सेक्स के कारण होने वाली बीमारियों में Chlamydia सबसे आम है, लेकिन सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (एसटीडी) के बारे में जागरूकता ना होने की वजह से महिलाओं को इनसे बचाव के तरीकों के बारे में भी ज्यादा जानकारी नहीं होती। अगर chlamydia का समय पर इलाज न कराया जाए तो इससे गंभीर बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है। एक ताजा रिसर्च में यह बात कही गई है कि chlamydia के कारण ovarian कैंसर के होने का खतरा दोगुना हो जाता है। Ovarian cancer के बहुत ज्यादा मामले देखने में नहीं आते, लेकिन Chlamydia की प्रॉब्लम होना बहुत common है। ऐसे में अगर आप सेक्शुअली एक्टिव हैं तो आपको Chlamydia के लिए समय-समय पर परीक्षण कराते रहना चाहिए, ताकि ovarian cancer के जोखिम से सुरक्षित रहें।
आमतौर पर नजर नहीं आते क्लाइमेडिया के लक्षण
क्लैमाइडिया की समस्या होने पर आमतौर पर कोई लक्षण नजर नहीं आते, इसीलिए सालों साल इससे पीड़ित रहने पर भी महिलाओं को इसके बार में पता नहीं होता। इस बीमारी में महिलाओं को cervix, rectum या गला प्रभावित हो सकता है।
अगर आपको टॉयलेट करते हुए जलन महसूस हो, लिंग या योनि से पीले, हरे रंग का द्रव निकले जिसमें से खराब गंध भी आ रही हो, पेट के नीचे के हिस्से में दर्द महसूस हो, सेक्स या सेक्स के बाद बहुत ज्यादा दर्द महसूस होता हो तो ये chlymadia के लक्षण हैं। chlymadia से संक्रमित व्यक्ति के साथ ओरल सेक्स करने पर आपके गले में बैक्टीरिया पहुंच सकते हैं और आपको खांसी हो सकती है या बुखार आ सकता है। ऐसी स्थितियों में आपको बिना देरी किए chlymadia के लिए टेस्ट कराने चाहिए।
कैसे प्रभावित करता है Chlamydia
क्लैमाइडिया की बीमारी ट्रेकोमेटिस बैक्टीरिया से फैलती है। यह बैक्टीरिया संक्रमित महिला के cervix, rectum या गले में मौजूद होने की आशंका होती है। अगर आप संक्रमित व्यक्ति से किसी भी तरह से यौन संबंध बनाती हैं, तो उससे आपके भी संक्रमित होने का खतरा रहता है। अगर आप एक से अधिक साथियों के साथियों के साथ यौन संबंध बनाती हैं, असुरक्षित यौन संबंध बनाती हैं तो आपके इस बीमारी से होने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।
बढ़ाता है प्रेगनेंसी की मुश्किलें
इस बीमारी की वजह से महिलाओं की फेलोपियन ट्यूब को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे भविष्य में उनकी प्रेगनेंसी में भी मुश्किलें आ सकती हैं। साथ ही इसकी वजह से एक्टोपिक प्रेगनेंसी की आशंका भी हो सकती है, जिसमें भ्रूण गर्भाशय में बनने के बजाय गर्भाशय के बाहर बनने लगता है। अगर प्रेगनेंसी के दौरान chlymadia संक्रमण होता है तो समय से पहले डिलीवरी होने की आशंका हो सकती है, यही नहीं बच्चे का वजन सामान्य से बहुत कम होने का खतरा भी रहता है।
Pelvic inflammatory disease होने का खतरा
अगर chylamadia का संक्रमण फेलोपियन ट्यूब में फैल जाए तो इससे Pelvic inflammatory disease (PID) होने का खतरा भी हो सकता है। PID में बुखार, Pelvic एरिया में तेज दर्द, जी मिचलाना और पीरियड्स के दौरान irregular bleeding जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
इलाज कराना मुश्किल नहीं
क्लैमाइडिया से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है नियमित रूप से इसकी जांच कराना। अगर आप मल्टिपल पार्टनर्स के साथ सेक्शुअल रिलेशनशिप में हैं या आपने अनजाने साथी के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाए हैं तो इसकी जांच आपको तुरंत कराने की जरूरत है। इसके इलाज में एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं और नियमित रूप से दवाएं लेने से यह बीमारी कुछ समय में ठीक हो जाती है।
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कंडोम के प्रयोग से बचें chlymadia की समस्या से
डॉ. अर्चना धवन बजाज, कंसल्टेंट ऑब्स्ट्रीटीशियन, गायनेकोलॉजिस्ट एंड आईवीएफ एक्सपर्ट, नर्चर आईवीएफ दिल्ली बताती हैं, 'chlymadia में आपको हल्का बुखार, पेल्विस एरिया में दर्द, पीरियड्स इररेगुलर होने, इंटरकोर्स के वक्त दर्द होने, दुर्गंध वाले हरे, दही जैसे व्हाइट डिस्चार्च जैसे लक्षण नजर आते हैं। chlymadia के कारण पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज होने, यूट्रस के बाहर भ्रूण बनने और फेलोवियन ट्यूब में समस्या होने का खतरा रहता है। इस कारण प्रेगनेंसी में भी प्रॉब्लम हो सकती है। अगर आपको vaginal discomfort हो और unknown पार्टनर के साथ संबंध बनाने की हिस्ट्री हो तो आपको क्लाइमेडिया के लिए जांच करानी चाहिए। स्वस्थ महिलाओं को इस बीमारी से बचाव के लिए सेक्शुल रिलेशनशिप में कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए। साथ ही कोशिश करें कि बचाव मल्टिपल पार्टनर्स के साथ संबंध ना बनाएं। अगर आपका साथी इस बीमारी से संक्रमित है तो पूरी तरह ठीक होने तक संबंध न बनाएं।'
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