Ghagra Choli Facts: घाघरे के साथ पहनी जाने वाली चोली होती है खास, इससे जुड़े और भी हैं रोचक तथ्‍य

घाघरे और चोली का मेल कुछ ऐसा है जैसे शरीर और सांसों का। इस अनोखे और पारंपरिक परिधान का रोचक इतिहास रहा है। 
image

नवरात्रि का त्‍योहार आते ही महिलाएं गरबा और डांडिया रास के लिए अपनी तैयारियां शुरू कर देती हैं और सबसे पहले उन्‍हें एक अच्‍छे घाघरा-चोली की तलाश होती है, जो इस नृत्‍य के लिए पारंपरिक परिधान भी है। अगर इस‍ रंग-बिरंगी पोशाक के इतिहास पर नजर डाली जाए, तो इसकी शुरुआत प्राचीन भारत के सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ी हुई है। इस परिधान का इतिहास और इसके विविध रूप इसे भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बनाते हैं। आइए, हम इसके कुछ मजेदार और दिलचस्प तथ्यों पर नजर डालते हैं।

ghaghra

उत्पत्ति और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

घाघरा-चोली का विकास एक तीन-टुकड़े वाले परिधान से हुआ है, जो प्राचीन काल में महिलाओं द्वारा पहना जाता था। सिंधु घाटी में इसे पहनने की परंपरा प्रचलित थी, जहां महिलाएं विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक अवसरों पर इसे पहनती थीं। इस परिधान ने समय के साथ विभिन्न रूप धारण किए। कभी इसे चनिया-चोली कहा गया, तो कभी लहंगा ब्‍लाउज, मगर यह परिधान महिलाओं के लिए हमेशा से ही प्रिय था और उनके श्रृंगार को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण भी था।

क्षेत्रीय विविधता

कहा जाता है कि घाघरा चोली की उत्पत्ति मुख्य रूप से राजस्थान और गुजरात के क्षेत्रों में हुई है। इन स्थानों की संस्कृति, परंपराएं और रंग-बिरंगे कपड़े इस परिधान को और भी खूबसूरत बनाते हैं। राजस्थान में इसकी भव्यता और कारीगरी को देखकर किसी को भी इसकी मोहकता अपनी ओर खींच लेगी।

navratri fashion

पारंपरिक परिधान

घाघरा चोली का मुख्य उपयोग विशेष अवसरों पर होता है, जैसे त्योहार , शादियां और धार्मिक समारोह। ये अवसर महिलाओं के लिए अपने रंग-बिरंगे और सजीले परिधान पहनने का एक अद्भुत मौका होते हैं। घाघरा चोली की खूबसूरती और उसकी जटिल कढ़ाई इसे विशेष अवसरों पर एक आदर्श परिधान बनाती है।

इसे जरूर पढ़ें-Best Lehenga Designs: हाय रे मेरा घाघरा! स्टाइलिश चोली और घेरदार लहंगा, दिखें सबसे हटके

कपड़े का महत्व

घाघरा चोली को शुद्ध सूती कपड़े से तैयार किया जाता है। राजस्‍थान और गुजरात के रेगिस्‍तान में यह कपड़ा शरीर को आराम पहुंचाता है। हालांकि, फैशन की दुनिया में इसे अब अलग-अलग रंग मिल चुके हैं। अब इसे विभिन्न प्रकार के कपड़ों, जैसे रेशम, बनारसी, और कॉटन, का उपयोग करके तैयार किया जाता है। सही कपड़े का चयन इसके सौंदर्य और पहनने की सहूलियत को बढ़ाता है।

lehenga

निर्माण की प्रक्रिया

एक सुंदर घाघरा बनाने में कम से कम 20 दिन लग सकते हैं। इसमें कपड़े का चुनाव, कढ़ाई का काम, और अन्य विवरणों का समावेश होता है। कढ़ाई में बहुत सारी मेहनत और समय लगता है और यह परिधान के मूल्य को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आपको बता दें कि इसमें शीशे की एम्‍ब्रॉयडरी की जाती है।

इसे जरूर पढ़ें-Ghagra Designs: अपनी वॉर्डरोब कलेक्शन में शामिल करें ये घाघरा डिजाइन, शादी में स्टाइल करने पर लगेंगी सुंदर

photo_2022-05-31_15-48-08

घाघरा चोली के विभिन्न प्रकार

  • ए-लाइन: यह घाघरा का एक सामान्य रूप है, जिसमें नीचे की ओर थोड़ा फैलाव होता है।
  • फ्लेयर्ड: यह अपने डिजाइन के कारण बहुत सजीला लगता है।
  • मरमेड: यह शरीर के आकार के अनुरूप होता है और नीचे की ओर फैलता है।
  • पैनल्ड: इसमें कई पैनल एक साथ मिलकर एक सुंदर रूप बनाते हैं।
  • शरारा: यह एक अलग और खूबसूरत शैली है, जो आमतौर पर त्योहारों पर पहना जाता है।
  • स्ट्रेट: यह सीधा और साधारण डिजाइन है, जो इसे पहनने में आरामदायक बनाता है।
  • ट्रेल: इसमें एक लंबी ट्रेन होती है, जो इसे और भी भव्य बनाती है।

घाघरा चोली न केवल एक परिधान है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और इतिहास का एक जीवंत उदाहरण है। इसके रंग, डिजाइन, और विविधता हमें यह समझने में मदद करते हैं कि यह परिधान केवल कपड़े नहीं हैं, बल्कि एक कहानी है जो पीढ़ियों से चलती आ रही है।

इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय भी आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही, अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP