गोरा होने की चाह में युवतियां व महिलाएं फेयरनेस क्रीम का इस्तेमाल खूब करती हैं। अगर गोरा दिखने की चाह में आप कोई भी फेयरनेस क्रीम खरीद रही हैं तो ठहरिए! कहीं आप चेहरे की कुदरती रंगत भी न गवां दें। क्योंकि आपकी स्किन ऑइंटमेंट और फेयरनेस क्रीम से आपको फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है। डर्मटोलॉजिस्ट्स और फैमिली फिजिशियन ने पिछले कुछ सालों में पूरे देश में फंगल (सामान्यतः इसे रिंगवार्म इंफेक्शन रूप में कहा जाता है) की असामान्य वृद्धि को देखा है।
जी हां बाजार में ऐसी फेयरनेस क्रीम उपलब्ध हैं जिनमें स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्टेरॉयड युक्त फेयरनेस क्रीम, एंटी फंगल व एंटी बैक्टीरियल दवाओं के इस्तेमाल से दिल्ली सहित देश भर में फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ रहा है। इसके साथ ही इनके इलाज में प्रयोग की जाने वाली दवाएं बेअसर साबित हो रहीं हैं। स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का कहना है कि गोरा होने की चाहत व फंगल इंफेक्शन होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह के बगैर स्टेरॉयड युक्त दवाओं का इस्तेमाल सेहत पर भारी पड़ रहा है।
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भारत में, ना केवल ग्रामीण आबादी बल्कि शहरी क्षेत्रों में शिक्षित लोगों द्वारा सामयिक स्टेरॉयड क्रीम का अत्यधिक दुरुपयोग होता है। सर गंगा राम अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रोहित बत्रा ने कहा "बाजार में बिकने वाले कुछ ऑइंटमेंट और फेयरनेस क्रीम में बहुत अधिक मात्रा में स्टेरॉयड होते हैं। ये प्रोडक्ट बिना किसी पर्चे के आसानी से उपलब्ध हो जाते है। किसी भी त्वचा की समस्या के होने पर, एमडी, डिप्लोमा और डीएनबी योग्यता वाले डर्मेटोलॉजिस्ट से परामर्श करना आवश्यक है।"
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एसोसिएशन के मीडिया सेल के चेयरमैन व गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉक्टर रोहित बत्रा ने कहा कि ''स्टेरॉयड बीमारी को ठीक नहीं करता बल्कि उसे दबा देता है। बाद में बीमारी गंभीर रूप धारण कर लेती है। फेयरनेस क्रीम में betamethasone, mometasone और cobetasol जैसे स्टेरॉयड इस्तेमाल किए जा रहे हैं। अगर किसी क्रीम में ये सभी केमिकल मिले हों तो उसका इस्तेमाल ना करें।''
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आईएडीवीएल के अध्यक्ष डॉक्टर रमेश भट्ट ने कहा, "ग्लोबल वार्मिंग, पर्यावरणीय परिवर्तन और गैर निर्धारित एंटीफंगल क्रीम के इस्तेमाल जैसे कई कारणों से, त्वचा रोगों में तेजी से वृद्धि हुई है। चूंकि त्वचा हमारी शरीर में सबसे बड़ा अंग है, सामयिक स्टेरॉयड क्रीम का दुरुपयोग, बड़ी समस्याएं पैदा कर रही है।" इस वजह से त्वचा की गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं। फेयरनेस क्रीम में भी स्टेरॉयड के इस्तेमाल होने से एक समय बाद चेहरे की त्वचा खराब हो जाती है। उस पर बार-बार फफोले आने लगते हैं।
त्वचा रोग विशेषज्ञों के संगठन इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट वेनोरियोलॉजिस्ट एंड लेप्रोलॉजिस्ट (आइएडीवीएल) त्वचा पर इस्तेमाल होने वाले स्टेरॉयड युक्त दवाओं को शेड्यूल एच-1 की सूची में डालने की मांग कर रहे हैं, ताकि बाजार में खुले तौर पर बिक्री पर रोक लग सके। इसके लिए एसोसिएशन ने जनहित याचिका भी दायर की है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसी दवाओं का इस्तेमाल सिर्फ स्किन स्पेशलिस्ट की सलाह पर ही किया जाना चाहिए।
2013 में 2,926 डर्मेटोलॉजी मरीजों पर किए एक स्टडी से पता चला है कि 433 (14.8 प्रतिशत) सामयिक स्टेरॉयड का प्रयोग कर रहे थे और 392 (90.5 प्रतिशत) हानिकारक प्रभाव थे।
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