क्या छींकते या खांसते समय आपका यूरिन भी निकल जाता है? अगर हां, तो यह इस बात का संकेत है कि आपकी पेल्विक मसल्स को टोनिंग की जरूरत है। पेल्विक फ्लोर मसल्स का समूह है, जो प्यूबिक हड्डी से लेकर टेलबोन तक फैला होता है। यह ब्लैडर, यूरेथ्रा, बाउल, रेक्टम और एनस जैसे पेल्विक अंगों को सपोर्ट देता है।
पेल्विक फ्लोर मसल्स की मजबूती से यूरिन और मल पर कंट्रोल रहता है और यह सेक्सुअल हेल्थ के लिए भी जरूरी है। लेकिन, प्रेग्नेंसी, डिलीवरी, प्रोस्टेट कैंसर के ट्रीटमेंट, मोटापा, मेनोपॉज और कब्ज की समस्या से पेल्विक फ्लोर मसल्स कमजोर होने लगती हैं। ऐसे में जब आप खांसते या छींकते हैं, तब ब्लैडर पर प्रेशर पड़ता है। इससे यूरिन को रोककर रखना मुश्किल हो जाता है और हल्का सा यूरिन निकल जाता है।
यूरिन लिकेज की समस्या बढ़ती उम्र की महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशान करती है। इससे कई बार मानसिक समस्याएं भी होने लगती हैं। लेकिन, आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि कुछ ऐसे योग आसन हैं जो न सिर्फ आपको रिलैक्स करके दिमाग को दुरुस्त रखते हैं, बल्कि पेल्विक फ्लोर मसल्स के लिए भी अच्छे होते हैं। यह योगासन पेल्विक फ्लोर के अंगों में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाते हैं। इन योगासनों के बारे में हमें योग एक्सपर्ट जूही कपूर बता रही हैं।
उत्कटासन की विधि
- पैरों को एक साथ मिलाकर और हाथों को बगल में रखकर सीधी खड़ी हो जाएं।
- गहरी सांस लें और बाजुओं को सीधा ऊपर उठाएं।
- फिर हाथों को सामने नमस्कार मुद्रा में मोड़ें।
- सांस छोड़ें और घुटनों को ऐसे मोड़ें जैसे कि आप कुर्सी पर बैठे हों।
- फिर पीठ सीधी करें।
- टेलबोन को जमीन की ओर नीचे करें।
- 15-20 सेकंड तक इसी मुद्रा में रहें।
- सांस लेते हुए वापस पहली पोजिशन में आ जाएं।
उत्कटासन के फायदे
- इस योगासन को चेयर पोज के नाम से भी जानते हैं।
- इसे करने से पेल्विक मसल्स मजबूत होती हैं।
- यह दिल और पेट के लिए अच्छा योगासन है।
- यह कंधों पर काम करता है।
- तनाव को कम करता है।
- पोश्चर में सुधार करता है।
- हिप, पिंडलियों और पीठ की मसल्स को मजबूत करता है।
सेतुबंधासन की विधि
- पीठ के बल लेट जाएं और पैरों को जमीन पर सीधा रखें।
- हथेलियों को जांघों के पास रखें।
- पैरों और हिप्स को अलग रखते हुए अपने दोनों घुटनों को मोड़ें।
- एड़ियों को हिप्स के करीब लाएं।
- सांस लें और अपने हिप्स को फर्श से ऊपर उठाते हुए पेट और चेस्ट को ऊपर उठाएं।
- हाथों से अपनी पीठ के निचले हिस्से को सपोर्ट दें।
- अब पैरों को सामने की ओर सीधा करें।
- इस पोजिशन में 10 से 15 सेकंड तक रुकें और छोड़ें।
सेतुबंधासन के फायदे
- इसे सेतुबंध सर्वांगासन या ब्रिज पोज के नाम से भी जानते हैं।
- पेल्विक की मसल्स में मजबूती आती है।
- चेस्ट, गर्दन और रीढ़ की हड्डी में खिंचाव आता है।
- पीठ, हिप्स और हैमस्ट्रिंग को मजबूत करता है।
- ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है।
- तनाव कम करता है।
- ब्रेन को शांत करता है।
- पीरियड्स से जुड़ी परेशानियां दूर करता है।
- पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है।
नौकासन की विधि
- पीठ के बल लेट जाएं।
- पैरों को एक साथ रखें।
- सांस लेते हुए चेस्ट और पैरों को जमीन से ऊपर उठाएं।
- बाजुओं को पैर की ओर ले जाएं।
- पेट की मसल्स के संकुचन से नाभि वाले हिस्से में तनाव महसूस होता है।
- इस मुद्रा में रहते हुए गहरी सांस लें।
- कुछ सेकेंड के लिए इसी मुद्रा में रहें।
नौकासन के फायदे
- पेट और कमर की चर्बी कम होती है।
- रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है।
- डाइजेस्टिव सिस्टम मजबूत होता है।
- कब्ज दूर होती है।
- स्ट्रेस दूर होता है।
- डायबिटीज कंट्रोल रहती है।
- पैरों की मसल्स मजबूत होती हैं।
आप भी इन योगासनों को करके यूरिन लीकेज की समस्या से बच सकती हैं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो, तो इसे लाइक और फेसबुक पर शेयर जरूर करें। इसी तरह के और आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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