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प्रेग्‍नेंसी में हिप्‍स के दर्द से हो गई हैं बेहाल तो फौरान राहत पाने अपनाएं ये टिप्‍स

प्रेग्‍नेंसी के दौरान पीठ, पैर और पेट में दर्द बहुत आम देखने को मिलता है, लेकिन कई प्रेग्‍नेंट महिलाओं को हिप्‍स में दर्द का भी अनुभव होता है।
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-05-17, 18:52 IST

प्रेग्‍नेंसी ऐसा समय होता है जब महिलाओं को मानसिक और शारीरिक कई तरह के बदलावों से गुजरना पड़ता है। एक ओर जहां उसे खुद को आने वाले शिशु के तैयार करना पड़ता है वहीं दूसरी ओर शारीरिक बदलावों को भी सहन करना पड़ता है। इन बदलावों का असर खासतौर पर हार्मोंन में बदलाव के चलते महिलाओं के व्यवहार में बदलाव आने लगता है और साथ ही इसका असर उसके अंगों पर भी पड़ता है। इस दौरान महिला को हर रोज किसी ना किसी तरह की परेशानी से गुजरना ही पड़ता है, लेकिन शरीर के अंगों में दर्द होना सबसे तकलीफदेह होता है। इस दौरान शरीर के कुछ अंगों में अक्सर ही दर्द बना रहता है। खासतौर पर हिप्‍स में पेन तो बेहद ही आम होता है।
जी हां प्रेग्‍नेंसी के दौरान पीठ, पैर और पेट में दर्द बहुत आम देखने को मिलता है, लेकिन कई प्रेग्‍नेंट महिलाओं को हिप्‍स में दर्द का भी अनुभव होता है। प्रेग्‍नेंसी के दौरान ये दर्द कमर से लेकर हिप्‍स तक घूमता है। यहां पर प्रेग्‍नेंसी में हिप्‍स में पेन के कारण और ट्रीटमेंट के बारे में बताया गया है।

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प्रेग्‍नेंसी में हिप्‍स में दर्द के कारण 

बवासीर

बवासीर, गुदा या गुदा में वैरिकोज वेन्‍स (बढ़ी हुई या सूजी हुई वेन्‍स) हैं। कुछ कारणों से गर्भवती महिलाएं बवासीर की समस्‍या होती हैं: सबसे पहली प्रेग्‍नेंट महिला आसानी से कब्‍ज की शिकार हो जाती है। इस कारण आंत, पोषक तत्व के हर संभव अणु और बढ़ते बच्चे के लिए पानी की हर बूंद और क्रमशः ब्‍लड सर्कुलेशन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए भोजन की प्रगति को धीमा कर देती है।
प्रेग्‍नेंसी के दौरान ब्‍लड की मात्रा काफी बढ़ जाती है। यह स्वचालित रूप से किसी भी समय ब्‍लड वेसल्‍स को पूर्ण और दूर करता है। आपके पिछले हिस्‍से में बहुत सारी ब्‍लड वेसल्‍स होती हैं। यह बवासीर की संभावनाओं को बढ़ाता है। इसके अलावा बढ़ता बच्‍चा और बढ़ता यूटरस एनस और रेक्‍टम पर ज्‍यादा प्रेशर डालता है जिससे बवासीर की समस्‍या होती है।

