पटाखे बेचने पर सुप्रीम कोर्ट के बैन के बावजूद दिवाली की रात दिल्ली-एनसीआर की हवा में जहर घुल गया। जी हां pollution को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बावजूद दिल्ली में कई जगहों पर लोग पटाखे जुटाने में लगे रहे और जमकर पटाखे फोड़े गए। हालांकि बैन के कारण pollution का यह स्तर पिछली दिवाली की तुलना में कम रहा लेकिन फिर भी पटाखों पर बैन के बावजूद pollution का level कम होता दिखाई नहीं दे रहा है। दिवाली की रात के आंकड़ों पर नजर डालें तो कई जगहों पर pollution का level नॉर्मल से 12 गुना तक ज्यादा हो चुका है।
Pollution के लेवल को मापने वाले ऑनलाइन इंडिकेटर्स thursday शाम 7 बजे ही एयर क्वॉलिटी के 'काफी खराब' होने के संकेत देने लगे थे। सेंट्रल पलूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार thursday को एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 319 था, जो 'काफी खराब' स्थिति है, लेकिन पिछले साल दिवाली पर हालात ज्यादा ही खराब थे। पिछले साल इंडेक्स 431 पर पहुंच गया था। CPCB ने भी कहा है कि लोगों में जागरूकता के कारण से दिवाली पर pollution पिछले साल की तुलना में घटा है।
इस बार दिवाली से पहले ही सुप्रीम कोर्ट का दिल्ली-एनसीआर में पटाखे बेचने पर बैन लगाने का मकसद दिल्ली-एनसीआर में pollution कम करना था, पर इस बैन का व्यापक असर नहीं हुआ। बैन के कारण पटाखे की दुकानें नहीं लगीं लेकिन लोगों ने जुगाड़ से पटाखे खरीदे और शाम को खूब पटाखे फोड़े। Thursday को पलूशन का लेवल इतना खराब था, जिससे सांस के रोगियों को ही नहीं नॉर्मल लोगों को भी सांस लेने में परेशानी हुई।
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दिवाली से पहले ही दिल्ली में सामान्य से 9 गुना ज्यादा प्रदूषण दर्ज किया गया है। दक्षिणी दिल्ली के आरके पुरम जैसे पॉश इलाके में प्रदूषण का स्तर पीएम 2.5 में लगभग 12 गुना तक गिरावट दर्ज की गई है। आरके पुरम के अलावा आनंद विहार, शाहदरा, वजीरपुर, अशोक विहार और श्रीनिवासपुरी जैसे इलाकों में भी प्रदूषण का स्तर सामान्य से कई गुना ज्यादा पहुंच गया है। ये आंकड़े रात करीब 10:00 बजे तक के हैं। जानकारों की मानें तो यह आंकड़ा सुबह तक कहीं और ज्यादा खतरनाक स्तर तक पहुंच सकता है।
दिल्ली-एनसीआर की गलियों में खुले तौर पर नहीं लेकिन चोरी-छिपे पटाखे बेचे गए। कुछ जगहों पर दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई की भी खबरें हैं। दिल्ली पलूशन कंट्रोल कमिटी के आर.के. पुरम मॉनिटरिंग स्टेशन ने रात 11 बजे PM2.5 और PM10 क्रमश: 878 और 1,179 माइक्रोग्राम/क्यूबिक रेकॉर्ड किया गया। यह pollution level को लेकर काफी खराब स्थिति है। इस बढ़े हुए प्रदूषण के कारण दिल्ली-एनसीआर के लोगों को अगले 24 घंटे या उससे भी ज्यादा समय तक सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
गौरतलब है कि एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) अगर 0-50 हो तो इसे अच्छी स्थिति मानी जाती है, 50-100 हो तो इसे संतोषजनक कहा जा सकता है। हालांकि इसके आगे AQI बढ़कर अगर 101-150 के आंकड़े को छूता है तो इससे normal लोगों पर तो कोई असर नहीं होता लेकिन बीमार खासतौर से बुजुर्ग व सांस के रोगियों की परेशानी बढ़ सकती है। 151 से 200 पहुंचने पर यह हेल्थ के लिए खतरनाक हो सकता है। 201-300 का लेवल काफी खतरनाक होता है। 300 से ऊपर AQI पहुंचने पर यह इमर्जेंसी की स्थिति बन जाती है और सरकार एवं एजेंसियों की ओर से प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए कदम उठाने पड़ते हैं।
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