कई बीमारियां ऐसी होती है जिनके लक्षण शुरुआती दौर में नजर या समझ नहीं आते। जब तक इस बीमारी के लक्षण नजर आते हैं तब तक बीमारी एडवांस स्टेज में पहुंच चुकी होती है। जी हां आज हम आपको साइलेंट किलर बीमारियों के बारे में बता रहे हैं। प्रारंभिक दौर में लक्षणों के अभाव के कारण कुछ बीमारियां बहुत खतरनाक हो सकती है। लक्षणों के अभाव के कारण इस बीमारी का पता लगाना बहुत मुश्किल होता हैं। बीमारी का निदान ट्रीटमेंट के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए आपको इन साइलेंट बीमारियों को रोकने और पकड़ने के लिए रेगुलर डॉक्टर से चेकअप करवाना चाहिए। आज हम आपको ऐसी 5 बीमारियों के बारे में बताने जा रहे है जिनके लक्षण आमतौर पर नजर नहीं आते, लेकिन ये जानलेवा साबित हो सकती हैं।
डायबिटीज को साइलेंट किलर के रूप में भी जाना जाता है ऐसा इसलिए क्योंकि इसके कभी कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। ज्यादातर मामलों में, अस्पष्ट लक्षणों में बहुत ज्यादा प्यास, बार-बार यूरिन, और चिड़चिड़ापन के कारण इसका समय पर निदान भी नहीं होता है। इससे बचाव के लिए सभी को सचेत रहने की जरूरत है। इसके लिए अपनी दिनचर्या को सुधारने की आवश्यकता भी है। रोजाना एक्सरसाइज, खाने की गलत आदत को सुधारने के अलावा अगर कई तरह की गलत आदतों का त्याग दिया जाएं तो इससे आप बच पाएंगी।
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फास्ट फूड और फास्ट लाइफ ने हमारी लाइफस्टाइल को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। गलत लाइफस्टाइल धीमे से कब हमें कई गंभीर व घातक बीमारियों का शिकार बना लेती है, हमें पता भी नहीं चल पाता। ऐसी ही एक खतरनाक बीमारी है 'हाई ब्लड प्रेशर', जिसे 'साइलेंट जानलेवा या घातक बीमारी' भी कहा जाता है। जानकारी के अभाव में हम न तो समय पर इसका चेकअप करवा पाते हैं और न ही इलाज। ऐसे में हमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी फेल्यिर, किडनी डिजीज और पैरों में ब्लड सर्कुलेशन जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है।
ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों की एक बीमारी है। इस समस्या के होने पर हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और आसानी से उनमें फ्रैक्चर आ जाता है। इसका सबसे प्रमुख कारण बोन मिनरल डेन्सिटी कम होना है। उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों से कैल्शियम कम होने लगता है, जिससे हड्डियां झिरझिरी हो जाती हैं और कमजोर होकर आसानी से टूटने लगती हैं। शुरुआत में ऑस्टियोपोरोसिस के कोई लक्षण दिखाई नहीं देता नहीं है जब तक दिखाई देता है तब तक बीमारी एडवांस स्टेज पर चली जाती है इसलिए इसे साइलेंट किलर कहा जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस का प्रभाव सबसे ज्यादा हिप्स, रीढ़ की हड्डी और कलाई की हड्डियों पर होता है।
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अगर किडनी की बीमारी के लक्षण शुरुआत में पता चल जाये तो आने वाले समस्याओं से बचा जा सकता है लेकिन समस्या यह है कि शुरुआत में किडनी की बीमारी के लक्षण स्पष्ट नहीं होते और किडनी के बेकार हो जाने की स्थिति आ जाने के पहले तक मरीज को यह पता ही नहीं चलता कि उसे किडनी की बीमारी है। यह डायबिटीज से ग्रस्त महिलाओं में आम होता है, इसलिए ऐसी महिलाओं को डॉक्टर से अपनी समय-समय पर जांच करवाते रहना चाहिए।
नोएडा स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च द्वारा जारी किए गए आंकड़ों ने महिलाओं में बढ़ते कैंसर की समस्या पर कुछ प्रकाश डाला, क्योंकि अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो एक महामारी में बदलने की धमकी देता है। भारत में हर आठ मिनट में एक महिला की सर्वाइकल कैंसर से मौत हो जाती है। भारत में सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर की दर दुनिया में सबसे ज्यादा थी। रिपोर्ट के अनुसार, 2,000 महिलाओं में कैंसर का पता चला है, लेकिन लेट स्टेज में 1,200 का निदान किया गया था। इसका मतलब यह है कि यह सर्वाइकल कैंसर के लिए पहले वर्ष जीवित रहने की दर को 3 से 17 गुना कम हो जाती है। इसे साइलेंट किलर कहा जाता है क्योंकि शुरुआती चरणों से इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते है। अगर समय पर इसका निदान नहीं किया जाए तो कैंसर ब्लैडर, लिवर, आंतों और फेफड़ों तक फैल सकता है।
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