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साइटिका

साइटिका एक ऐसी बीमारी है जिसका दर्द कमर से शुरू होकर धीरे धीरे टांगों से होता हुआ नीचे पांव तक जाता है जो की सहन करने योग्य नहीं होता है। साइटिक नर्व सबसे लंबी नर्व होती है। जब साइटिक नर्व में अधिक स्‍ट्रेच या उसके आस पास की नर्व संकुचित हो जाती है तब यह साइटिका का कारण बनती है। यह दर्द पीछे हिप्‍स व जांघो के पिछले हिस्से से शुरू होता है जिससे हिप्‍स नर्व से साइटिक नर्व को नुकसान होता है और हिप्‍स में दर्द होने लगता है।
साइनाटिका अक्सर आपकी रीढ़ की हड्डी में एक डिस्क को नुकसान पहुंचाती है, जो नर्वस के चारों ओर सूजन लाती है। यह अक्सर भारी चीजें उठाने और एक्टिविटी से ट्रिगर होती है जो आपके पूरे शरीर को कंपन करते हैं, जैसे ऑपरेटिंग मशीनरी। हालांकि, प्रेग्‍नेंट महिला में ऐसी प्रॉब्‍लम कम होती है। लेकिन गलत पोश्‍चर में ज्‍यादा देर बैठने से प्रेग्‍नेंसी में भी साइटिका की समस्‍या हो सकती है। इसके अलावा तीसरी तिमाही में जब बच्‍चा अपनी पॉजिशन बदलता है तो नर्व पर असर पड़ता है और हिप्‍स में दर्द होने लगता है।

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लेबल पेन

महिलाओं को अलग-अलग संकुचन का अनुभव होता है। कुछ को पेट में क्रैम्पिंग और कुछ को बैक में क्रैम्पिंग होती हैं जो हिप्‍स तक फैल सकती हैं। किसी भी मौके पर, आपको संदेह है कि संकुचन आपके हिप्‍स में दर्द का कारण बन रहा हैं, तो तुरंत डॉक्‍टर से संपर्क करें।

पे‍ल्विक पेन

यह सबसे आम कारण है जो प्रेग्‍नेंसी में हिप्‍स में दर्द का कारण बनता है। हर पांच में से एक प्रेग्‍नेंट महिला पेल्विक पेन का सामना करती है। ऐसा यूटरस के बढ़ने पर योनि पर एक्‍सट्रा प्रेशर के कारण होता है।

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हिप्‍स में दर्द के लिए डॉक्‍टर को कब दिखाना चाहिए?

  • अगर दर्द आपके रोजाना के कामों में बाधा उत्‍पन्‍न करने लगे तो आपको डॉक्‍टर को दिखाना चाहिए। इसके अलावा आपको
  • अगर आपको ब्‍लड की भारी मात्रा का अनुभव हो।
  • अगर दर्द सहन ना हो।
  • अगर हिप्‍स में दर्द के साथ 'वॉटर ब्रेकिंग' का अनुभव हो। यह लेबल की और इशारा करता है। 
  • अगर आपको अपने ब्‍लैडर या बाउल पर कंट्रोल ना रहें।

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प्रेग्‍नेंसी के दौरान हिप्‍स में दर्द से बचने के उपाय

  • बवासीर से बचने के उपाय करने चाहिए। इसके लिए लंबे समय तक बैठने या खड़े होने से बचें क्‍योंकि यह आपके एनस और रेक्‍टम की वेन्‍स पर प्रेशर डालती है, जिससे बवासीर और हिप्‍स में दर्द बढ़ता है।
  • खूब सारा पानी पीएं और फाइबर से भरपूर फूड खाएं क्‍योंकि यह कब्‍ज की समस्‍या को रोकता है। और कब्‍ज, बवासीर और हिप्‍स में दर्द को बढ़ता है।
  • सोने के दौरान अपने पेट के नीचे और पैरों के बीच में एक तकिया जरूर रखें। इससे बॉडी की पॉजिशन सही रहती है जिससे पेल्विक और साइटिका नर्वस पर कम प्रेशर पड़ता है।
  • एक पेल्विक को स्‍पोर्ट करने वाली बेल्‍ट पहनें जिससे आपके पीठ के नीचे के हिस्‍से पर प्रेशर कम होगा और हिप्‍स में दर्द से कम हो जाता है।
  • गुनगुने पानी से नहाना किसी भी दर्द से छुटकारा पाने का सबसे अच्‍छा इलाज है।
  • डॉक्‍टर से पूछकर आप पेनकिलर भी ले सकती है।
  • ऐसी किसी भी एक्टिविटी से बचें, जो पेन बढ़ाती है।

 

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