अगर आपसे पूछा जाए कि आप किस तरह से ऑफिस जाना पसंद करते हैं और हफ्ते में कितने दिन काम कर सकते हैं तो आपका जवाब क्या होगा? अधिकतर लोगों को लॉन्ग वीकएंड की छुट्टी अच्छी लगती है जहां फ्राईडे, सैटरडे, संडे अपने घर वालों के साथ बिताया जाए, घर का काम किया जाए और खुश रहा जाए। आराम से सोने के लिए तीन दिन या फिर किसी शॉर्ट ट्रिप को प्लान करने के लिए तीन दिन बहुत अच्छे हो सकते हैं। पर क्या ये जितना सुहाना दिख रहा है ये उतना ही है?
भारत सरकार की तरफ से एक प्रस्ताव आया है जिसमें लेबर कोट्स का जिक्र है जो कार्यक्षेत्र के अलग-अलग नियमों की बात कर रहा है और उन्हें कैसे बेहतर बनाया जाए इसके बारे में सोच रहा है। इस प्रस्ताव में 4 वर्किंग डे पॉलिसी का भी जिक्र किया जा रहा है। इस पॉलिसी को लेकर बहुत से लोगों ने अपनी राय दी है और जहां कई को लगता है कि ये बहुत ही अच्छा स्टेप हो सकता है वहीं दूसरों के हिसाब से इसे करना सही नहीं है।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा एक प्लान का प्रस्ताव दिया गया है जिसमें ये कहा गया है कि वर्किंग हावर्स बढ़ाकर कंपनियां 4 वर्किंग डे रख सकती हैं और इसके साथ ही 3 दिन की छुट्टी दे सकती हैं। मिनिस्ट्री के अनुसार वर्किंग डे कम करने का मतलब ये नहीं है कि पेड छुट्टियों की संख्या कम कर दी जाए। बस वर्किंग हावर्स बढ़ा दिए जाएंगे जो कर्मचारियों की सुविधा के हिसाब से ही होगा।
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हमने 4 डे वर्किंग पॉलिसी को लेकर इंडस्ट्री में काम कर रहे कुछ एक्सपर्ट्स से बात की। HR और एम्प्लॉयमेंट कंसल्टेंसी की फील्ड में काम कर रहे लोगों का इसे लेकर कुछ अलग कहना है।
एम्प्लॉयमेंट कंसल्टेंट साक्षी दुदेजा का कहना है कि, 'इसे कर्मचारी की सुविधा के हिसाब से किया जा सकता है। ये हर इंसान के लिए अलग हो सकता है मतलब कई लोग कर सकते हैं और कई नहीं कर सकते, लेकिन साथ ही 12 घंटे एक स्ट्रेच में काम करना कई लोगों के लिए परेशानी भरा हो सकता है।'
यकीनन साक्षी की बात में कुछ हद तक सच्चाई है क्योंकि अगर एक दिन के आराम और काम को देखा जाए तो 12 घंटे काम करने के बाद कुछ लोगों के पास बिलकुल समय ही नहीं बचेगा।
भोपाल की एक प्राइवेट कंपनी में बतौर HR काम करने वाली सुमन पांचाल का कहना है कि, 'ये सुविधाजनक नहीं है। आप वीकली वर्किंग हावर्स तो 48 घंटे ही रख रहे हैं और आप मौजूदा वर्किंग हावर्स को लगभग 50% बढ़ा रहे हैं। कई लोग 8 घंटे काम करते हैं और उसमें थक जाते हैं। मेंटली ये सुविधाजनक नहीं है कि आप किसी कर्मचारी को 3 दिन का ब्रेक तो दे रहे हैं, लेकिन फिर उसे जस्टिफाई नहीं कर पा रहे हैं।'
वैसे अधिकतर लोगों का यही कहना है कि इस तरह का रूटीन यकीनन लोगों को एक्सेप्ट करने में समय लगेगा और अगर आप हफ्ते में तीन दिन छुट्टी लेकर भी थका हुआ सा महसूस कर रहे हैं तो ये कितनी अजीब बात हो सकती है।
यकीनन यहां पर दो तरह से लोग हो सकते हैं। पहले वो जिनके लिए लॉन्ग वीकएंड वाला प्लान सबसे अच्छा साबित हो सकता है। वैसे भी कई कंपनियों में कर्मचारी ओवरटाइम करते हैं और वो अपना काम खत्म कर 3 दिन की छुट्टी का मज़ा ले सकते हैं।
दूसरे वो जिन्हें लॉन्ग वर्किंग हावर्स से दिक्कत होती है। जरा सोचिए कि आपका ऑफिस घर से 2 घंटे की दूरी पर है जो अधिकतर मेट्रो शहरों में होता है। इसके बाद आप 12 घंटे ऑफिस में बिता देते हैं। कुल दिन के 24 घंटे में से 16 ऑफिस के कारण निकल जाते हैं। चलिए कुछ लोगों के लिए ये 14 घंटे हो सकते हैं। पर यहां पर खाने-पीने से लेकर सोने-जागने तक में आपकी सेहत पर असर पड़ सकता है।
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Annals of Internal Medicine द्वारा सितंबर 2017 में 7,985 वर्किंग अडल्ट्स पर एक रिसर्च की गई थी जो लगातार 10-13 घंटों तक हर दिन काम करते थे। इस रिसर्च के नतीजे घातक थे-
- रिसर्च के मुताबिक ये कर्मचारियों की मानसिक हेल्थ पर असर करता है।
- ऐसे कर्मचारियों का मोर्टैलिटी रेट दुगना होता है।
- लंबे वर्किंग हावर्स की वजह से सेहत पर बहुत असर होता है क्योंकि लंबे समय तक एक ही पोजीशन में बैठना खतरनाक है।
पैरिस, स्विडन, फिनलैंड जैसे देशों में लोग हफ्ते में 4 दिन ही काम करते हैं और खुश रहते हैं। पर फ्रांस में फरवरी 2000 में 35 वर्किंग हावर्स प्रति हफ्ते की पॉलिसी को भी पारित कर दिया गया था।
फिनलैंड की पीएम सना मरीन जो दुनिया की सबसे यंग पीएम हैं उन्होंने हाल ही में फिनलैंड में 6 वर्किंग हावर्स के साथ 4 वर्किंग डे पॉलिसी के बारे में सजेशन दिया है। ये वो देश हैं जहां प्रोडक्टिविटी भी हाई है और साथ ही साथ लोग 4 वर्किंग डे वाला कॉन्सेप्ट भी चला रहे हैं। हेल्दी लिविंग के लिए और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए ये अच्छा हो सकता है, लेकिन इसी के साथ दिन में 12 घंटे काम करना भी मुश्किल हो सकता है।
कई देश ऐसे हैं जहां वर्किंग हावर्स कम हैं और वहां कर्मचारियों को बहुत सी सुविधाएं भी दी जाती हैं। लेबर मिनिस्ट्री का ये प्रस्ताव बहुत ही ज्यादा अच्छा है जो कई लोगों को खुश कर सकता है, लेकिन फिर भी वर्किंग हावर्स बढ़ाने के बारे में थोड़ा विचार जरूर किया जाना चाहिए क्योंकि हो सकता है इससे कुछ समय के लिए प्रोडक्टिविटी बढ़ जाए, लेकिन लंबे समय में कर्मचारियों की सेहत पर बुरा असर पड़े।
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