प्रज्ञा योग क्या है? ये किस तरह से फायदेमंद है

वेदमूर्ति गायत्री तपोनिष्ठ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने प्रज्ञा योग की शुरुआत की। मानसिक, आत्मिक बल और हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए इसे इन स्टेप्स में करें।

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बिजी लाइफस्टाइल में अक्सर हम अपने लिए बेहद कम समय निकाल पाते हैं। इस आपाधापी में हमारी सेहत पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। जिसके फलस्वरूप कई शारीरिक परेशानियां जैसे अपच, कब्ज, सिर दर्द और तनाव की समस्या सामने आती है। योग आपकी इन सारी समस्याओं का समाधान कर सकता है। स्वामी विवेकानंद ने कहा भी है, 'योग आयु की वृद्धि करता है' शायद यही कारण है कि प्राचीन काल में हमारे देश के ऋषि और महात्माओं ने योग और साधना के महत्त्व पर काफी जोर डाला।

भागदौड़ भरी जिंदगी से फुर्सत के कुछ पल चुकाराकर जब मैं शांतिकुंज पहुंची तो यहां शिविर में कई गायत्री साधकों को योग करते देखा। जब पता किया तो समझ आया कि सब प्रज्ञा योग की साधना कर रहे हैं। प्रज्ञा योग के बारे में मैंने पहली बार सुना लेकिन जब इसके फायदे जाने तो ये काफी हेल्पफुल लगा। इस योग को वेदमूर्ति गायत्री तपोनिष्ठ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने शुरू किया। जानें शांतिकुंज के योग एक्सपर्ट रविन्द्र यादव से प्रज्ञा योग के बारे में और इसके अनोखे फायदे।

प्रज्ञा योग क्या है?

योग एक्सपर्ट रविन्द्र यादव ने बताया, 'प्रज्ञा योग को साधारण बोलचाल की भाषा में जीवन साधना भी कहा जा सकता है। यह मानसिक और आत्मिक बल को बढ़ाता है। प्रज्ञा योग 16 ऐसे आसनों का सेट है जो जीवनी शक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, गर्दन दर्द, कमर दर्द और पेट का मोटापा जैसी कई समस्याओं से निजात दिलाते हैं।'

प्रज्ञा योग के स्टेप्स और फायदे

ताड़ासन

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मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। लंबी सांस भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाकर पीछे ले जाकर स्ट्रेच करें और पैरों के पंजे पर खड़े रहें। इस आसन को करने से स्पाइन का सही विकास होता है, कब्ज से राहत मिलती है और यह दिल के रोगों में भी फायदेमंद है।

पाद हस्तासन

सांस छोड़ते हुए नीचे की ओर झुकें, दोनों हाथों से जमीन को टच करें। पैर सीधे रखें और प्रयास करें कि इस दौरान सिर घुटनों को टच करें। ये आसन स्पाइन को मजबूती देता है, गैस से राहत दिलाता है और कमर के आसपास जमा मोटापे को कम करता है।

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वज्रासन

दोनों पैरों को मोड़कर घुटने के बल बैठ जाएं। इस बात का खास ख्याल रखें कि इस दौरान रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी हो। इस आसन में आराम से सांस लें और छोड़ें। ये इकलौता ऐसा आसन है जो खाने के बाद किया जाता है। इससे भोजन बेहतर तरीके से पचता है। साथ ही तनाव भी कम होता है।

उष्ट्रासन

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पैरों को मोड़कर घुटने के बल बैठ जाएं। लंबी सांस लेते हुए कमर से पीछे की तरह मुड़ें और दोनों हाथों से जितना हो सके पैरों को छूने की कोशिश करें। इससे पेट और इसके निचले हिस्से, बाहों और कमर की एक्सरसाइज एक साथ हो जाती है। इससे पाचन अच्छा होता है और पीठ दर्द में आराम मिलता है। कब्ज की समस्या में भी राहत मिलती है।

योग मुद्रासन

सांस छोड़ते हुए वज्रासन में आएं, आगे की तरफ झुक कर दोनों हाथों को पीछे ले जाकर योग मुद्रा बनाएं। प्रयास करें कि ऐसा करते वक्त आपका सिर जमीन से टच हो। इससे गैस की समस्या हल होती है, पैंक्रियाज मजबूत होता है और भूख तेज लगती है।

अर्धताड़ासन

सांस भरते हुए शरीर के ऊपरी भाग को उठाएं और वज्रासन में बैठते हुए दोनों हाथों को आसमान की तरफ तानें। इससे कमर दर्द में आराम मिलता है और ह्रदय मजबूत होता है।

शशांकासन

बैठे बैठे ही सांस को छोड़ते हुए आगे की तरफ झुकें। सिर को जमीन से टच करें और दोनों हाथ खींचकर आगे की तरफ रखें। इस आसन को करने से पेट के रोग दूर होते हैं और साइटिका में भी आराम मिलता है।

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भुजंगासन

पैरों को पीछे की तरफ खोलें। दोनों हाथ कमर के साइड में रखें। सांस भरते हुए हाथों पर जोर देकर ऊपर की तरफ उठें। सिर को उठाकर आसमान की तरफ देखें। थोड़ी देर तक इसी स्थिति में रहें। यह आसन दिल और स्पाइन को मजबूत बनाता है, गैस की समस्या को दूर करता है और कमर दर्द में लाभदायक है।

तिर्यक भुजंगासन बाएं

सांस छोड़ते हुए गर्दन को बाईं तरफ मोड़ें और दायें पैर की एड़ी को देखें। इसे करने से भुजंगासन वाले ही लाभ मिलते हैं।

तिर्यक भुजंगासन दाएं

शरीर को पहली वाली ही पोजीशन में रखें। गर्दन को दाईं तरफ मोड़ते हुए बाएं पैर की एड़ी को देखें। इसे करने से भुजंगासन वाले ही फायदे मिलेंगे।

शशांकासन

सांस छोड़ते हुए कमर से ऊपर के भाग को आगे की तरफ झुकाकर सिर को जमीन से लगाएं। दोनों हाथ को आगे ले जाकर जमीन से सटा दें।

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अर्धताड़ासन

सांस भरते हुए शरीर के ऊपरी भाग को उठाएं और वज्रासन में बैठते हुए दोनों हाथों को आसमान की तरफ तानें। इससे कमर दर्द में आराम मिलता है और ह्रदय मजबूत होता है।

उत्कटासन

इस आसन में पंजो के बल बैठें। इस दौरान सीना निकला हुआ और हाथ जमीन को टच करते हुए हों। सांस सामान्य तरीके से लें।

पाद हस्तासन

सांस छोड़ते हुए नीचे की ओर झुकें, दोनों हाथों से जमीन को टच करें। पैर सीधे रखें और प्रयास करें कि इस दौरान सिर घुटनों को टच करें।

पूर्व ताड़ासन

सांस खींचते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाएं। पंजों के बल खड़े होकर शरीर को ऊपर खींचते हुए आसमान को देखें। जितना संभव हो सके इसी पोजीशन में रहें। इससे खून शुद्ध होता है और दिल मजबूत होता है।

ओम का उच्चारण

सांस छोड़ते हुए ओम का उच्चारण करते हुए दोनों मुट्ठी बंद करें और ताकत लगाते हुए हाथों को नीचे की तरफ लाएं। आखिर में शवासन करें।

योग एक्सपर्ट की देखरेख में प्रज्ञा योग करें और निरोग रहें, यह लेख यदि आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें, साथ ही इसी तरह की अन्य जानकारी पाने के लिए जुड़े रहें HerZindagi के साथ।

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image credit: shantikunj

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