भागदौड़ भरी जिंदगी में सुकून के कुछ पल और खुद से जुड़ने का गहरा अनुभव भला कौन नहीं चाहता? योग एक ऐसा ही माध्यम है, जो हमें शारीरिक तंदुरुस्ती देने के साथ-साथ मानसिक और आत्मिक शांति भी प्रदान करता है। इसी योग की अनुशासित धारा अष्टांग योग है, जो अपने खास फायदों के लिए दुनिया-भर में फेमस है।
योग आजकल दुनिया भर में बहुत पसंद किया जा रहा है और इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती ही जा रही है। यह लोगों को अपनी सेहत सुधारने, तनाव कम करने और आध्यात्मिक रूप से जुड़ने में मदद करता है। योग के कई अलग-अलग प्रकारों में से अष्टांग योग अपने खास, ऊर्जा से भरपूर और अनुशासित दृष्टिकोण के कारण सबसे अलग पहचान रखता है। अगर हम इसके फायदों को अच्छी तरह समझ लें और इसे सुरक्षित तरीके से करने का अभ्यास करें, तो यह हमारे जीवन और सेहत को पूरी तरह से बदल और बेहतर बना सकता है। इसके बारे में हमेंएलाईव हेल्थ की काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट, हैबिट कोच और योग एक्सपर्ट, मेघना बनर्जी बता रही हैं।
अष्टांग योग क्या है?
अष्टांग योग एक बहुत पुरानी योग पद्धति है, जिसे श्री के. पट्टाभि जोइस जी ने दुनिया के सामने रखा था। इसमें हम अपनी सांस, आसन और मन की जागरूकता को एक साथ मिलाते हैं, जिससे शरीर में ताकत और लचीलापन दोनों बढ़ते हैं। यह योग अपनी खास तरह की आसन श्रृंखलाओं के लिए जाना जाता है, जिन्हें 'विन्यास' कहते हैं। विन्यास में हर आसन को सांस के साथ जोड़ा जाता है, जिससे यह एक चलते-फिरते ध्यान जैसा अनुभव देता है और शरीर में गर्मी भी पैदा करता है।
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अष्टांग योग के विभिन्न प्रकार
मैसूर शैली
यह पारंपरिक तरीका है, जिसमें हर व्यक्ति अपनी गति और क्षमता के अनुसार खुद आसन करता है। ट्रेनर सिर्फ देखरेख करते हैं और जरूरत पड़ने पर पर्सनली मार्गदर्शन और मदद देते हैं।
लेड क्लास
इस तरह की क्लास में ट्रेनर सभी को एक साथ, एक तय क्रम में और एक ही गति से आसन करवाते हैं। यह तरीका उन महिलाओं के लिए बहुत अच्छा होता है, जो अभी अष्टांग योग सीखना शुरू कर रही हैं, क्योंकि इससे उन्हें आसनों का सही क्रम और सांस लेने का तरीका सीखने में मदद मिलती है।
कुछ लोग अष्टांग योग के मूल सिद्धांतों को योग के दूसरे तरीकों के साथ मिलाकर भी करते हैं, ताकि अपनी जरूरत और सुविधा के हिसाब से इसे या तो और आसान बनाया जा सके या फिर इसे और चुनौतीपूर्ण रूप दिया जा सके।
अष्टांग योग के आठ अंग
- यम: बाहरी दुनिया के साथ व्यवहार सिखाने वाले नैतिक नियम
- नियम: खुद से व्यवहार के आत्म-अनुशासन नियम
- आसन: शरीर को लचीला, मजबूत और स्थिर बनाने शारीरिक मुद्राएं
- प्राणायाम: मन को शांत करने वाली श्वास नियंत्रण तकनीक
- प्रत्याहार: इंद्रियों को वापस खींचने की तकनीक
- धारणा: ध्यान को एक बिंदु पर फोकस करना
- ध्यान: मन को शांत करने वाली ध्यान तकनीक
- समाधि: ध्यान और एकाग्रता में पूरी तरह लीन होना
अष्टांग योग करने की तैयारी कैसे करें?
