Free Study Abroad After School: बोर्ड परीक्षा के बाद विदेश जाकर पढ़ाई करने का ख्वाब तो हर छात्र देखते हैं, लेकिन सभी के लिए यह संभव नहीं हो पाता है, क्योंकि विदेश जाकर पढ़ाई करना काफी महंगी पड़ती है। ऐसे में, अक्सर मिडल क्लास वाले अफोर्ड नहीं कर पाते हैं। ऐसे में, अगर फ्री में विदेश जाकर पढ़ाई करने का अवसर मिल जाए तो यह सोने पर सुहागा हो जाता है। हालांकि, ऐसे मौके भी हर किसी को नहीं मिल पाते हैं। हालांकि, आप कुछ तरीकों को अपना कर फ्री में विदेश जाकर पढ़ाई कर सकते हैं। आइए हम आगे इस बारे में विस्तार से बताते हैं।
सही और सस्ते देश का चयन करें
विदेश में कम खर्च में पढ़ाई करने के लिए आपको सबसे पहले ऐसे देश को चुनना होगा, जहां रहने और खाने का खर्च कम से कम होता हो। जानकारी के लिए आपको बता दें कि दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जो भारतीय छात्रों के लिए बेहद सस्ते हैं और उनकी पढ़ाई भी फ्री होती है। इसे विस्तार से समझने के लिए आपको सस्ते देश की एक लिस्ट तैयार करने की जरूरत है। नीचे कुछ देशों के नाम सुझाए गए है, इससे आपको मदद मिल सकती है। इन देशों में अधिकतर फ्री प्रोग्राम पब्लिक यूनिवर्सिटीज द्वारा ऑफर किए जाते हैं। हालांकि, एडमिशन के लिए लैंग्वेज प्रोफिसिएंसी टेस्ट पास करने होते हैं। साथ ही, थोड़ी रजिस्ट्रेशन फीस देनी पड़ सकती है।
- जर्मनी
- आइसलैंड
- ब्राजील
- लग्जमबर्ग
- चेक रिपब्लिक
- नॉर्वे
- मैक्सिको
स्कॉलरशिप के लिए करें आवेदन
स्कूल के बाद, अगर आप विदेश जाकर फ्री या सस्ते में पढ़ाई करने का मन बना रहे हैं, तो इसका दूसरा तरीका स्कॉलरशिप भी है। इसका मतलब है कि आपको किसी ऐसी यूनिवर्सिटी का चयन करना चाहिए जो कि फुल स्कॉलरशिप और ग्रांट देने वाली हों। दरअसल, हायर स्टडी के लिए कई यूनिवर्सिटीज फुल स्कॉलरशिप या ग्रांट देती है, जिसमें ट्यूशन फीस से लेकर हवाई जहाज के किराये तक के खर्च शामिल होते हैं।
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एजुकेशन एक्सचेंज प्रोग्राम का भी उठा सकते हैं लुत्फ
जानकारी के लिए आपको बता दें कि भारत की कई यूनिवर्सिटीज ऐसी हैं, जिन्होंने विदेशी यूनिवर्सिटीज के साथ ओएमयू साइन किया हुआ है। इसके तहत यूनिवर्सिटीज अपने कुछ स्टूडेंट्स को पढ़ने के लिए एक दूसरे के यहां भेजने का काम करती हैं। एक बात और क्लियर कर दें कि एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत जाने पर अतिरिक्त फीस नहीं देनी होती है।
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असिस्टेंटशिप
कुछ विश्वविद्यालयों में असिस्टेंटशिप मिलती है। इसमें आपको प्रोफेसरों को असिस्ट करना होता है और बदले में आपको ट्यूशन फीस में छूट या स्टाइपेंड मिलता है। बता दें कि नॉर्डिक देशों में एमएस (ग्रेजुएट) और पीएचडी स्कॉलर्स को फाइनेंशियल सपोर्ट के लिए असिस्टेंटशिप प्रदान करती हैं। इसके तहत पार्ट टाइम टीचिंग या रिसर्च वर्क करना होता है। दरअसल, नॉर्डिक देशों में डेनमार्क, नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैं और आइसलैंड आते हैं।
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