शिशु के जन्म के 6 महीने तक पोषण का एक मात्र साधन ब्रेस्ट मिल्क है। इससे मां और शिशु दोनों हेल्दी रहते हैं। जी हां बेस्टफीडिंग से न केवल शिशु का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है बल्कि प्रेंग्नेसी के बाद मां के बढ़े हुए वजन को कम करने में भी हेल्प मिलती है। लेकिन कई महिलाओं में डिलीवरी के बाद ब्रेस्ट से मिल्क कम या बिल्कुल नहीं निकलता है। ऐसा क्यों होता है और इसे बढ़ाने के लिए कौन सा योग मददगार होता है? World Breastfeeding Week के मौके पर इस बात की जानकारी लेने के लिए हमने योग गुरू नेहा जी से बात की। योगा गुरु नेहा, द योग गुरु तथा वुमेन हेल्थ रिसर्च फाउंडेशन (ट्रस्ट) की संस्थापक हैं और प्रेग्नेंसी के लिए योग पर काफी किताबें लिख चुकी हैं। आइए इस बारे में उनसे विस्तार से जानें।
योगा गुरु नेहा जी का कहना है कि ''हमारी बॉडी में एक प्रोलैक्टिन नामक हार्मोन होता है। इसका काम ब्रेस्ट मिल्क का उत्पादन करना है जिसका स्राव पूरी प्रेग्नेंसी में होता है। लेकिन जैसे ही डिलीवरी होती है उसके तुरंत बाद इस हार्मोन का लेवल हाई हो जाता है। जैसे ही बेबी ब्रेस्ट को सक करता है तो इसका लेवल एकदम से कम हो जाता है। येलो वाला जो मिल्क आता है, वहां से यह शुरू होता है। कई मामलों में महिलाओं में इस हार्मोन का स्राव नहीं होता है तो कई महिलाओं को ब्रेस्ट फीडिंग में समस्या आती है। कई महिलाओं में मिल्क नहीं आता है तो कई महिलाओं में बहुत देरी से आता है। मेमरी ग्लैंड (स्तन ग्रंथि) में ब्लॉकेज हो जाती है और ब्रेस्ट में गांठे पड़ जाती हैं। इन सभी की वजह से हार्मोन का स्राव नहीं हो पाता है और ब्रेस्ट से मिल्क नहीं आता है।''
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''अगर इस स्थिति में सेतुबंध आसन और मार्जरी आसन किया जाए तो बहुत फायदा मिल सकता है। मर्जरी आसन में सांस भरते समय चेस्ट नीचे की ओर जाती है और छोड़ते समय ऊपर की ओर जाती है। यह ब्रेस्ट की मसल्स की मूवमेंट में हेल्प करता है, जिससे अगर कोई ब्लॉकेज हो तो वह खुल जाती है और मेमरी ग्लैंड फैल जाता है ताकि वह अंदर आसानी से काम कर सके। यह सारे आसन अच्छी तरह से काम करते हैं। इन आसनों का असर नर्वस सिस्टम पर भी पड़ता है। जो महिलाएं बहुत स्ट्रेस में आ जाती हैं, उनका स्ट्रेस मकैनिज्म बढ़ता है उसके कारण सिम्पथेटिक नर्वस सिस्टम एक्टिव हो जाता है। इसके एक्टिव होने से प्रोलैक्टिन का लेवल खुद से कम हो जाता है। योगासन मस्कुलर सिस्टम को मजबूत करते हैं और दूसरा हमारा जो स्ट्रेस मकैनिज्म होता है वह सिम्पथेटिक को एक्टिव करता है जिससे पिट्यूटरी ग्लैंड से embortan का स्राव होता है जो स्ट्रेस मकैनिज्म को बढ़ने ही नहीं देता है और यह प्रोसेस पूरी प्रेग्नेंसी में अच्छे से होता है। जैसे ही डिलीवरी होती है वैसे ही ब्रेस्ट मिल्क बनने लगता है। ऐसा उन महिलाओं में भी होता है जिन्हें और भी परेशानियां जैसे निप्पल की शेप ठीक नहीं होना, निप्पल का अंदर की तरफ होना आदि होती हैं।''
अगर महिलाएं रोजाना सेतुबंध आसन करेंगी तो उनके निप्पल्स अंदर होने की जगह बाहर आ जाएंगे। यह आसन प्रेग्नेंसी में ही करें क्योंकि यह उसी समय से अपना असर दिखाने लगते हैं। अगर डिलीवरी नॉर्मल है तो 15 दिनों के बाद ही इन योगासन को कर सकती हैं। लेकिन अगर सिजेरियन है तो योग 3 महीने के बाद ही शुरू करें।
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इसके अलावा आप अपने रूटीन में कुछ आसन जैसे भुजंगासन, पर्वतासन और कुछ तरह के प्राणायाम जैसे कपालभाति, अनुलोम-विलोम, उज्जायी और भस्त्रिका को भी शामिल करें।
अगर आप यह आसन प्रेग्नेंसी में करती हैं तो डिलीवरी के टाइम पर प्रॉब्लम आने की संभावना कम हो जाती है। इन आसन को करने से पहले किसी योग गुरू से परामर्श जरूर ले लें। इस तरह की और जानकारी पाने के लिए हरजिंदगी से जुड़ी रहें।
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