भ्रामरी प्राणायाम हिंदी शब्द भ्रामर से बना है, जिसका अर्थ है भौंरा और प्राणायाम का अर्थ श्वास तकनीक है, इसलिए इसे मधुमक्खी श्वास भी कहा जा सकता है। भ्रामरी (बी ब्रीथ) ध्यान के लिए एक प्रभावी प्राणायाम (श्वास व्यायाम) है। भ्रामरी प्राणायाम थकान और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है। इस तकनीक में सांस छोड़ने की आवाज मधुमक्खी के गुंजन की आवाज के समान होती है, इसलिए इसे भ्रामरी प्राणायाम कहा जाता है। मन को शांत करने के लिए भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास बहुत मददगार होता है। आप अपने जबड़े, गले और चेहरे में ध्वनि कंपन को आसानी से महसूस कर सकते हैं। भ्रामरी प्राणायाम करने का तरीका और फायदों के बारे में हमें योगा मास्टर, फिलांथ्रोपिस्ट, धार्मिक गुरू और लाइफस्टाइल कोच ग्रैंड मास्टर अक्षर जी बता रहे हैं।
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पूर्व की ओर मुख करें। आप इस श्वास तकनीक का अभ्यास दिन में पांच मिनट के लिए शुरू कर सकते हैं और धीरे-धीरे इसे समय के साथ बढ़ा सकते हैं।
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यह कुंडलिनी जगाने के लिए सबसे प्रभावी प्राणायाम है। आपने शायद देखा होगा, जब आप बांसुरी बजाते हैं, तब आप संगीत को बाहर निकालने के लिए छिद्रों पर दबाव डालते हैं। इसी तरह भ्रामरी प्राणायाम में अगर आप नाड़ियों पर सही दबाव डालना जानते हैं, तो आपकी नाक से आने वाली मधुमक्खी की आवाज एकदम सही होगी। यह सुनिश्चित करता है कि आप इस अभ्यास के लाभों का अनुभव करेंगे।
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