क्षमता भी कम हो जाती है और एक रिपोर्ट मानती है कि इससे ब्रेन के रिवॉर्ड सर्किट में खराबी आ जाती है। यही होती है एडिक्शन की शुरुआत जिससे हमारा दिमाग किसी और चीज को लेकर एडिक्ट होता है।
अगर कोई पोर्न एडिक्ट है या फिर लंबे समय तक ऐसा कंटेंट कंज्यूम कर रहा है तो उसका शरीर पर भी असर हो सकता है।
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लंबे समय तक पोर्नोग्राफी कंज्यूम करने का सबसे पहला असर है सेक्सुअल डिस्फंक्शन। खासतौर पर अपने रियल लाइफ पार्टनर के साथ ऑर्गेज्म (महिलाओं के ऑर्गेज्म से जुड़ी जानकारी) पाने में असमर्थता भी हो सकती है।
पोर्नोग्राफी एक अलग तरह की इच्छा डेवलप कर सकती है। आप अपने पार्टनर से कुछ ज्यादा अपेक्षा कर सकते हैं और ऐसे में मैरिड लाइफ भी डिस्टर्ब हो सकती है। ये रोमांटिक कमिटमेंट से ज्यादा सेक्सुअल कमिटमेंट की ओर बढ़ सकती है।
पोर्नोग्राफी के रेगुलर कंजम्पशन से इसके एडिक्शन की आदत भी हो सकती है। इसका एडिक्शन एक तरह की समस्या है जिसके कारण नेचुरल फीलिंग्स खत्म हो सकती हैं।
अब तो आपको समझ आ ही गया होगा कि पोर्नोग्राफी किस तरह से दिमाग पर असर डालती है। किसी भी चीज की अति बहुत खराब होती है और इसलिए एडिक्शन आपके शरीर पर असर डालता है। आपकी इस मामले में क्या राय है वो हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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