जब आप अष्टांग विन्यास योग शुरू करते हैं, तो हो सकता है कि शुरुआत में यह आपको थोड़ा मुश्किल या भारी लगे, क्योंकि इसमें काफी शारीरिक मेहनत की जरूरत होती है। लेकिन, अगर आप सही तरीके से तैयारी करें, तो आपका यह सफर बहुत ही आसान, सुरक्षित और फायदेमंद हो सकता है।
आरामदायक कपड़े पहनें
ऐसे कपड़े पहनें जिनमें आप आसानी से हिल-डुल सकें और शरीर को पूरी तरह से घुमा-फिरा सकें। कॉटन के कपड़े पहनें क्योंकि यह सॉफ्ट और हवादार रहते हैं। इनमें हवा आसानी से आ-जा सकती है और योगासन के दौरान शरीर को ठंडा रखते हैं।
सही उपकरण का इस्तेमाल करें
एक अच्छे योग मैट का होना बहुत जरूरी है। सही उपकरण न केवल आपको चोट लगने से बचाते हैं, बल्कि जब आप नए-नए और कठिन आसन सीखते हैं, तब आपका आत्मविश्वास भी बढ़ाते हैं।
सुरक्षित शुरुआत करें
सबसे पहला और जरूरी कदम है कि आप इसकी 'प्राइमरी सीरीज' यानी शुरुआती आसनों के समूह को किसी अनुभवी योग शिक्षक की देखरेख में सुरक्षित तरीके से सीखें। आप पहले पांच मूल आसनों से शुरुआत कर सकती हैं और धीरे-धीरे आगे बढ़ सकती हैं।
विन्यास और सांसों पर ध्यान दें
आपका पूरा ध्यान विन्यास के सही प्रवाह यानी एक आसन से दूसरे आसन में जाने के तरीके और हर हरकत के साथ सांस के सही तालमेल बिठाने पर होना चाहिए।
जल्दबाजी न करें, क्वालिटी पर ध्यान दें
आसन करते समय जल्दबाजी बिल्कुल न करें। यह जरूरी नहीं कि आप कितने सारे आसन करते हैं, बल्कि यह जरूरी है कि आप हर आसन को कितनी अच्छी तरह और सही तरीके से करती हैं।
नियमित योगासन करें
योग करने के लिए एक नियमित समय तय करें, भले ही आप रोजाना सिर्फ 10 मिनट ही क्यों न निकाल पाएं। नियमितता बेहद जरूरी है।
अन्य स्वस्थ आदतें अपनाएं
अष्टांग योग के साथ-साथ आप अपनी सेहत को और बेहतर बनाने वाली दूसरी एक्टिविटी भी कर सकती हैं, जैसे कि रोज कुछ देर ध्यान करना या पौष्टिक और संतुलित भोजन करना।
अपनी प्रगति पर नजर रखें
आप कितना सुधार कर रही हैं, इस पर समय-समय पर नजर रखें और अपने लिए ऐसे छोटे-छोटे लक्ष्य तय करें जिन्हें आप आसानी से पूरा कर सकें। इससे आपको आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा मिलेगी और आप लगातार योग करती रहेंगी।
अष्टांग योग के लाभ
- मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है।
- आत्म-जागरूकता बढ़ती है।
- अनुशासन में रहना और खुद पर कंट्रोल करना सिखाता है।
- शरीर को शक्ति और लचीलापन मिलता है।
- डाइजेशन में सुधार होता है।
- वजन घटाने में मददगार है।
- तनाव और चिंता कम होती है।
- ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है।
- चेहरे पर ग्लो बढ़ता है।
- शरीर का लचीलापन बढ़ता है।
- मानसिक स्वास्थ्य सही रहता है।
- धमनियों और नसों से विषाक्त पदार्थों को साफ करता है।
- झुर्रियां देरी से आती हैं।
- खुशी बढ़ाता है।
- ध्यान केंद्रित करने की शक्ति बढ़ाता है।
- स्टैमिना बढ़ाता है।
- मसल्स में मजबूती आती है।
- आध्यात्मिक स्तर पर अपनेपन, करुणा और सहानुभूति की भावना को बढ़ावा देता है।
- कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ को भी बढ़ाता है।
अष्टांग योग हमें शारीरिक और मानसिक रूप से अनुशासन सिखाता है और अपने शरीर और मन के प्रति हमारी जागरूकता को भी बढ़ाता है। अगर आप किसी अच्छे गुरु के मार्गदर्शन में और पूरे धैर्य के साथ इसकी शुरुआत करती हैं, तो आप स्वस्थ, ऊर्जावान और संतुलित जीवन पा सकती हैं।
तो क्यों न इस शक्तिशाली और फायदेमंद योग को आजमाकर देखा जाए और यह अनुभव किया जाए कि यह आपकी सेहत और जीवन को किस तरह सकारात्मक रूप से बदल सकता है?
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