बच्चे स्वभाव से बेहद मासूम व कोमल होते हैं। आमतौर पर माना जाता है कि बच्चों को बड़ो से सीखना चाहिए, लेकिन वास्तव में यह कथन पूरी तरह सत्य नहीं है। कई बार बच्चों से भी आप ऐसे कुछ स्किल्स सीख सकती हैं, जो आपको जीवन के कई रास्तों पर काम आएंगे। प्रसिद्ध कवि विलियम वर्ड्सवर्थ ने भी एक कविता में कहा है कि द चाइल्ड इज़ द फादर ऑफ द मैन अर्थात बच्चा आदमी का पिता है। इस कथन को अगर गहराई से समझा जाए तो कहा जा सकता है कि बड़े भी बच्चों से बहुत कुछ सीख सकते हैं। वह सिर्फ अपनी पर्सनल लाइफ में ही नहीं, बल्कि प्रोफेशनल लाइफ में भी अगर उन स्किल्स को इस्तेमाल करें तो बेहद आसानी से कामयाबी हासिल की जा सकती है।
आज के समय में महिलाएं कामयाबी हासिल करने के लिए बहुत जद्दोजहद करती हैं। लेकिन फिर भी सफलता उनसे आंख-मिचौली खेलती रहती है और कई बार काफी परेशान भी हो जाती हैं। ऐसे में आप बच्चों से भी बहुत कुछ सीख सकती हैं। उनके स्वभाव में ऐसे कई गुण होते हैं, जिनके अगर आप खुद में शामिल कर लें तो आपको वर्कप्लेस पर सक्सेस पाने से कोई नहीं रोक सकता। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में-
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निडरता
अगर आप बच्चे से इस गुण को सीखकर अपने स्वभाव में शामिल कर लें तो यकीनन आप अपने करियर में एक लंबा रास्ता तय कर सकती है। बच्चे स्वभाव से निडर होते हैं और वह हर दिन जीवन में आने वाले चैलेंजेस का खुलकर सामना करते हैं, फिर चाहे वह चुनौती स्कूल में हो या खेल के मैदान में। अगर हम भी अपनी प्रोफेशनल लाइफ में निडर हो जाते हैं, तो हम जोखिम उठा सकते हैं, नई चीजें आज़मा सकते हैं और हर दिन आगे बढ़ सकते हैं।
सीखने की ललक
बच्चों में सीखने की ललक व क्षमता अद्भुत होती है। वह हमेशा ही कुछ नया सीखने व उसके साथ एक्सपेरिमेंट करने के लिए उत्सुक रहते हैं। जीवन में सफलता प्राप्त करने का मूलमंत्र यही है। जब तक आप नई चीजों को सीखने के लिए तैयार रहती हैं, तब तक आप ग्रोथ करती है। सीखने के प्रोसेस में आपसे कई गलतियां भी होती हैं, लेकिन गलतियों से ही आप बेहतर इंसान बनकर सामने आती हैं। वहीं जब आप सीखना बंद कर देती हैं तो फिर इससे आपकी ग्रोथ भी रूक जाती हैं।
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ईमानदारी
अनफ़िल्टर्ड, सीधे और खुले विचारों वाले, बच्चे कभी किसी के बारे में अपनी राय और विचार व्यक्त करने में खुद को पीछे नहीं रखते हैं। आपने कभी नोटिस किया हो कि जब बच्चे कभी गलती करते हैं तो उतनी ही ईमानदारी से कबूल भी कर लेते हैं। इतना ही नहीं, उनके मन में जो भी होता है, वह बेझिझक व्यक्त कर देते हैं। यह गुण अक्सर व्यस्कों में नजर नहीं आता है। कॉरपोरेट दुनिया में लोग काम और जीवन की भागदौड़ में इस कदर फंस जाते हैं कि एक-दूसरे को झूठी सच्चाइयों से प्रसन्न करते हैं और अपने सच्चे विचारों को छिपाते हैं। जीवन की दौड़ में, हम अक्सर अपने अंदर के मासूम बच्चे को पीछे छोड़ देते हैं। लेकिन हमें अपने भीतर के इस गुण को कभी नहीं खोना चाहिए। वैसे भी कहा जाता है कि कोई भी विरासत इतनी समृद्ध नहीं है जितनी ईमानदारी।
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